कोलेस्ट्रॉल की दवा खाने से बढ़ जाता है डायबिटीज का खतरा? आखिर इस बात में कितनी सच्चाई, रिसर्च में हुआ खुलासा
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Cholesterol Medicine & Diabetes: कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने के लिए स्टैटिन दवा का इस्तेमाल किया जाता है. कई रिसर्च में पता चला है कि स्टैटिन लेने से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है. इस बारे में चौंकाने वाल…और पढ़ें

स्टैटिन से डायबिटीज का खतरा बढ़ता है, लेकिन उसे कम भी किया जा सकता है.
हाइलाइट्स
- स्टैटिन से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है.
- स्टैटिन हार्ट डिजीज से बचाने में बेहद असरदार होती है.
- कुछ तरीकों से स्टैटिन के साइड इफेक्ट कम हो सकते हैं.
Statins Increase Diabetes Risk: वर्तमान समय में हार्ट डिजीज के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. कम उम्र के लोग भी दिल से जुड़ी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं. बड़ी संख्या में लोग हाई कोलेस्ट्रॉल का सामना कर रहे हैं, जो हार्ट डिजीज का सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर माना जाता है. कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने के लिए डॉक्टर अक्सर स्टैटिन दवा लेने की सलाह देते हैं. यह दवा कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करने के साथ हार्ट डिजीज से बचाने में भी कारगर होती है. हालांकि कई बार माना जाता है कि यह दवा खाने से डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है. क्या वाकई स्टैटिन से डायबिटीज का रिस्क बढ़ सकता है?
नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (NCBI) की रिपोर्ट के मुताबिक स्टैटिन दवा का इस्तेमाल दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा कम करने के लिए किया जाता है. यह दवा कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करके हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों के खतरे को कम करने में मदद करता है. स्टैटिन को हार्ट हेल्थ के लिए फायदेमंद माना जाता है, लेकिन इसके कुछ साइड इफेक्ट भी होते हैं. कई रिसर्च में पता चला है कि स्टैटिन का नियमित उपयोग करने से टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है. टाइप 2 डायबिटीज और कार्डियोवैस्कुलर डिजीज एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. ये दोनों बीमारियां आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारकों से पैदा हो सकती हैं. यही वजह है कि स्टैटिन के असर को समझना बेहद जरूरी है.
2001 में वॉस्कॉप्स ट्रायल के दौरान पहली बार स्टैटिन के सेवन और टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम के बीच कनेक्शन मिला था. इसके बाद इसे लेकर कई स्टडी की गईं, जिनमें इन दोनों के बीच लिंक कंफर्म हो गया. इन अध्ययनों ने यह साफ कर दिया है कि स्टैटिन लंबे समय तक लेने से टाइप 2 डायबिटीज का रिस्क काफी बढ़ जाता है. स्टैटिन लिवर में कोलेस्ट्रॉल के उत्पादन को कम करता है, जिससे इंसुलिन सेंसिटिविटी पर नेगेटिव असर पड़ सकता है. यह दवा पैंक्रियास की बीटा सेल्स के कामकाज को भी प्रभावित कर सकती है. यही सेल्स इंसुलिन प्रोडक्शन के लिए जिम्मेदार होती हैं. ऐसे में स्टैटिन लेने से इंसुलिन सेंसिटिविटी और बीटा सेल्स पर असर पड़ता है, जिससे ब्लड शुगर में बढ़ोतरी हो जाती है. इससे टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है.
स्टैटिन से डायबिटीज का खतरा जरूर बढ़ता है, लेकिन यह दवा हार्ट डिजीज से बचाने में बेहद असरदार होती है. हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो स्टैटिन के फायदे इसके साइड इफेक्ट्स की तुलना में ज्यादा होते हैं. ऐसे में जिन लोगों को हार्ट डिजीज का जोखिम है, उन्हें डॉक्टर की सलाह पर यह दवा लेनी चाहिए. जो लोग स्टैटिन ले रहे हैं, वे डायबिटीज के जोखिम को कम करने के लिए अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव कर सकते हैं, हेल्दी डाइट अपना सकते हैं और रेगुलर एक्सरसाइज कर सकते हैं. इसके अलावा ब्लड शुगर की मॉनिटरिंग कर सकते हैं. इससे स्टैटिन के साइड इफेक्ट कम हो सकते हैं और डायबिटीज से बचा जा सकता है.