डोनाल्ड ट्रंप ने नए टैरिफ प्लान की घोषणा की, सीनेट मंजूरी नहीं चाहिए.

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को टैरिफ प्लान की घोषणा कर दी, ये तुरंत प्रभाव से पूरी दुनिया में लागू हो गया. उसमें उन्होंने अलग अलग देशों के लिए अलग टैरिफ दरें तय की हैं. अब सवाल इस बात का है कि क्या ट्रंप का आर्डर सीधे लागू हो जाएगा या इसके लिए अमेरिकी सीनेट की मंजूरी लेनी होगी. ट्रंप ने नए टैरिफ की घोषणा करते हुए अपने किन अधिकारों का इस्तेमाल किया है.

सबसे पहले तो ये जान लीजिए कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ प्लान लागू करने के लिए अपने एग्जीक्यूटिव आर्डर का इस्तेमाल किया है. ये प्लान 2 अप्रैल 2025 से प्रभावी भी हो गया है

सवाल – क्या ट्रंप को इस टैरिफ को लागू करने के लिए सीनेट की अनुमति की जरूरत है?
– नहीं है, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति को व्यापार नीति और टैरिफ लगाने के संबंध में व्यापक अधिकार प्राप्त हैं, जो मुख्य रूप से एग्जीक्यूटिव पावर के तहत आते हैं. विशेष रूप से, ट्रेड एक्ट ऑफ 1974 की धारा 301 और इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट (IEEPA) जैसे कानून राष्ट्रपति को राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए टैरिफ लगाने की शक्ति देते हैं. ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल में भी स्टील और एल्यूमीनियम जैसे उत्पादों पर टैरिफ एग्जीक्यूटिव आर्डर के जरिए ही लागू किए थे, जिसे सीनेट की मंजूरी के बिना अमल में लाया गया था.

सवाल – अमेरिकी प्रेसीडेंट की एग्जीक्यूटिव पॉवर्स क्या होती हैं, जो उसे दुनिया का सर्वशक्तिमान नेता बना देती हैं?
– अमेरिकी राष्ट्रपति की कार्यकारी शक्तियां यानि एग्जीक्यूटिव पॉवर्स काफी जबरदस्त होती हैं और कई तरीके से इस्तेमाल में आती हैं. ये इस तरह हैं
कानून पर हस्ताक्षर और वीटो- अमेरिकी राष्ट्रपति को कांग्रेस द्वारा पारित विधेयकों पर हस्ताक्षर करने या वीटो करने का अधिकार होता है. हालांकि, कांग्रेस दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत से वीटो को पलट सकती है.
सशस्त्र बलों का कमांडर-इन-चीफ –राष्ट्रपति संयुक्त राज्य अमेरिका के सशस्त्र बलों का कमांडर-इन-चीफ होता है, जिससे उन्हें सैन्य अभियानों को निर्देशित करने और सैनिकों की तैनाती का आदेश देने की शक्ति मिलती है.
नियुक्तियां और हटाने की शक्ति – राष्ट्रपति अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों और अन्य उच्च पदाधिकारियों की नियुक्ति करता है, जिनमें से अधिकांश के लिए सीनेट की सलाह और सहमति की जरूरत होती है.
विदेश नीति और संधियां –राष्ट्रपति विदेशी शक्तियों के साथ संधियों पर हस्ताक्षर कर सकता है, जिन्हें सीनेट के दो-तिहाई सदस्यों द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए.
क्षमा और राहत – राष्ट्रपति को संघीय अपराधों के लिए माफी देने का अधिकार होता है.
परमाणु हथियारों का नियंत्रण – राष्ट्रपति के पास परमाणु हथियारों को लॉन्च करने की क्षमता होती है, जो उन्हें एक ब्लैक ब्रीफकेस (न्यूक्लियर फुटबॉल) के माध्यम से प्रदान की जाती है.
कार्यकारी आदेश जारी करना –प्रेसीडेंट एग्जीक्यूटिव आर्डर जारी कर सकता है, जो कानूनी रूप से बाध्यकारी होते हैं और कांग्रेस की मंजूरी के बिना लागू होते हैं. इन शक्तियों के साथ, अमेरिकी राष्ट्रपति देश की कार्यकारी शाखा का प्रमुख होता है और व्यापक कार्यकारी अधिकारों का प्रयोग करता है.

सवाल – ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ को रेसिप्रोकल टैरिफ क्यों कहा जा रहा है?
– इस मामले में, टैरिफ को “रेसिप्रोकल टैरिफ” के रूप में पेश किया गया है, जिसका उद्देश्य उन देशों पर जवाबी शुल्क लगाना है जो अमेरिकी आयात पर ऊंचा टैरिफ लगाते हैं.

सवाल – तो क्या सीनेट इस पर कोई सवाल नहीं उठा सकती?
– अगर यह नीति लंबे समय तक या बड़े पैमाने पर लागू रहती है और इसका निगेटिव असर अमेरिका पर पड़ने लगे तो कांग्रेस इस पर सवाल उठा सकती है या इसे संशोधित करने की कोशिश कर सकती है, लेकिन शुरुआती तौर पर यह राष्ट्रपति के अधिकार क्षेत्र में ही है.

सवाल – तो क्या एग्जीक्यूटिव आर्डर लागू होने के बाद सीनेट की पॉवर वहां पर खत्म हो जाती हैं?
– इसका जवाब समझने के लिए हमें अमेरिकी संविधान और व्यापार से संबंधित कानूनों पर नजर डालनी होगी. अमेरिकी संविधान के अनुच्छेद I, धारा 8 के तहत, कांग्रेस को कर लगाने और अंतरराष्ट्रीय व्यापार को नियंत्रित करने का अधिकार दिया गया है. इसका मतलब है कि सैद्धांतिक रूप से, टैरिफ जैसे व्यापारिक उपायों को लागू करने के लिए कांग्रेस की मंजूरी जरूरी होनी चाहिए. हालांकि, पिछले कई दशकों में, कांग्रेस ने राष्ट्रपति को व्यापार नीति के क्षेत्र में व्यापक अधिकार सौंप दिए हैं, जिसके चलते राष्ट्रपति अब टैरिफ लगाने जैसे फैसले स्वतंत्र रूप से ले सकते हैं.

इसे लेकर दो प्रमुख कानून हैं: ट्रेड एक्ट ऑफ 1974 और इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट (IEEPA). ट्रेड एक्ट ऑफ 1974 की धारा 301 राष्ट्रपति को यह अधिकार देती है कि वह उन देशों के खिलाफ कार्रवाई करे जो अमेरिकी व्यापार हितों को नुकसान पहुंचाते हैं. इसमें टैरिफ लगाना, आयात पर प्रतिबंध, या अन्य व्यापारिक प्रतिबंध शामिल हो सकते हैं. इसी तरह, IEEPA राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति में आर्थिक उपाय करने की शक्ति देता है.

सवाल – ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में किस तरह इस कानून का इस्तेमाल किया था?
– ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में इन दोनों कानूनों का इस्तेमाल किया. उदाहरण के लिए, चीन के खिलाफ 2018 में शुरू किए गए व्यापार युद्ध में ट्रंप ने धारा 301 का हवाला देते हुए अरबों डॉलर के चीनी सामानों पर टैरिफ लगाया था. इसके लिए उन्हें सीनेट या हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स की मंजूरी नहीं लेनी पड़ी थी.

सवाल – क्या सीनेट डोनाल्ड ट्रंप के इस आर्डर को पलट सकती है?
– भले ही ट्रंप इस टैरिफ को तत्काल प्रभाव से लागू कर सकते हों, लेकिन इसका दीर्घकालिक प्रभाव और वैधता कांग्रेस के हाथ में हो सकती है. अगर सीनेट या हाउस इस नीति को पलटना चाहें, तो वे एक नया कानून पारित कर सकते हैं, जिसके लिए दोनों सदनों में बहुमत और शायद राष्ट्रपति के वीटो को ओवरराइड करने के लिए दो-तिहाई समर्थन की जरूरत होगी.हालांकि ऐसा करना व्यावहारिक रूप से मुश्किल है, खासकर तब जब ट्रंप की पार्टी का कांग्रेस में मजबूत असर हो.

सवाल – ट्रंप के टैरिफ विश्व व्यापार संगठन के नियमों का उल्लंघन करते हैं तो क्या इसकी शिकायत हो सकती है?
– बेशक. प्रभावित देश विश्व व्यापार संगठन (WTO) में इसकी शिकायत कर सकते हैं, जैसा कि 2018 में कई देशों ने किया था लेकिन ट्रंप पर इसका कोई असर नहीं पड़ा था. उन्होंने पहले भी WTO के फैसलों को नजरअंदाज करने की नीति अपनाई थी. इस बार भी ऐसा ही होने की संभावना है.

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