अमेरिका-पाकिस्तान और चीन-बांग्लादेश की डिफेंस डील से भारत के लिए दोहरा संकट, जनियेक्य होनी चाहिए
भारत के पड़ोसी देशों के बीच हथियारों की होड़ तेज़ हो रही है। एक ओर, अमेरिका पाकिस्तान को AIM-120 नामक उन्नत हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें देने की तैयारी कर रहा है। दूसरी ओर, चीन बांग्लादेश को 20 नए लड़ाकू विमान बेचने वाला है। ये दोनों ही घटनाएँ भारत के लिए चिंता का विषय बन गई हैं और भारत की सुरक्षा के लिए नई चुनौतियाँ खड़ी कर सकती हैं।
नया अमेरिका-पाकिस्तान समझौता: पाकिस्तान की वायु शक्ति बढ़ाने वाली मिसाइलें पाकिस्तान और अमेरिका के बीच संबंधों में सुधार हो रहा है। मई में भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिनों तक चले सैन्य गतिरोध के बाद, दोनों देशों के बीच बातचीत बढ़ी है। अमेरिका पाकिस्तान को AIM-120 AMRAAM मिसाइलें देने की योजना बना रहा है। ये मिसाइलें अत्यधिक उन्नत हैं और दूर से ही हवा में दुश्मन के विमानों को नष्ट कर सकती हैं।
अमेरिकी रक्षा विभाग ने हाल ही में एक बड़ा अनुबंध जारी किया है, जिसमें रेथियॉन कंपनी को C8 और D3 मिसाइलों के लिए अतिरिक्त 41.6 मिलियन डॉलर दिए गए हैं। अब कुल सौदे का मूल्य 2.51 बिलियन डॉलर है। इसमें पाकिस्तान, ब्रिटेन, पोलैंड, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया समेत कई देश शामिल हैं। यह काम मई 2030 तक पूरा होने वाला है।
पाकिस्तान को कितनी मिसाइलें मिलेंगी, यह स्पष्ट नहीं है। हालाँकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इनका उद्देश्य पाकिस्तानी वायु सेना के F-16 विमानों को उन्नत करना है। पाकिस्तान के पास पहले से ही पुराने C5 संस्करण के 500 विमान हैं, जो 2010 में F-16 विमानों के साथ आए थे। नया C8 संस्करण अमेरिकी वायु सेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले AIM-120D का निर्यात मॉडल है।
यह खबर जुलाई में पाकिस्तानी एयर चीफ मार्शल ज़हीर अहमद बाबर के अमेरिकी विदेश विभाग के दौरे के बाद आई है। पाकिस्तान ने मई में हुई झड़पों में हुए युद्धविराम का श्रेय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को दिया है, यहाँ तक कि उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित करने का सुझाव भी दिया है। भारत का कहना है कि दोनों देशों के सैन्य प्रमुखों के बीच सीधी बातचीत के ज़रिए युद्धविराम हुआ था।
चीन-बांग्लादेश सौदा: 20 लड़ाकू विमान बांग्लादेश की वायु सेना का आधुनिकीकरण करेंगे बांग्लादेश चीन से 20 J-10CE लड़ाकू विमान खरीदने वाला है। यह सौदा 2.2 अरब डॉलर का है। इसमें प्रशिक्षण, रखरखाव और अन्य खर्च शामिल हैं। ये विमान 2026-2027 में वितरित किए जाएँगे। भुगतान 2036 तक, 10 वर्षों में किया जाएगा।
J-10CE, चीन के J-10C का निर्यात संस्करण है, जो पहले से ही चीनी वायु सेना में उपयोग में है। प्रत्येक विमान की आधार कीमत 6 करोड़ डॉलर है, यानी 20 विमानों के लिए 1.2 अरब डॉलर। शेष 82 करोड़ डॉलर प्रशिक्षण, उपकरण और शिपिंग पर खर्च किए जाएँगे। बीमा, कर और अन्य खर्चों को मिलाकर कुल राशि 2.2 अरब डॉलर हो जाती है।
बांग्लादेश ने अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है। वित्त सलाहकार सालेहुद्दीन अहमद ने कहा, “मैं कुछ नहीं कहूँगा। सब कुछ बताना ज़रूरी नहीं है।” मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने मार्च में अपनी चीन यात्रा के दौरान इस पर चर्चा की थी। चीन ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी।
बांग्लादेशी सुरक्षा विशेषज्ञ मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) एएनएम मुनिरुज्जमां का कहना है कि वायु सेना को लंबे समय से नए विमानों की ज़रूरत थी, लेकिन यह अभी भी मूल्यांकन के चरण में है। आज दुनिया में एक नया भू-राजनीतिक विभाजन है। किसी भी देश से विमान खरीदने से पहले उसके निहितार्थों पर विचार किया जाना चाहिए।
वर्तमान में, बांग्लादेशी वायु सेना के पास 212 विमान हैं, जिनमें 44 लड़ाकू विमान शामिल हैं। इनमें 36 पुराने चीनी F-7, 8 आधुनिक मिग-29B और कुछ रूसी याक-130 हल्के हमलावर विमान शामिल हैं। ये नए विमान बांग्लादेश की वायु शक्ति को काफ़ी मज़बूत करेंगे। पाकिस्तान ने मई में हुई झड़प में J-10C विमानों का भी इस्तेमाल किया था।
भारत के लिए क्या ख़तरा है? दो मोर्चों पर दबाव बढ़ सकता है
ये दोनों सौदे भारत के लिए सीधी चुनौती हैं। आइए समझते हैं कि भारत को किन जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है… पाकिस्तान से हवाई ख़तरा बढ़ेगा: F-16 विमानों पर AIM-120 मिसाइलें लगाई जाएँगी। ये 100 किलोमीटर दूर से भारतीय विमानों को निशाना बना सकती हैं। पाकिस्तान ने 2019 के बालाकोट हवाई हमले में भारतीय मिग-21 को मार गिराने के लिए इसी तरह की मिसाइल का इस्तेमाल किया था, जिसमें विंग कमांडर अभिनंदन को पकड़ लिया गया था। नई मिसाइलें पाकिस्तानी वायु सेना को और मज़बूत करेंगी। भारत की पश्चिमी सीमा पर हवाई टकराव का ख़तरा बढ़ जाएगा। F-16 पहले से ही भारत के लिए एक समस्या हैं, और अपग्रेड उन्हें और भी ख़तरनाक बना देंगे।
बांग्लादेश पूर्वी मोर्चे को कमज़ोर कर रहा है: बांग्लादेश के नए J-10CE जेट विमानों में चीनी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। ये तेज़, आधुनिक और बहुउद्देशीय हैं। ये बांग्लादेश के पुराने F-7 जेट विमानों की जगह लेंगे। भारत की पूर्वी सीमा लंबी है। अगर बांग्लादेश की वायुसेना मज़बूत होती है, तो भारत को दो मोर्चों (पाकिस्तान और चीन) के युद्ध के अलावा एक तीसरे मोर्चे का भी सामना करना पड़ सकता है। चीन बांग्लादेश को हथियार देकर भारत को घेरने की कोशिश कर रहा है।
भू-राजनीतिक जोखिम: अमेरिका पाकिस्तान का समर्थन करके भारत को संतुलित करने की कोशिश कर रहा है। चीन बांग्लादेश को अपने पाले में ला रहा है। इससे दक्षिण एशिया में तनाव बढ़ेगा। भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति प्रभावित होगी। अगर इन हथियारों का कभी इस्तेमाल हुआ, तो भारत की वायु रक्षा को चुनौती मिलेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को अपनी वायुसेना को और मज़बूत करना होगा। राफेल और S-400 जैसे हथियार पहले से ही उपलब्ध हैं, लेकिन और निवेश ज़रूरी है। पड़ोसियों को साधने के लिए कूटनीति भी ज़रूरी होगी।
ये सौदे बताते हैं कि दक्षिण एशिया में हथियारों का खेल तेज़ हो रहा है। भारत को अब एक नई रणनीति बनानी होगी। अपनी सुरक्षा व्यवस्था को उन्नत करना, पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखना और अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों (जैसे क्वाड) से मदद लेना। ये चुनौतियाँ हैं, लेकिन भारत अपनी ताकत से इनसे निपट सकता है।