Rail News बिहार के मुंगेर में अवस्थित जमालपुर रेल कारखाना जल्द ही देश में पहले नंबर पर आ जाएगा। यहां नवंबर 2025 से हर माह 800 वैगनों की मरम्मत होगी। रेल कारखाना के लिए यह बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। मालगाड़ियों के वैगनों की अधिकाधिक मरम्मत के लिए वर्कशाप की संख्या बढ़ाई जा रही है। अभी वैगन मरम्मत झांसी राजस्थान चेन्नई कोटा सहित 19 वर्कशाप में होती है। केएम राज, जमालपुर (मुंगेर)। Jamalpur Locomotive Workshop बिहार के मुंगेर में स्थित जमालपुर रेल कारखाना जल्द ही मालगाड़ियों के वैगनों की मरम्मत में देश में पहले स्थान पर आ जाएगा। कारखाने का कार्यभार बढ़ाया जा रहा है। नवंबर से यहां हर माह 800 वैगनों की मरम्मती होगी। इसके लिए रेलवे से पहले चरण में 80 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। देश में वैगन की मरम्मत लिलुआ, मिदनापुर खड़गपुर, जमालपुर, झांसी, राजस्थान, चेन्नई, कोटा सहित 19 वर्कशाप में होती है। जहां हर माह 650 से 715 वैगन की मरम्मत होती है। रेल कारखाना के मुख्य प्रबंधक विनय वर्णवाल ने बताया कि वैगन मरम्मत में देश में पहला स्थान झांसी वर्कशाप का है। यहां हर माह औसतन 715 वैगनों की मरम्मत होती है। अब इससे अधिक वैगनों की मरम्मत जमालपुर में होगी। वर्तमान में जमालपुर में हर माह 620-650 वैगनों की मरम्मत हो रही है। यहां संसाधन बढ़ाने का काम चल रहा है। सबकुछ ठीक रहा तो नवंबर से यहां वैगन मरम्मत का काम तेज हो जाएगा। इसके लिए वर्कशाप की संख्या भी बढ़ाई जा रही है। एक नजर में रेल कारखाना 1862 में स्थापित हुआ था कारखाना 140 टन भार वाले क्रेन का निर्माण 650 वैगन का मरम्मत अभी हर माह हाइड्रोलिक क्रेन का हो रहा निर्माण जमालपुर रेल कारखाना को भारतीय रेल की रीढ़ माना जाता है। यहां 140 टन भार वाला हाइड्रोलिक क्रेन बनता है। क्रेन की विशेषता है कि वह 90 डिग्री पर काम कर सकता है। देश में रेल दुर्घटना के दौरान बेपटरी हुईं बोगियों को पटरी पर लाने, रेलवे ब्रिज निर्माण व कंटेनर को उतारने-चढ़ाने में जमालपुर में बने क्रेन का ही उपयोग होता है। यहां जैक भी बनता है, जिसका इस्तेमाल रेल हादसे के बाद बचाव कार्य में होता है। साथ ही ओपन ट्रांसपोर्ट बैगन का भी निर्माण होता है। टैंक का निर्माण 2024 में शुरू हुआ जमालपुर रेल कारखाने में बीटीपीएन (बोगी टैंक वैगन पेट्रोल नेफ्था) डीजल-पेट्रोल टैंकर वैगन बन रहा है। इसकी शुरुआत 2024 में हुई है। पहला टैंक बनाने में वर्कशाप को पांच से छह माह का समय लगा। इसके बाद दूसरा टैंक महज दो माह के अंदर तैयार हो गया। इस टैंक का निर्माण पश्चिम बंगाल की जुपिट वैगन प्राइवेट कंपनी कर रही है। बीटीपीएन टैंक वैगन गोलाकार होते हैं। इनका इस्तेमाल तरल पदार्थ जैसे पेट्रोलियम, केरोसिन और डीजल के ट्रांसपोर्ट के लिए किया जाता है। कभी-कभी गैस ट्रांसपोर्ट करने के लिए भी इनका प्रयोग होता है।

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