Last Updated: September 23, 2025, 19:54 IST INDIAN NAVY: चीन पाकिस्तान की मदद कर रहा है तो भारत सभी सैन्या साजो सामान खुद ही तैयार कर रहा है. भविष्य की जंग नीले समुद्र में ही लड़ी जाएगी और इसके लिए सभी वो देश जो कि समुद्री सीमा को साझा करते हैं वो अपने को बड़ी तेज़ी से मज़बूत करने में जुटे हैं . चाहे वो अमेरीका हो या फिर चीन या फिर पाकिस्तान. तो भारत भी पीछे कैसे रह सकता है . भारत ने तो खुद की तकनीक से खुद को ताकतवर बनाने में जुटा है और जिस प्लान के साथ बड़ी तेजी से आगे बढ़ रहा है वो है आत्मनिर्भर के तहत 2047 तक पूरी तरह से स्वदेशी नेवी बना देना.
नेवी में आत्मनिर्भता की बढ़ी रफ्तार INDIAN NAVY: चीन दुनिया की सबसे बड़ी नेवी है और वह लगातार अपनी ताकत बढ़ा रहा है. इसके साथ ही चीन अपने दोस्त पाकिस्तान की नेवी को भी मजबूत बना रहा है. चीन ने पाकिस्तान की नेवी को 50 वॉरशिप देने की योजना बनाई है. फिलहाल पाकिस्तान के पास सिर्फ 2 दर्जन वॉरशिप हैं. भारत का नेवी प्लान पाकिस्तान के लिए काफी है. 2028 तक भारत के पास 150 से ज्यादा वॉरशिप होंगे. फिलहाल भारतीय नौसेना के बेड़े में 135 से ज्यादा वॉरशिप शामिल हैं.

2028 तक कौन-कौन से वॉरशिप आएंगे
चीन और पाकिस्तान मिलकर शिप और सबमरीन बना रहे हैं, लेकिन भारत के सभी वॉरशिप स्वदेशी तरीके से देश में ही बनाए जा रहे हैं. 2028 तक कुल 25 अलग-अलग तरह के जंगी जहाज नौसेना में शामिल होंगे. कुछ के समुद्री ट्रायल जारी हैं और बाकी का निर्माण तेजी से हो रहा है.

प्रोजेक्ट 17-A गाइडेड मिसाइल स्टेल्थ फ्रीगेट
प्रोजेक्ट 17A के तहत 7 नीलगिरी क्लास गाइडेड मिसाइल स्टेल्थ फ्रीगेट नौसेना के लिए बनाए जा रहे हैं. एक साल में ही 3 नीलगिरी क्लास गाइडेड मिसाइल स्टेल्थ फ्रीगेट नौसेना को मिल चुके हैं. पहला INS नीलगिरी को इसी साल जनवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेवी में शामिल किया था. 26 अगस्त को एक साथ दो गाइडेड मिसाइल स्टेल्थ फ्रीगेट INS हिमगिरी और INS उदयगिरि को नौसेना में शामिल किया गया. 4 और गाइडेड मिसाइल स्टेल्थ फ्रीगेट नौसेना को मिलने हैं.

हाइड्रोग्राफिक सर्वे वेसेल
सर्वे वेसेल हाइड्रोग्राफिक चार्ट के जरिए समंदर में नेविगेशन रूट बनाते हैं. भारतीय नौसेना के पास दो सर्वे वेसेल हैं. एक है INS संध्याक, जो 3 फरवरी 2024 को नौसेना में शामिल किया गया था. इसी क्लास का दूसरा सर्वे शिप INS निर्देशक को 18 दिसंबर 2024 को कमीशन किया गया था. 4 बड़े सर्वे शिप के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर 30 अक्टूबर 2018 को दस्तखत किए गए थे. इसी क्लास का तीसरा शिप इक्षक (यार्ड 3027) नौसेना को सौंप दिया गया है. जल्द ही इसे भी नेवी में शामिल किया जाएगा.

ASW शैलो वॉटर क्राफ्ट
पाकिस्तान ने अपनी अंडरवॉटर वॉरफेयर क्षमता को बढ़ाने के लिए चीनी सबमरीन खरीदी हैं. कुल 8 हंगोर क्लास सबमरीन का करार पाकिस्तान ने किया है. पाकिस्तान के 8 नए चीनी सबमरीन के जवाब में भारतीय नौसेना का 16 ASW शैलो वॉटर क्राफ्ट प्लान भी तेजी से आगे बढ़ रहा है. इसी साल 18 जून को विशाखापत्तनम नेवल डॉकयार्ड में पहला एंटी सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट ‘अर्णाला’ नौसेना में शामिल किया गया. इस क्लास का दूसरा ASW शैलो वॉटर क्राफ्ट ‘आंद्रोत’ अक्टूबर में नेवी में शामिल कर लिया जाएगा. 21 जुलाई को GRSE शिपयार्ड कोलकाता में एक और एंटी सबमरीन वॉरफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट ‘अजय’ का सी लॉन्च किया गया है. 16 में से 8 कोचिन शिपयार्ड में और 8 GRSE शिपयार्ड कोलकाता में बनाए जा रहे हैं.

डायविंग सपोर्ट वेसेल
निस्तार क्लास प्रोजेक्ट के तहत कुल 2 डाइविंग सपोर्ट वेसल तैयार किए जाने थे. 18 जुलाई भारतीय नौसेना को पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट वेसल शामिल हुआ. नौसेना ने दो डाइविंग सपोर्ट वेसल लेने का फैसला किया. एक का नाम रखा गया निस्तार और दूसरे का नाम निपुण. यह देश का पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट वेसल है और सबमरीन ऑपरेशन के दौरान गेमचेंजर साबित होगा. इसके अलावा 5 डायविंग सपोर्ट क्राफ्ट में से 1 अगले महीने अक्टूबर में नेवी को मिल सकता है. इसका काम तट के पास डाइविंग ऑपरेशन में इस्तेमाल किया जाएगा. इसके साथ ही 3 नए केडेट ट्रेनिंग शिप का निर्माण जारी है. 11 नेक्स्ट जेनेरेशन ऑफ शोर पेट्रोल वेसेल का काम भी जारी है. 6 नेक्स्ट जेनेरेशन मिसाइल वेसेल कोच्ची की शिपयार्ड में निर्माणाधीन हैं. खास बात यह है कि सभी वॉरशिप का डिजाइन भी स्वदेशी है. वहीं पाकिस्तान का कुछ भी अपना नहीं है, ना ही स्टील, ना ही डिजाइन और ना ही तकनीक.

थर्ड क्लास हंगोर सबमरीन पाकिस्तान का सबसे नया हथियार
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भले ही बुरे दौर से गुजर रही हो, लेकिन सैन्य उपकरणों की खरीद में कोई कमी नहीं आ रही. चीन पाकिस्तान को अपने हथियारों की मंडी के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है. इसी कड़ी में हाल ही में चीन में बनी 3 हंगोर क्लास सबमरीन पाकिस्तान को सौंपी गई हैं.
साल 2015 में पाकिस्तान ने चीन के साथ 8 यूआन क्लास एयर इंडीपेंडेंट सबमरीन का करार किया.
पूरी डील 5 से 6 बिलियन डॉलर से ज्यादा की थी.
कुल 8 039B यूआन क्लास सबमरीन के एक्सपोर्ट वर्जन हंगोर क्लास सबमरीन खरीदी गईं.
प्रोजेक्ट S-26 के तहत 8 सबमरीन में से 4 चीन में और बाकी 4 कराची शिपयार्ड में ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के तहत तैयार हो रही हैं.
पाकिस्तानी नेवी को 3 सबमरीन मिल चुकी हैं.
जब तक पाकिस्तान के पास सभी 8 सबमरीन आएंगी.
पाकिस्तानी हंगोर क्लास सबमरीन में खामियों की भरमार है.
हंगोर-क्लास सबमरीन का प्रपल्शन सिस्टम और सेंसर मॉर्डर्न नहीं हैं, जितने भारतीय नेवी के स्कार्पीन क्लास सबमरीन के हैं.
साइज में बड़ी होने के चलते उनकी मनूवरिंग सीमित है.
भारतीय एंटी-सबमरीन वारफेयर तकनीक के सामने यह सबमरीन नहीं टिक सकेगी.
प्रतिबंध के चलते जर्मनी के MTU डीजल इंजन की जगह चीन को CHD-620 से ही काम चलाना पड़ा.
 चीनी डीज़ल-इलेक्ट्रिक सबमरीन बाकी सबमरीन के मुकाबले शोर ज्यादा करती है, जिससे उसे ट्रैक करना आसान है.
AIP यानी एयर इंडिपेंडट सिस्टम भी चीन में अभी ठीक तरह से परखा नहीं गया है.
चीन ने पाकिस्तान को अपने पुराने डिज़ाइन वाली सेकंड-ग्रेड टेक्नोलॉजी थमा दी है.
न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें। First Published : September 22, 2025, 20:17 IST homenation घटिया हंगोर सबमरीन पाक का सबसे नया हथियार,आत्मनिर्भर नेवी से पाक पर होगा वार

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