कैंसर – यह शब्द सुनते ही मन में भय, अनिश्चितता और दर्द का भाव आ जाता है। यह रोग कभी धीरे-धीरे बढ़ता है तो कभी अचानक से हमला कर देता है। दरअसल, कैंसर हमारी कोशिकाओं की उस प्राकृतिक प्रक्रिया से खिलवाड़ करता है, जो उन्हें सामान्य और अनुशासित ढंग से काम करने का आदेश देती है। यही कारण है कि सामान्य कोशिकाएँ अचानक अनियंत्रित होकर शरीर के लिए विनाशकारी साबित होने लगती हैं। अब तक कैंसर उपचार का मुख्य आधार रहा है – कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करना। इसके लिए कीमोथेरेपी, रेडिएशन और अन्य आक्रामक तरीकों का सहारा लिया जाता रहा है। लेकिन ये उपचार अक्सर शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं को भी नुकसान पहुँचाते हैं। परिणामस्वरूप, रोगियों को थकान, प्रतिरक्षा तंत्र की कमजोरी और कई अन्य दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ता है।

इसी बीच, दक्षिण कोरिया के कोरिया एडवांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (KAIST) के वैज्ञानिकों ने एक नई खोज से उम्मीद जगाई है। उनका कहना है कि कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने की बजाय उन्हें फिर से सामान्य कोशिकाओं में बदला जा सकता है। यह खोज एक नए “मॉलिक्यूलर स्विच” की पहचान से जुड़ी है, जिसे वैज्ञानिकों ने “REVERT” नाम दिया है।

कैंसर की शुरुआत और “टिपिंग पॉइंट” कैंसर बनने से पहले हमारी कोशिकाओं के अंदर कई तरह के आनुवांशिक और एपिजेनेटिक बदलाव होते रहते हैं। धीरे-धीरे ये बदलाव एक “टिपिंग पॉइंट” पर पहुँच जाते हैं – यानी वह क्षण जब कोशिका सामान्य से असामान्य हो जाती है और कैंसर की ओर बढ़ने लगती है। भौतिकी में हम जानते हैं कि पानी 100 डिग्री सेल्सियस पर अचानक भाप में बदल जाता है। कुछ वैसा ही बदलाव कोशिकाओं के अंदर होता है, लेकिन उसे पकड़ पाना बहुत मुश्किल था। अब KAIST के प्रोफेसर क्वांग-ह्यून चो और उनकी टीम ने यह रास्ता ढूंढ़ निकाला है।

REVERT तकनीक: गणित से कैंसर को रोकने की कोशिश वैज्ञानिकों की टीम ने REVERT (REVERse Transition) नामक तकनीक विकसित की है। यह कंप्यूटर आधारित एक गणितीय मॉडल है जो कोशिकाओं के जीन नेटवर्क को समझकर यह पता लगाता है कि कैंसर बनने की प्रक्रिया किस बिंदु पर शुरू होती है। ज़्यादातर कैंसर मॉडल जटिल समीकरणों पर आधारित होते हैं, जिन्हें समझना और लागू करना कठिन होता है। लेकिन REVERT ने इस प्रक्रिया को सरल बना दिया है। इसमें हर जीन को “ऑन” या “ऑफ” की तरह देखा जाता है – यानी हाँ या ना। इस सरल ढाँचे की मदद से वैज्ञानिक यह जान सकते हैं कि कौन-से जीन मिलकर कोशिकाओं को सामान्य रखते हैं और कौन-से उन्हें कैंसर की ओर धकेलते हैं।

कैंसर कोशिकाओं को सामान्य करने वाला “स्विच” शोधकर्ताओं ने सबसे पहले कोलोरेक्टल कैंसर पर यह प्रयोग किया। मरीजों की बायोप्सी से प्राप्त सिंगल-सेल RNA डेटा का विश्लेषण किया गया। इस विश्लेषण में पाया गया कि MYC नामक जीन कैंसर को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाता है। लेकिन केवल MYC को रोकने से पूरी तरह फायदा नहीं हुआ। इसके साथ YY1 नामक दूसरा जीन भी सक्रिय था। जब इन दोनों जीनों को एक “स्विच” की तरह नियंत्रित किया गया, तो कैंसर कोशिकाएँ अचानक सामान्य होने लगीं। प्रोफेसर चो के शब्दों में: 

“हमने ऐसा मॉलिक्यूलर स्विच खोज लिया है जो कैंसर कोशिकाओं को फिर से सामान्य स्थिति में ला सकता है। यह खोज कैंसर की शुरुआत के उस बेहद महत्वपूर्ण क्षण को पकड़ने पर आधारित है, जब कोशिकाएँ स्थायी रूप से कैंसर बनने से पहले की स्थिति में होती हैं।”
लैब से वास्तविक ऊतक तक कंप्यूटर मॉडल के बाद इस तकनीक को वास्तविक ऊतकों पर भी आजमाया गया। इसके लिए सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी ने मरीजों से प्राप्त कोलन ऑर्गेनॉइड्स (कृत्रिम ऊतक नमूने) उपलब्ध कराए। जब वैज्ञानिकों ने इन नमूनों में USP7 नामक एक अन्य जीन की गतिविधि को कम किया, तो परिणाम चौंकाने वाले थे। कैंसर जैसी अव्यवस्थित कोशिकाएँ अचानक अनुशासित ढंग से बढ़ने लगीं। उन्होंने अपने पड़ोसी कोशिकाओं की जगह का सम्मान किया और सामान्य ऊतक जैसी संरचना बनाने लगीं। यह सफलता इस बात का संकेत है कि यह तकनीक भविष्य में कैंसर उपचार का नया विकल्प बन सकती है।
अन्य कैंसरों में संभावनाएँ यह प्रयोग कोलोरेक्टल कैंसर पर किया गया, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तकनीक फेफड़ों और स्तन कैंसर जैसे अन्य कैंसरों पर भी कारगर हो सकती है। क्योंकि लगभग हर कैंसर बनने से पहले एक ऐसी अवस्था से गुजरता है जहाँ कोशिका न पूरी तरह सामान्य होती है और न पूरी तरह कैंसरग्रस्त। यही वह समय है जब REVERT तकनीक कैंसर को रोक सकती है। इसके साथ CRISPR जीन एडिटिंग जैसी आधुनिक तकनीकें मिलकर भविष्य में व्यक्तिगत (पर्सनलाइज्ड) कैंसर उपचार का रास्ता खोल सकती हैं।
कैंसर से आगे भी उपयोगी दिलचस्प बात यह है कि REVERT केवल कैंसर तक सीमित नहीं है। स्टेम-सेल रिसर्च और पुनर्योजी चिकित्सा (Regenerative Medicine) में भी इसका बड़ा उपयोग हो सकता है। स्टेम-सेल वैज्ञानिक जब नई ऊतक या अंग बनाने की कोशिश करते हैं, तब कोशिकाएँ अक्सर गलत दिशा में बढ़ जाती हैं। REVERT जैसी तकनीक उन्हें सही दिशा में रखने में मदद कर सकती है।
आगे की चुनौतियाँ हालाँकि, यह खोज अभी शुरुआती चरण में है। असली चुनौती होगी – इसे क्लीनिकल ट्रायल्स तक ले जाना। क्योंकि शरीर के अंदर कैंसर कोशिकाएँ बहुत तेजी से म्यूटेट (परिवर्तित) होती हैं। हो सकता है कि वे इस स्विच को बायपास कर जाएँ। इसके अलावा, किसी भी नई तकनीक को व्यापक उपयोग से पहले सुरक्षा और स्थायित्व की कसौटी पर खरा उतरना होगा।
उम्मीद की नई किरण दुनिया भर में लाखों लोग कैंसर से जूझ रहे हैं। मौजूदा इलाज, भले ही जीवन बचा लें, लेकिन उनके दुष्प्रभाव अक्सर जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं। ऐसे समय में यह खोज किसी नई रोशनी की तरह है। यदि यह तकनीक सफल होती है, तो भविष्य में कैंसर का इलाज केवल “मारने” पर नहीं बल्कि “सुधारने” पर आधारित होगा। यानी, रोगी को कीमोथेरेपी और रेडिएशन जैसी थकाऊ और हानिकारक प्रक्रियाओं से गुजरने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। REVERT तकनीक और मॉलिक्यूलर स्विच की यह खोज न सिर्फ कैंसर के इलाज का नया अध्याय लिख सकती है बल्कि विज्ञान की उस क्षमता को भी दिखाती है, जहाँ असंभव लगने वाली चीज़ें संभव हो जाती हैं।

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