Updated: Thu, 25 Sep 2025 07:02 AM (IST) ऑपरेशन सिंदूर के बाद ट्रंप प्रशासन से मिल रहे दुलार ने पाकिस्तान की हिम्मत और बढ़ा दी है। इसका एक बड़ा उदाहरण संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) की बैठक के शुरुआती 48 घंटों के दौरान देखने को मिला। इस दौरान पाकिस्तान सरकार भारत को असहज करने की पूरी कोशिश में जुटी है। इसमें उसे अपने पुराने सहयोगी मित्र तुर्किये से भी पूरा सहयोग मिल रहा है। जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर के बाद ट्रंप प्रशासन से मिल रहे दुलार ने पाकिस्तान की हिम्मत और बढ़ा दी है। इसका एक बड़ा उदाहरण संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) की बैठक के शुरुआती 48 घंटों के दौरान देखने को मिला। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें पाकिस्तान सरकार भारत को असहज करने में जुटी इस दौरान पाकिस्तान सरकार भारत को असहज करने की पूरी कोशिश में जुटी है। इसमें उसे अपने पुराने सहयोगी मित्र तुर्किये से भी पूरा सहयोग मिल रहा है। एक तरफ तुर्किये के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोगन ने यूएनजीए में कश्मीर मुद्दा उठाकर भारत की संप्रभुता पर सवाल खड़े किए, वहीं इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआइसी) ने कश्मीर पर विशेष बैठक बुलाकर पाकिस्तान का साथ दिया। शहबाज शरीफ ने परोक्ष तौर पर कश्मीर का मुद्दा उठाया इसके बाद अरब-इस्लामिक देशों के प्रमुखों की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बैठक हुई जिसमें पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने परोक्ष तौर पर कश्मीर का मुद्दा उठाया। राष्ट्रपति एर्दोगन ने कश्मीर का मुद्दा उठाया बाद में उन्होंने मई, 2025 में भारत एवं पाकिस्तान के बीच संघर्ष समाप्त करवाने के लिए सार्वजनिक तौर पर राष्ट्रपति ट्रंप को धन्यवाद दिया। जबकि भारत लगातार कहता रहा है कि ऑपरेशन सिंदूर को समाप्त कर संघर्ष विराम करने में किसी तीसरे देश की भूमिका नहीं रही है। राष्ट्रपति एर्दोगन ने 23 सितंबर को यूएनजीए के उच्चस्तरीय सत्र में एक बार फिर कश्मीर का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा, ‘कश्मीर मुद्दे का समाधान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के आधार पर संवाद से होना चाहिए, ताकि हमारे कश्मीरी भाइयों-बहनों का भला हो।’ एर्दोगन ने पाकिस्तान की भाषा बोली एर्दोगन ने पूर्व में भी यूएनजीए के मंच से कश्मीर को लेकर पाकिस्तान की भाषा बोली है। लेकिन वर्ष 2024 में अपने भाषण में उन्होंने जम्मू व कश्मीर की बात नहीं कही थी। तब यह माना गया था कि शायद भारत के साथ संबंधों को सामान्य करने की कोशिश तुर्किये की तरफ से हो सकती है। लेकिन पहलगाम हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के दौरान और उसके बाद तुर्किये एवं पाकिस्तान के बीच संबंध और मजबूत हो रहे हैं। तुर्किये सीधे तौर पर भारत के हितों के विरुद्ध हो चुका है तुर्किये सीधे तौर पर भारत के हितों के विरुद्ध हो चुका है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्किये एवं अजरबैजान ने पाकिस्तान का सीधा समर्थन किया था। तुर्किये ने तब पाकिस्तान को ‘बायकार्टार टीबी2 ड्रोन’ और अन्य हथियार दिए थे, जिससे भारत को रणनीतिक नुकसान पहुंचा। इन दोनों देशों के साथ भारत के रिश्ते लगातार खराब होते जा रहे हैं। कई विशेषज्ञ इन तीनों के गठबंधन को ‘इस्लामिक नाटो’ के तौर पर देखते हैं। ओआइसी के कश्मीर कांटैक्ट ग्रुप की विशेष बैठक यूएनजीए के दौरान ही 23 सितंबर को इस्लामिक देशों के संगठन (ओआइसी) के कश्मीर कांटैक्ट ग्रुप की विशेष बैठक हुई। इसमें पाकिस्तान, तुर्किये, सऊदी अरब, अजरबैजान और नाइजर के प्रतिनिधि शामिल थे। बैठक में पाकिस्तान के विशेष सहायक सैयद तारिक फतेमी ने भारत पर मानवाधिकार उल्लंघन, जनसांख्यिकीय बदलाव और कश्मीरियों के आत्मनिर्णय के अधिकार के हनन करने का आरोप लगाया। यह बैठक पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय लॉबिंग का हिस्सा है, जहां ओआइसी को कश्मीर का प्रचार मंच बनाया जा रहा है। इस तरह की बैठक पहली बार नहीं हुई है, लेकिन पाकिस्तान की कोशिश है कि यूएनजीए के दौरान कश्मीर का मुद्दा जैसे भी हो, उठाया जाए। पाकिस्तान का कहना है कि बैठक में अन्य देशों ने उसकी भूमिका की तारीफ की और कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए मध्यस्थता करने की बात कही। सनद रहे कि भारत कश्मीर को पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय मुद्दा मानता है और किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को खारिज करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान की इस अतिसक्रियता के लिए ट्रंप प्रशासन से मिला प्रोत्साहन भी कारण है। गाजा पर ट्रंप की इस्लामिक देशों के साथ बैठक में भी शहबाज शामिल ट्रंप ने अरब व इस्लामिक देशों के प्रमुखों के साथ अलग से एक बैठक की जिसमें शहबाज शरीफ भी शामिल हुए। बैठक की अध्यक्षता ट्रंप ने तुर्किये के राष्ट्रपति एर्दोगन के साथ की। इसमें कतर, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, मिस्त्र, यूएई और जार्डन के नेता भी शामिल हुए। बैठक में गाजा में चल रहे युद्ध को खत्म करने के लिए संभावित राजनयिक, राजनीतिक और मानवीय विकल्पों पर चर्चा हुई। इसमें शामिल लोगों ने तनाव कम करने, युद्ध-विराम व्यवस्था और क्षेत्र में दीर्घकालिक स्थिरता के तरीकों पर विचार किया। गाजा में युद्ध को जल्द से जल्द खत्म करना था चर्चा की शुरुआत में अपने संक्षिप्त भाषण में ट्रंप ने कहा कि यह उनकी मंगलवार की सबसे महत्वपूर्ण बैठक थी और उनका लक्ष्य गाजा में युद्ध को जल्द से जल्द खत्म करना था। कतर के अमीर शेख तमीम ने गाजा पर बैठक आयोजित करने के लिए ट्रंप को धन्यवाद दिया और कहा कि अरब नेता इस संघर्ष को खत्म करने के लिए उन पर भरोसा करते हैं। उन्होंने ट्रंप से कहा, ”हम यहां सिर्फ इसलिए हैं कि युद्ध रोकें और बंधकों को वापस लाएं। हम इस युद्ध को खत्म करने और गाजा के लोगों की मदद करने के लिए आप और आपके नेतृत्व पर भरोसा करते हैं।” बैठक खत्म होने के बाद ट्रंप ने पत्रकारों के सवालों का जवाब नहीं दिया, लेकिन कहा कि बैठक बहुत अच्छी हुई। ट्रंप से मिलने आज वाशिंगटन जाएंगे शहबाज पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ गुरुवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलने के लिए कुछ समय के लिए न्यूयार्क से वाशिंगटन जाएंगे। यह जुलाई, 2019 के बाद व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के बीच पहली मुलाकात होगी। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान खान राष्ट्रपति ट्रंप से मिले थे। ट्रंप के उत्तराधिकारी जो बाइडन ने अपने कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान को पूरी तरह नजरअंदाज किया था और उन्होंने किसी भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री से फोन पर भी बात नहीं की थी।
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