आ गया दिमाग की थकान नापने वाला मीटर! एक टैटू खोलेगा लोगों के बुद्धि की गुधी

जिस तरह शरीर भारी काम करने के बाद थक जाता है, ठीक वैसे ही दिमाग भी थकता है, लेकिन इस मानसिक थकान को पहचानना कठिन होता है। यही कारण है कि कई बार इंसान मानसिक रूप से थक जाता है, फिर भी खुद को काम में झोंके रहता है, जिससे तनाव, चिड़चिड़ापन और कार्यक्षमता में कमी आ जाती है। अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो दिमाग की थकान को माप सकती है — वो भी सिर्फ एक टैटू की मदद से।

माथे पर लगेगा इलेक्ट्रॉनिक टैटू, बताएगा दिमाग की हालत अमेरिका के टेक्सास विश्वविद्यालय की एक टीम ने एक इलेक्ट्रॉनिक टैटू विकसित किया है, जो इंसानी मस्तिष्क की विद्युत गतिविधियों को माप सकता है। यह टैटू माथे पर लगाया जाता है और इसे शरीर पर पहनना बेहद आसान है। यह टैटू पूरी तरह से सुरक्षित और अस्थायी है, यानी इसे किसी भी समय हटाया जा सकता है।

इस तकनीक का उद्देश्य खासकर उन लोगों की मदद करना है, जो मानसिक रूप से अधिक तनावपूर्ण कार्य करते हैं—जैसे कि ट्रक ड्राइवर, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर, मेडिकल स्टाफ और छात्र। यह टैटू EEG (Electroencephalography) और EOG (Electrooculography) की मदद से मस्तिष्क की तरंगों और आंखों की गति को ट्रैक करता है।

वैज्ञानिकों ने क्यों महसूस की इस तकनीक की जरूरत? टेक्सास यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर नान्शु लू के अनुसार, आज की तेज़ी से भागती दुनिया में हमारी सोचने और निर्णय लेने की क्षमता कई बार तकनीक की गति का साथ नहीं दे पाती। नतीजा यह होता है कि व्यक्ति मानसिक रूप से थक जाता है, लेकिन वह इसे पहचान नहीं पाता।
प्रो. लू कहती हैं कि हर इंसान का “गोल्डीलॉक्स ज़ोन” होता है—यानि एक ऐसा संतुलन जिसमें वह मानसिक रूप से सबसे बेहतर प्रदर्शन करता है। लेकिन यह संतुलन हर किसी के लिए अलग होता है। इस टैटू की मदद से यह समझा जा सकता है कि व्यक्ति किस स्थिति में मानसिक रूप से स्थिर और सक्रिय रहता है।

कितनी है इस तकनीक की लागत? यह इलेक्ट्रॉनिक टैटू कम लागत में अत्याधुनिक जानकारी प्रदान करता है। इसकी बैटरी और चिप का सेट लगभग 200 डॉलर (लगभग 17,000 रुपये) में आता है, जबकि डिस्पोजेबल सेंसर सिर्फ 20 डॉलर (लगभग 1,700 रुपये) के हैं। इसके मुकाबले पारंपरिक EEG मशीन की कीमत 15,000 डॉलर (करीब 13 लाख रुपये) तक होती है, जो आम लोगों की पहुंच से बाहर है।
पहले कैसे मापी जाती थी मेंटल फटीग? इससे पहले मानसिक थकान को मापने के लिए NASA Task Load Index (NASA-TLX) जैसे टूल्स का उपयोग होता था। यह एक लंबा और व्यक्तिगत सर्वे होता है, जिसमें व्यक्ति को खुद अपनी थकान, ध्यान क्षमता और मानसिक बोझ का आकलन करना होता है। यह तरीका न सिर्फ समय लेने वाला है बल्कि इसमें सटीकता की भी कमी होती है।
अब यही काम यह छोटा-सा टैटू कर सकता है — वह भी रीयल टाइम में और सटीकता के साथ।
भविष्य की संभावना इस तकनीक के आने से यह संभव होगा कि स्कूलों, फैक्ट्रियों, ट्रैफिक नियंत्रण कक्षों, अस्पतालों और अन्य संस्थानों में मानसिक थकान को पहचान कर समय रहते उपाय किए जा सकें। यह टैटू खासतौर पर मशीनों और इंसानों के बीच तालमेल बढ़ाने में मदद कर सकता है।
यह आविष्कार यह साबित करता है कि भविष्य में तकनीक का उपयोग सिर्फ मशीनों को चलाने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह हमारी भावनाओं, थकान और स्वास्थ्य को भी बेहतर तरीके से समझने का माध्यम बन जाएगा।
जिस तरह शरीर भारी काम करने के बाद थक जाता है, ठीक वैसे ही दिमाग भी थकता है, लेकिन इस मानसिक थकान को पहचानना कठिन होता है। यही कारण है कि कई बार इंसान मानसिक रूप से थक जाता है, फिर भी खुद को काम में झोंके रहता है, जिससे तनाव, चिड़चिड़ापन और कार्यक्षमता में कमी आ जाती है। अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो दिमाग की थकान को माप सकती है — वो भी सिर्फ एक टैटू की मदद से।
माथे पर लगेगा इलेक्ट्रॉनिक टैटू, बताएगा दिमाग की हालत अमेरिका के टेक्सास विश्वविद्यालय की एक टीम ने एक इलेक्ट्रॉनिक टैटू विकसित किया है, जो इंसानी मस्तिष्क की विद्युत गतिविधियों को माप सकता है। यह टैटू माथे पर लगाया जाता है और इसे शरीर पर पहनना बेहद आसान है। यह टैटू पूरी तरह से सुरक्षित और अस्थायी है, यानी इसे किसी भी समय हटाया जा सकता है।
इस तकनीक का उद्देश्य खासकर उन लोगों की मदद करना है, जो मानसिक रूप से अधिक तनावपूर्ण कार्य करते हैं—जैसे कि ट्रक ड्राइवर, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर, मेडिकल स्टाफ और छात्र। यह टैटू EEG (Electroencephalography) और EOG (Electrooculography) की मदद से मस्तिष्क की तरंगों और आंखों की गति को ट्रैक करता है।
वैज्ञानिकों ने क्यों महसूस की इस तकनीक की जरूरत? टेक्सास यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर नान्शु लू के अनुसार, आज की तेज़ी से भागती दुनिया में हमारी सोचने और निर्णय लेने की क्षमता कई बार तकनीक की गति का साथ नहीं दे पाती। नतीजा यह होता है कि व्यक्ति मानसिक रूप से थक जाता है, लेकिन वह इसे पहचान नहीं पाता।
प्रो. लू कहती हैं कि हर इंसान का “गोल्डीलॉक्स ज़ोन” होता है—यानि एक ऐसा संतुलन जिसमें वह मानसिक रूप से सबसे बेहतर प्रदर्शन करता है। लेकिन यह संतुलन हर किसी के लिए अलग होता है। इस टैटू की मदद से यह समझा जा सकता है कि व्यक्ति किस स्थिति में मानसिक रूप से स्थिर और सक्रिय रहता है।
कितनी है इस तकनीक की लागत? यह इलेक्ट्रॉनिक टैटू कम लागत में अत्याधुनिक जानकारी प्रदान करता है। इसकी बैटरी और चिप का सेट लगभग 200 डॉलर (लगभग 17,000 रुपये) में आता है, जबकि डिस्पोजेबल सेंसर सिर्फ 20 डॉलर (लगभग 1,700 रुपये) के हैं। इसके मुकाबले पारंपरिक EEG मशीन की कीमत 15,000 डॉलर (करीब 13 लाख रुपये) तक होती है, जो आम लोगों की पहुंच से बाहर है।
पहले कैसे मापी जाती थी मेंटल फटीग? इससे पहले मानसिक थकान को मापने के लिए NASA Task Load Index (NASA-TLX) जैसे टूल्स का उपयोग होता था। यह एक लंबा और व्यक्तिगत सर्वे होता है, जिसमें व्यक्ति को खुद अपनी थकान, ध्यान क्षमता और मानसिक बोझ का आकलन करना होता है। यह तरीका न सिर्फ समय लेने वाला है बल्कि इसमें सटीकता की भी कमी होती है।
अब यही काम यह छोटा-सा टैटू कर सकता है — वह भी रीयल टाइम में और सटीकता के साथ।
भविष्य की संभावना इस तकनीक के आने से यह संभव होगा कि स्कूलों, फैक्ट्रियों, ट्रैफिक नियंत्रण कक्षों, अस्पतालों और अन्य संस्थानों में मानसिक थकान को पहचान कर समय रहते उपाय किए जा सकें। यह टैटू खासतौर पर मशीनों और इंसानों के बीच तालमेल बढ़ाने में मदद कर सकता है।
यह आविष्कार यह साबित करता है कि भविष्य में तकनीक का उपयोग सिर्फ मशीनों को चलाने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह हमारी भावनाओं, थकान और स्वास्थ्य को भी बेहतर तरीके से समझने का माध्यम बन जाएगा।
जिस तरह शरीर भारी काम करने के बाद थक जाता है, ठीक वैसे ही दिमाग भी थकता है, लेकिन इस मानसिक थकान को पहचानना कठिन होता है। यही कारण है कि कई बार इंसान मानसिक रूप से थक जाता है, फिर भी खुद को काम में झोंके रहता है, जिससे तनाव, चिड़चिड़ापन और कार्यक्षमता में कमी आ जाती है। अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो दिमाग की थकान को माप सकती है — वो भी सिर्फ एक टैटू की मदद से।
माथे पर लगेगा इलेक्ट्रॉनिक टैटू, बताएगा दिमाग की हालत अमेरिका के टेक्सास विश्वविद्यालय की एक टीम ने एक इलेक्ट्रॉनिक टैटू विकसित किया है, जो इंसानी मस्तिष्क की विद्युत गतिविधियों को माप सकता है। यह टैटू माथे पर लगाया जाता है और इसे शरीर पर पहनना बेहद आसान है। यह टैटू पूरी तरह से सुरक्षित और अस्थायी है, यानी इसे किसी भी समय हटाया जा सकता है।
इस तकनीक का उद्देश्य खासकर उन लोगों की मदद करना है, जो मानसिक रूप से अधिक तनावपूर्ण कार्य करते हैं—जैसे कि ट्रक ड्राइवर, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर, मेडिकल स्टाफ और छात्र। यह टैटू EEG (Electroencephalography) और EOG (Electrooculography) की मदद से मस्तिष्क की तरंगों और आंखों की गति को ट्रैक करता है।
वैज्ञानिकों ने क्यों महसूस की इस तकनीक की जरूरत? टेक्सास यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर नान्शु लू के अनुसार, आज की तेज़ी से भागती दुनिया में हमारी सोचने और निर्णय लेने की क्षमता कई बार तकनीक की गति का साथ नहीं दे पाती। नतीजा यह होता है कि व्यक्ति मानसिक रूप से थक जाता है, लेकिन वह इसे पहचान नहीं पाता।
प्रो. लू कहती हैं कि हर इंसान का “गोल्डीलॉक्स ज़ोन” होता है—यानि एक ऐसा संतुलन जिसमें वह मानसिक रूप से सबसे बेहतर प्रदर्शन करता है। लेकिन यह संतुलन हर किसी के लिए अलग होता है। इस टैटू की मदद से यह समझा जा सकता है कि व्यक्ति किस स्थिति में मानसिक रूप से स्थिर और सक्रिय रहता है।
कितनी है इस तकनीक की लागत? यह इलेक्ट्रॉनिक टैटू कम लागत में अत्याधुनिक जानकारी प्रदान करता है। इसकी बैटरी और चिप का सेट लगभग 200 डॉलर (लगभग 17,000 रुपये) में आता है, जबकि डिस्पोजेबल सेंसर सिर्फ 20 डॉलर (लगभग 1,700 रुपये) के हैं। इसके मुकाबले पारंपरिक EEG मशीन की कीमत 15,000 डॉलर (करीब 13 लाख रुपये) तक होती है, जो आम लोगों की पहुंच से बाहर है।
पहले कैसे मापी जाती थी मेंटल फटीग? इससे पहले मानसिक थकान को मापने के लिए NASA Task Load Index (NASA-TLX) जैसे टूल्स का उपयोग होता था। यह एक लंबा और व्यक्तिगत सर्वे होता है, जिसमें व्यक्ति को खुद अपनी थकान, ध्यान क्षमता और मानसिक बोझ का आकलन करना होता है। यह तरीका न सिर्फ समय लेने वाला है बल्कि इसमें सटीकता की भी कमी होती है।
अब यही काम यह छोटा-सा टैटू कर सकता है — वह भी रीयल टाइम में और सटीकता के साथ।
भविष्य की संभावना इस तकनीक के आने से यह संभव होगा कि स्कूलों, फैक्ट्रियों, ट्रैफिक नियंत्रण कक्षों, अस्पतालों और अन्य संस्थानों में मानसिक थकान को पहचान कर समय रहते उपाय किए जा सकें। यह टैटू खासतौर पर मशीनों और इंसानों के बीच तालमेल बढ़ाने में मदद कर सकता है।
यह आविष्कार यह साबित करता है कि भविष्य में तकनीक का उपयोग सिर्फ मशीनों को चलाने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह हमारी भावनाओं, थकान और स्वास्थ्य को भी बेहतर तरीके से समझने का माध्यम बन जाएगा।
जिस तरह शरीर भारी काम करने के बाद थक जाता है, ठीक वैसे ही दिमाग भी थकता है, लेकिन इस मानसिक थकान को पहचानना कठिन होता है। यही कारण है कि कई बार इंसान मानसिक रूप से थक जाता है, फिर भी खुद को काम में झोंके रहता है, जिससे तनाव, चिड़चिड़ापन और कार्यक्षमता में कमी आ जाती है। अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो दिमाग की थकान को माप सकती है — वो भी सिर्फ एक टैटू की मदद से।
माथे पर लगेगा इलेक्ट्रॉनिक टैटू, बताएगा दिमाग की हालत अमेरिका के टेक्सास विश्वविद्यालय की एक टीम ने एक इलेक्ट्रॉनिक टैटू विकसित किया है, जो इंसानी मस्तिष्क की विद्युत गतिविधियों को माप सकता है। यह टैटू माथे पर लगाया जाता है और इसे शरीर पर पहनना बेहद आसान है। यह टैटू पूरी तरह से सुरक्षित और अस्थायी है, यानी इसे किसी भी समय हटाया जा सकता है।
इस तकनीक का उद्देश्य खासकर उन लोगों की मदद करना है, जो मानसिक रूप से अधिक तनावपूर्ण कार्य करते हैं—जैसे कि ट्रक ड्राइवर, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर, मेडिकल स्टाफ और छात्र। यह टैटू EEG (Electroencephalography) और EOG (Electrooculography) की मदद से मस्तिष्क की तरंगों और आंखों की गति को ट्रैक करता है।
वैज्ञानिकों ने क्यों महसूस की इस तकनीक की जरूरत? टेक्सास यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर नान्शु लू के अनुसार, आज की तेज़ी से भागती दुनिया में हमारी सोचने और निर्णय लेने की क्षमता कई बार तकनीक की गति का साथ नहीं दे पाती। नतीजा यह होता है कि व्यक्ति मानसिक रूप से थक जाता है, लेकिन वह इसे पहचान नहीं पाता।
प्रो. लू कहती हैं कि हर इंसान का “गोल्डीलॉक्स ज़ोन” होता है—यानि एक ऐसा संतुलन जिसमें वह मानसिक रूप से सबसे बेहतर प्रदर्शन करता है। लेकिन यह संतुलन हर किसी के लिए अलग होता है। इस टैटू की मदद से यह समझा जा सकता है कि व्यक्ति किस स्थिति में मानसिक रूप से स्थिर और सक्रिय रहता है।
कितनी है इस तकनीक की लागत? यह इलेक्ट्रॉनिक टैटू कम लागत में अत्याधुनिक जानकारी प्रदान करता है। इसकी बैटरी और चिप का सेट लगभग 200 डॉलर (लगभग 17,000 रुपये) में आता है, जबकि डिस्पोजेबल सेंसर सिर्फ 20 डॉलर (लगभग 1,700 रुपये) के हैं। इसके मुकाबले पारंपरिक EEG मशीन की कीमत 15,000 डॉलर (करीब 13 लाख रुपये) तक होती है, जो आम लोगों की पहुंच से बाहर है।
पहले कैसे मापी जाती थी मेंटल फटीग? इससे पहले मानसिक थकान को मापने के लिए NASA Task Load Index (NASA-TLX) जैसे टूल्स का उपयोग होता था। यह एक लंबा और व्यक्तिगत सर्वे होता है, जिसमें व्यक्ति को खुद अपनी थकान, ध्यान क्षमता और मानसिक बोझ का आकलन करना होता है। यह तरीका न सिर्फ समय लेने वाला है बल्कि इसमें सटीकता की भी कमी होती है।
अब यही काम यह छोटा-सा टैटू कर सकता है — वह भी रीयल टाइम में और सटीकता के साथ।
भविष्य की संभावना इस तकनीक के आने से यह संभव होगा कि स्कूलों, फैक्ट्रियों, ट्रैफिक नियंत्रण कक्षों, अस्पतालों और अन्य संस्थानों में मानसिक थकान को पहचान कर समय रहते उपाय किए जा सकें। यह टैटू खासतौर पर मशीनों और इंसानों के बीच तालमेल बढ़ाने में मदद कर सकता है।
यह आविष्कार यह साबित करता है कि भविष्य में तकनीक का उपयोग सिर्फ मशीनों को चलाने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह हमारी भावनाओं, थकान और स्वास्थ्य को भी बेहतर तरीके से समझने का माध्यम बन जाएगा।
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माथे पर लगेगा इलेक्ट्रॉनिक टैटू, बताएगा दिमाग की हालत अमेरिका के टेक्सास विश्वविद्यालय की एक टीम ने एक इलेक्ट्रॉनिक टैटू विकसित किया है, जो इंसानी मस्तिष्क की विद्युत गतिविधियों को माप सकता है। यह टैटू माथे पर लगाया जाता है और इसे शरीर पर पहनना बेहद आसान है। यह टैटू पूरी तरह से सुरक्षित और अस्थायी है, यानी इसे किसी भी समय हटाया जा सकता है।
इस तकनीक का उद्देश्य खासकर उन लोगों की मदद करना है, जो मानसिक रूप से अधिक तनावपूर्ण कार्य करते हैं—जैसे कि ट्रक ड्राइवर, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर, मेडिकल स्टाफ और छात्र। यह टैटू EEG (Electroencephalography) और EOG (Electrooculography) की मदद से मस्तिष्क की तरंगों और आंखों की गति को ट्रैक करता है।
वैज्ञानिकों ने क्यों महसूस की इस तकनीक की जरूरत? टेक्सास यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर नान्शु लू के अनुसार, आज की तेज़ी से भागती दुनिया में हमारी सोचने और निर्णय लेने की क्षमता कई बार तकनीक की गति का साथ नहीं दे पाती। नतीजा यह होता है कि व्यक्ति मानसिक रूप से थक जाता है, लेकिन वह इसे पहचान नहीं पाता।
प्रो. लू कहती हैं कि हर इंसान का “गोल्डीलॉक्स ज़ोन” होता है—यानि एक ऐसा संतुलन जिसमें वह मानसिक रूप से सबसे बेहतर प्रदर्शन करता है। लेकिन यह संतुलन हर किसी के लिए अलग होता है। इस टैटू की मदद से यह समझा जा सकता है कि व्यक्ति किस स्थिति में मानसिक रूप से स्थिर और सक्रिय रहता है।
कितनी है इस तकनीक की लागत? यह इलेक्ट्रॉनिक टैटू कम लागत में अत्याधुनिक जानकारी प्रदान करता है। इसकी बैटरी और चिप का सेट लगभग 200 डॉलर (लगभग 17,000 रुपये) में आता है, जबकि डिस्पोजेबल सेंसर सिर्फ 20 डॉलर (लगभग 1,700 रुपये) के हैं। इसके मुकाबले पारंपरिक EEG मशीन की कीमत 15,000 डॉलर (करीब 13 लाख रुपये) तक होती है, जो आम लोगों की पहुंच से बाहर है।
पहले कैसे मापी जाती थी मेंटल फटीग? इससे पहले मानसिक थकान को मापने के लिए NASA Task Load Index (NASA-TLX) जैसे टूल्स का उपयोग होता था। यह एक लंबा और व्यक्तिगत सर्वे होता है, जिसमें व्यक्ति को खुद अपनी थकान, ध्यान क्षमता और मानसिक बोझ का आकलन करना होता है। यह तरीका न सिर्फ समय लेने वाला है बल्कि इसमें सटीकता की भी कमी होती है।
अब यही काम यह छोटा-सा टैटू कर सकता है — वह भी रीयल टाइम में और सटीकता के साथ।
भविष्य की संभावना इस तकनीक के आने से यह संभव होगा कि स्कूलों, फैक्ट्रियों, ट्रैफिक नियंत्रण कक्षों, अस्पतालों और अन्य संस्थानों में मानसिक थकान को पहचान कर समय रहते उपाय किए जा सकें। यह टैटू खासतौर पर मशीनों और इंसानों के बीच तालमेल बढ़ाने में मदद कर सकता है।
यह आविष्कार यह साबित करता है कि भविष्य में तकनीक का उपयोग सिर्फ मशीनों को चलाने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह हमारी भावनाओं, थकान और स्वास्थ्य को भी बेहतर तरीके से समझने का माध्यम बन जाएगा।
जिस तरह शरीर भारी काम करने के बाद थक जाता है, ठीक वैसे ही दिमाग भी थकता है, लेकिन इस मानसिक थकान को पहचानना कठिन होता है। यही कारण है कि कई बार इंसान मानसिक रूप से थक जाता है, फिर भी खुद को काम में झोंके रहता है, जिससे तनाव, चिड़चिड़ापन और कार्यक्षमता में कमी आ जाती है। अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो दिमाग की थकान को माप सकती है — वो भी सिर्फ एक टैटू की मदद से।
माथे पर लगेगा इलेक्ट्रॉनिक टैटू, बताएगा दिमाग की हालत अमेरिका के टेक्सास विश्वविद्यालय की एक टीम ने एक इलेक्ट्रॉनिक टैटू विकसित किया है, जो इंसानी मस्तिष्क की विद्युत गतिविधियों को माप सकता है। यह टैटू माथे पर लगाया जाता है और इसे शरीर पर पहनना बेहद आसान है। यह टैटू पूरी तरह से सुरक्षित और अस्थायी है, यानी इसे किसी भी समय हटाया जा सकता है।
इस तकनीक का उद्देश्य खासकर उन लोगों की मदद करना है, जो मानसिक रूप से अधिक तनावपूर्ण कार्य करते हैं—जैसे कि ट्रक ड्राइवर, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर, मेडिकल स्टाफ और छात्र। यह टैटू EEG (Electroencephalography) और EOG (Electrooculography) की मदद से मस्तिष्क की तरंगों और आंखों की गति को ट्रैक करता है।
वैज्ञानिकों ने क्यों महसूस की इस तकनीक की जरूरत? टेक्सास यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर नान्शु लू के अनुसार, आज की तेज़ी से भागती दुनिया में हमारी सोचने और निर्णय लेने की क्षमता कई बार तकनीक की गति का साथ नहीं दे पाती। नतीजा यह होता है कि व्यक्ति मानसिक रूप से थक जाता है, लेकिन वह इसे पहचान नहीं पाता।
प्रो. लू कहती हैं कि हर इंसान का “गोल्डीलॉक्स ज़ोन” होता है—यानि एक ऐसा संतुलन जिसमें वह मानसिक रूप से सबसे बेहतर प्रदर्शन करता है। लेकिन यह संतुलन हर किसी के लिए अलग होता है। इस टैटू की मदद से यह समझा जा सकता है कि व्यक्ति किस स्थिति में मानसिक रूप से स्थिर और सक्रिय रहता है।
कितनी है इस तकनीक की लागत? यह इलेक्ट्रॉनिक टैटू कम लागत में अत्याधुनिक जानकारी प्रदान करता है। इसकी बैटरी और चिप का सेट लगभग 200 डॉलर (लगभग 17,000 रुपये) में आता है, जबकि डिस्पोजेबल सेंसर सिर्फ 20 डॉलर (लगभग 1,700 रुपये) के हैं। इसके मुकाबले पारंपरिक EEG मशीन की कीमत 15,000 डॉलर (करीब 13 लाख रुपये) तक होती है, जो आम लोगों की पहुंच से बाहर है।
पहले कैसे मापी जाती थी मेंटल फटीग? इससे पहले मानसिक थकान को मापने के लिए NASA Task Load Index (NASA-TLX) जैसे टूल्स का उपयोग होता था। यह एक लंबा और व्यक्तिगत सर्वे होता है, जिसमें व्यक्ति को खुद अपनी थकान, ध्यान क्षमता और मानसिक बोझ का आकलन करना होता है। यह तरीका न सिर्फ समय लेने वाला है बल्कि इसमें सटीकता की भी कमी होती है।
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भविष्य की संभावना इस तकनीक के आने से यह संभव होगा कि स्कूलों, फैक्ट्रियों, ट्रैफिक नियंत्रण कक्षों, अस्पतालों और अन्य संस्थानों में मानसिक थकान को पहचान कर समय रहते उपाय किए जा सकें। यह टैटू खासतौर पर मशीनों और इंसानों के बीच तालमेल बढ़ाने में मदद कर सकता है।
यह आविष्कार यह साबित करता है कि भविष्य में तकनीक का उपयोग सिर्फ मशीनों को चलाने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह हमारी भावनाओं, थकान और स्वास्थ्य को भी बेहतर तरीके से समझने का माध्यम बन जाएगा।