राफेल-राफेल का रट लगा रही एयर फोर्स, मगर इन सवालों का कौन देगा जवाब, क्या इससे दूर हो जाएंगी सभी चिंताएं? Last Updated: September 18, 2025, 06:14 IST Rafale News: भारतीय वायु सेना ने 114 राफेल खरीदने का प्रस्ताव दिया है, लेकिन डिलिवरी में 10 से 12 साल लग सकते हैं. तेजस MK-1A और MK-2 पर भी भरोसा जताया गया है. चुनौतियां अभी बनी हुई हैं. एयर फोर्स ने फ्रांस से 114 राफेल विमान खरीदने का प्रस्ताव दिया है. Rafale News: लड़ाकू विमानों की किल्लत से जूझ रही भारतीय वायु सेना ने सरकार को 114 राफेल फाइटर जेट खरीदने का प्रस्ताव दिया है. बीते दिनों आई इस खबर ने खूब सुर्खियां बटोरी. तमाम लोगों को लगने लगा कि इस एक प्रस्ताव से एयरफोर्स की सभी चिंताएं दूर हो गई हैं. लेकिन, आपको किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले थोड़ा ठहरना चाहिए. पहले एयरफोर्स की चुनौतियां और उसके समाधान पर एक संक्षिप्त चर्चा कर लेते हैं.
चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मन से घिरे भारत निश्चित तौर पर किसी भी स्थिति में अपनी सुरक्षा को हल्के में नहीं ले सकता है. एयरफोर्स को टू फ्रंट वार के लिए कम से कम फाइटर जेट्स के 42 स्क्वाड्रन चाहिए. लेकिन, मौजूदा वक्त में एयरफोर्स के पास 29 स्क्वाड्रन ही हैं. मिग-21 के दो स्क्वाड्रन जल्द ही रिटायर होने जा रहे हैं. फिर आने वाले वक्त में मिराज और अन्य फाइटर जेट्स के स्क्वाड्रन भी रिटायर होंगे. यानी संख्या और कम होगी. इससे साफ पता चलता है कि चुनौती गंभीर है. अब आते हैं समाधान पर.
कितने फाइटर जेट्स की जरूरत
आज की तारीख में एयरफोर्स को कम से कम 12 से 13 स्क्वाड्रन यानी करीब 225 से 250 विमान चाहिए. इसके लिए उसको हर साल कम से कम दो से तीन स्क्वाड्रन तैयार करने होंगे. यानी एयरफोर्स को हर साल 40 से 50 नए फाइटर जेट चाहिए. यह एक ऐसी चुनौती है जिसका समाधान दुनिया का कोई देश या दुनिया की कोई भी फाइटर जेट निर्माता कंपनी तुरंत नहीं दे सकती है.
अब आते हैं भारत की स्थिति पर. भारत फाइटर जेट्स की इस कमी को पूरा करने के लिए आज की तारीख में मुख्य रूप से देसी जेट पर भरोसा करते हुए दिख रहा है. सरकार ने देसी फाइटर जेट तेजस MK-1A पर भरोसा जताया है. इस जेट को एचएएल बना रही है. सरकार दो खेप में 180 तेजस MK-1A जेट खरीदने को मंजूरी दी चुकी है. पहली खेप में 83 जेट का ऑर्डर दिया गया था. दूसरी खेप में 97 जेट खरीदने को मंजूरी दी गई है. इसको लेकर अगले माह एचएएल के साथ डील साइन होने की संभावना है.
तेजस MK-1A की डिलिवरी
पहली खेप के तहत तेजस MK-1A की डिलिवरी बीते साल ही शुरू होने वाली थी. लेकिन, अमेरिकी इंजन निर्माता कंपनी जीई की ओर से इंजन सप्लाई में देरी के कारण एचएएल अभी तक आपूर्ति शुरू नहीं कर पाई है. हालांकि एचएएल का कहना है कि इसी अक्तूबर में एयरफोर्स को दो जेट सौंप दिए जाएंगे. इसके साथ सप्लाई चेन की सभी बाधाएं दूर कर ली गई है और आने वाले समय में हर माह दो जेट एयरफोर्स को सौंपने की योजना पर काम किया जा रहा है. यानी साल में कम से कम 24 जेट एयरफोर्स को अगले साल में मिलने की संभावना है.
इसके साथ ही एचएएल तेजस MK-2 बना रहा है. इसका परीक्षण उड़ान शुरू होने वाला है. एचएएल की योजना 2030 से इस फाइटर जेट का प्रोडक्शन शुरू करने की है. यानी तेजस MK-1A का ऑर्डर पूरा होने के बाद तेजस MK-2 का प्रोडक्शन शुरू होगा. रिपोर्ट के मुताबिक तेजस MK-2 राफेल के टक्कर का विमान है. कई मामलों में यह स्टील्थ फाइटर्स को भी टक्कर देता है. यह मौजूदा वक्त में 4.5 पीढ़ी का विमान है.
एयरफोर्स 180 तेजस जेट का ऑर्डर दे चुकी है.
अब राफेल की बात करते हैं
इसमें कोई शक नहीं है कि राफेल दुनिया के चुनिंदा बेहतरीन फाइटर जेट्स में से एक है. लेकिन, इसके लिए कीमत भी उतनी ही अच्छी चुकानी पड़ती है. ये दुनिया के कुछ सबसे महंगे विमानों में से एक हैं. ये 4.5 पीढ़ी के विमान हैं और ऑपरेशन सिंदूर में इसने अपनी ताकत दिखा दी थी. कई युद्ध अभ्यासों में इसने अमेरिकी पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स एफ-35 तक को लॉक करने में सफलता हासिल की है. ऐसे में इस जेट की क्षमता को देखते हुए कोई भी इसे खारिज नहीं कर सकता.
सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न
लेकिन, यहीं पर सवाल उठता है कि अगर भारत 114 राफेल की खरीद की दिशा में आगे बढ़ता है तो उसे ये विमान कब मिलेंगे. रिपोर्ट के मुताबिक एयरफोर्स ने अभी तक रक्षा मंत्रालय को प्रस्ताव दिया है. रक्षा मंत्रालय से प्रस्ताव को मंजूरी, फिर कैबिनेट मंजूरी, फिर राफेल की निर्माता दसॉल्ट के साथ बातचीत, डील की शर्तों पर बातचीत, भारत में प्रोडक्शन पर बातचीत, भारत में प्रोडक्शन सेट लगाने, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर… जैसी तमाम चीजें हैं जिसमें काफी समय लगेगा. अगर बुलेट ट्रेन की रफ्तार से इन मसलों पर आगे बढ़ा जाए तो भी डील साइन होने में कम से कम 18 से 24 महीने का समय लग सकता है. यानी किसी भी स्थिति में 2026 के अंत या 2027 के शुरू से पहले इसकी डील नहीं हो सकती है.
फिर डिलिवरी कब
डील साइन होने के बाद दसॉल्ट प्लांट लगाएगी और भारत की जरूरत के हिसाब विमान में बदलाव करेगी. प्लांट पर वह इतना ही खर्च करेगी जिससे कि भारत के ऑर्डर को डिलिवर किया जा सके. वह लंबे समय की जरूरत के हिसाब से प्लांट नहीं लगाएगी. यानी इन सभी कवायदों में काफी समय लगता है. दुनिया की कोई भी कंपनी इस ऑर्डर को पूरा करने के लिए एक साथ चार-पांच प्लांट नहीं लगाएगी. ये सभी कंपनियां मुनाफा कमाने के लिए बाजार में हैं और ये किसी भी कीमत पर अपने इस मुनाफे से समझौता नहीं कर सकतीं.
भारत का अनुभव
हमारे सामने इसका स्पष्ट उदाहरण है. भारत ने 2016 में 36 राफेल का सौदा किया था. सितंबर 2016 में डील साइन हुई. पहला विमान अक्टूबर 2019 में डिलिवर हुआ. यानी डील साइन होने के तीन साल बाद डिलिवरी शुरू हुई. फिर 36वें जेट की डिलिवरी जुलाई 2022 में हुई. यानी केवल 36 विमानों की डील पूरा होने में करीब सात साल का समय लग गया. इसी तरह भारत ने फ्रांस के साथ 26 मरीन जेट का सौदा किया है. लंबी बातचीत के बाद इसको लेकर अप्रैल 2025 में डील साइन हुई. रिपोर्ट के मुताबिक इन 26 विमानों की डिलिवरी 2030 तक हो पाएगी. यानी पांच साल का समय लगेगा. यानी हर साल औसतन केवल पांच विमान मिलेंगे.
ऐसे में अब फिर आते हैं मूल सवाल पर. अगर भारत 114 विमानों के लिए डील करता है और हर साल दसॉल्ट 12 विमान की सप्लाई करती है तो इस ऑर्डर को पूरा करने में 10 से 12 साल का समय लगेगा. यह सबसे आइडियल स्थिति है. इतने वक्त में गंगा में बहुत पानी बह चुका होगा. चीन छठी पीढ़ी के फाइटर जेट उड़ा रहा होगा. भारत का खुद का पांचवीं पीढ़ी का एएमसीए (एम्का) प्रोग्राम के तहत प्रोडक्शन शुरू हो चुका होगा. इस तरह केवल सतही बात करने की बजाय राफेल को भारी कीमत के साथ उसकी डिलिवरी और एयरफोर्स की चिंताओं को लेकर कई सवाल हैं, जिसका उत्तर ढूंढ़ना आसान नहीं है.
About the Author संतोष कुमार न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स…और पढ़ें न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स… और पढ़ें न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें। First Published : September 17, 2025, 15:12 IST homenation राफेल-राफेल का रट लगा रही एयर फोर्स, मगर इन सवालों का कौन देगा जवाब?