CJI रहते नेपाल की अंतरिम पीएम के वो चर्चित फैसले, जो उन्हें लाए सुर्खियों में
Last Updated: September 14, 2025, 12:06 IST Sushila Karki: सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री बनीं. वह हमेशा सीजेआई रहते अपने भ्रष्टाचार विरोधी रुख और ऐतिहासिक फैसलों से सुर्खियों में रहीं. कार्की को नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनके कार्यकाल के लिए याद किया जाता है. Sushila Karki: काठमांडू अपने अशांत राजनीतिक इतिहास में एक नए अध्याय की शुरुआत करने की तैयारी कर रहा है. भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के मुद्दे पर हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच केपी ओली के नेपाल के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. उसके कुछ दिनों बाद पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की ने शुक्रवार को देश की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली. एक प्रतिष्ठित न्यायविद और लेखिका कार्की को भ्रष्टाचार पर अपने कड़े रुख के कारण प्रमुख ‘वी नेपाली ग्रुप’ सहित अधिकांश जेनरेशन जेड समूहों का भरपूर समर्थन प्राप्त हुआ. नेपाल का ताजा आंदोलन भ्रष्टाचार और डिजिटल स्वतंत्रता पर प्रतिबंधों के प्रति असंतोष से प्रेरित था. जिसने नेपाल भर में हजारों युवाओं को लामबंद कर दिया. 5,000 से ज्यादा सदस्यों की एक महत्वपूर्ण बैठक में सुशीला कार्की की नियुक्ति का बहुमत से निर्णय लिया गया.
अदालत से राजनीति तक का सफर
कार्की कोई पेशेवर राजनीतिज्ञ नहीं हैं, लेकिन उन्हें जुलाई 2016 से जून 2017 तक नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनके कार्यकाल के लिए याद किया जाता है. भ्रष्टाचार के प्रति अपनी जीरो टॉलरेंस के लिए जानी जाने वाली कार्की ने न्यायाधीश के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान सम्मान और तीखा विरोध दोनों अर्जित किया. उनकी स्वच्छ प्रतिष्ठा ने उन्हें राजनीतिक सुर्खियों में ला दिया. क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने उनसे अंतरिम प्रशासन का नेतृत्व करने की मांग की थी. उनकी पदोन्नति की तुलना नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस से की जा रही है, जिन्हें पिछले साल शेख हसीना को सत्ता से बेदखल करने वाले छात्र-नेतृत्व वाले विद्रोह के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए आमंत्रित किया गया था.
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विरोध प्रदर्शनों ने उनका मार्ग किया प्रशस्त
कार्की का अंतिरम प्रधानमंत्री के तौर पर चयन नेपाल में पिछले कुछ समय के सबसे भीषण विरोध प्रदर्शनों के बाद हुआ है. कर्फ्यू का उल्लंघन करने वाले प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की गोलीबारी में कम से कम 51 लोग मारे गए और 1,300 से ज्यादा घायल हुए. यह अशांति ओली द्वारा सोशल मीडिया पर देशव्यापी प्रतिबंध लगाने के बाद शुरू हुई थी, जिसे व्यापक रूप से असहमति को दबाने के प्रयास के रूप में देखा गया. पुलिस ने पुष्टि की है कि हताहतों में 21 प्रदर्शनकारी, नौ कैदी, तीन अधिकारी और 18 अन्य लोग शामिल हैं. परिवार अभी भी काठमांडू के अस्पतालों से अपने परिजनों के शव निकाल रहे हैं. शुक्रवार को राजधानी के कुछ हिस्सों में दुकानें पुनः खुल गईं, सैनिक सड़कों से हटने लगे. राइफलों के स्थान पर लाठियां लेकर पुलिस प्रमुख चौराहों पर निगरानी रखने लगी.
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मंत्री को भ्रष्टाचार में भेजा जेल
भ्रष्टाचार के विरुद्ध अडिग रुख रखने वाली निडर न्यायाधीश के रूप में कार्की की प्रतिष्ठा ने कानूनी प्रणाली में उनके करियर को परिभाषित किया है. उन्होंने 1979 में विराटनगर में एक वकील के रूप में अपना कानूनी करियर शुरू किया और अंततः न्यायपालिका के माध्यम से आगे बढ़ते हुए 2016 में नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश के रूप में काम किया. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने ऐतिहासिक फैसले सुनाए और संवेदनशील मामलों की अध्यक्षता की. जिनमें हाई-प्रोफाइल भ्रष्टाचार के मामले और महिलाओं के नागरिकता अधिकारों पर फैसले शामिल थे. उनके सबसे उल्लेखनीय कामों में से एक कार्की ने 2012 में तत्कालीन सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री जय प्रकाश गुप्ता को दोषी करार दिए जाने का काम किया था. यह पहली बार था जब नेपाल में किसी वर्तमान मंत्री को भ्रष्टाचार के लिए जेल भेजा गया था.
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न्यायिक करियर में लगातार बढ़ती रहीं
1952 में पूर्वी नेपाल के एक किसान परिवार में जन्मी कार्की ने 1972 में महेंद्र मोरंग परिसर से बी.ए., 1975 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएशन और 1978 में त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की. धरान में महेंद्र मल्टीपल कैंपस में कुछ समय तक पढ़ाने के बाद उन्होंने विराटनगर में अपनी कानूनी प्रैक्टिस शुरू की. कानूनी क्षेत्र में कार्की लगातार उन्नति करती रहीं। उन्होंने 1988 से 1990 तक कोशी जोनल बार की अध्यक्ष के रूप में अध्यक्षता की. बाद में 2002 से 2004 तक विराटनगर अपीलीय बार की अध्यक्ष रहीं. 19 दिसंबर, 2004 को उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में मान्यता दी गयी. पांच साल बाद जनवरी 2009 में उन्हें सर्वोच्च न्यायालय का अस्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया. नवंबर 2010 में उनका पद स्थायी कर दिया गया. 2016 में, कार्की मुख्य न्यायाधीश बनीं.
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उनके खिलाफ लाया गया महाभियोग प्रस्ताव
सुशीला कार्की के न्यायिक फैसलों ने अक्सर उन्हें कार्यपालिका के साथ टकराव में डाल दिया. अप्रैल 2017 में उनका कार्यकाल तब छोटा हो गया जब नेपाली कांग्रेस और माओवादी केंद्र के सांसदों ने भ्रष्टाचार से संबंधित एक फैसले में पक्षपात का हवाला देते हुए उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव दायर किया. उन्हें तुरंत निलंबित कर दिया गया, लेकिन जनता के विरोध और सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद प्रस्ताव वापस ले लिया गया. उसी वर्ष जून में सेवानिवृत्त होने से पहले वह कुछ समय के लिए पद पर लौटीं. कार्की ने शांति मिशनों में भ्रष्टाचार पर भी ध्यान दिया और प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर निर्णय दिया. साथ ही नेपाली महिलाओं को अपने बच्चों को नागरिकता देने में सक्षम बनाने जैसे प्रगतिशील निर्णय भी जारी किए. उन पर कार्यपालिका की शक्तियों में हस्तक्षेप का आरोप लगाया गया था, खासकर पुलिस प्रमुख की नियुक्ति के विवाद में.
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भारत से कैसा रहा है जुड़ाव
वाराणसी में पढ़ाई के दौरान कार्की की मुलाकात नेपाली कांग्रेस के युवा नेता दुर्गा प्रसाद सुबेदी से हुई, जो आगे चलकर उनके पति बने. सुबेदी 1973 में सरकारी बैंक की धनराशि ले जा रहे नेपाल एयरलाइंस के एक विमान के अपहरण में शामिल लोगों में से एक थे. यह धनराशि राजशाही के विरुद्ध पार्टी के सशस्त्र संघर्ष के लिए धन जुटाने हेतु गिरिजा प्रसाद कोइराला को सौंप दी गई थी. 1980 के जनमत संग्रह से पहले नेपाल लौटने से पहले सुबेदी और अन्य लोगों को भारत में जेल में डाल दिया गया था. बाद में कार्की ने उन्हें ‘संकट और हर समय में अपना सबसे भरोसेमंद दोस्त और मार्गदर्शक’ कहा था.
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कार्की ने भारत के बारे में क्या कहा?
सुशीला कार्की ने न्यूज18 को दिए एक साक्षात्कार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी अपेक्षाओं के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा, “मैं मोदी जी का अभिवादन करती हूं. मोदी जी के बारे में मेरी अच्छी राय है.” कार्की ने कहा, ‘‘हम कई दिनों से भारत के संपर्क में नहीं हैं. हम इस बारे में बात करेंगे. जब यह अंतरराष्ट्रीय मामला होता है, दो देशों के बीच, तो कुछ लोग साथ बैठकर नीति बनाते हैं.” उन्होंने कहा कि सरकार-दर-सरकार संबंध एक अलग मामला है. लेकिन नेपाल के लोगों और भारत के लोगों के बीच बहुत अच्छे संबंध हैं. यह बहुत अच्छा रिश्ता है. हमारे कई रिश्तेदार, हमारे कई परिचित… हमारे बीच बहुत सद्भावना और प्रेम है.”
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कहा-आज भी याद है गंगा नदी
बीएचयू में बिताए अपने दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा, “मुझे आज भी अपने शिक्षक और दोस्त याद हैं. मुझे गंगा नदी आज भी याद है. गंगा के किनारे एक छात्रावास था. और गर्मियों में रात में हम छत पर सोते थे.” भारत से अपेक्षाओं पर बोलते हुए कार्की ने कहा, “भारत ने हर समय नेपाल की मदद की है. हम बहुत करीब हैं… (लेकिन) एक कहावत है (हिंदी में): ‘जब रसोई में बर्तन एक साथ रखे जाते हैं, तो वे कुछ आवाज करते हैं. ऐसा होता है।” उन्होंने नेपाल में भारतीयों की सुरक्षा का भी आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि सेना ने अब व्यवस्था बहाल करने के लिए काम किया है. उन्होंने कहा कि मारे गए लोगों के परिवारों को न्याय मिलेगा. न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें। Location : New Delhi, Delhi First Published : September 13, 2025, 13:27 IST homeknowledge CJI रहते नेपाल की अंतरिम पीएम के वो चर्चित फैसले, जो उन्हें लाए सुर्खियों में