Updated: Fri, 10 Oct 2025 02:00 AM (IST) प्रधानमंत्री मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री स्टार्मर की मुलाकात में द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने पर जोर दिया गया। मोदी ने ब्रिटेन में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों पर चिंता जताई। दोनों नेताओं ने व्यापार, रक्षा, तकनीक और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की। ब्रिटेन हल्के मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति करेगा। स्टार्मर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया। पीएम मोदी और स्टार्मर मुलाकात में उठा खालिस्तान का मुद्दा (X- @narendramodi) जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बेहद तेजी से बदलते वैश्विक माहौल में अपने संबंधों की दिशा तलाशते भारत और ब्रिटेन के लिए गुरुवार का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण रहा। मुंबई में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीएर स्टार्मर के बीच हुई द्विपक्षीय वार्ता और दिन में तीन बार अलग-अलग कार्यक्रमों हुई मुलाकात ने व्यापार, तकनीक, रक्षा व सांस्कृतिक साझेदारी के क्षेत्र में भारत-ब्रिटेन के द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की राह दिखाई। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें स्टार्मर के साथ बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिटेन में खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों की गतिविधियों का मुद्दा उठाया और उन्हें भारत की चिंताओं से अवगत कराया। मोदी ने कहा कि कट्टरपंथ व हिंसक उग्रवाद में शामिल लोगों के विरुद्ध कार्रवाई की जानी चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी और स्टार्मर के बीच तीन महीने पहले ही लंदन में बैठक हुई थी और दोनों देशों के बीच समग्र आर्थिक व कारोबारी समझौते (सीटा) को लेकर समझौता हुआ था। इतने कम अंतराल में ब्रिटिश प्रधानमंत्री का यहां की यात्रा करना उनकी सरकार की तरफ से भारत को दी जा रही तवज्जो को दर्शाता है। स्टार्मर की यात्रा के बारे में विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया, ”प्रधानमंत्री मोदी और स्टार्मर के बीच हुई बैठक में खालिस्तानी चरमपंथ के मुद्दे पर भी चर्चा हुई। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि लोकतांत्रिक समाजों में कट्टरपंथ और हिंसक उग्रवाद के लिए कोई जगह नहीं है और उन्हें समाज द्वारा प्रदत्त स्वतंत्रता का उपयोग या दुरुपयोग करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए तथा दोनों देशों में उपलब्ध कानूनी ढांचे के तहत उनके विरुद्ध कार्रवाई करने की आवश्यकता है।” मिसरी ने बताया, ‘दोनों नेताओं के बीच बातचीत मुख्य रूप से भारत-ब्रिटेन व्यापक रणनीतिक साझेदारी के तहत विजन-2035 पर केंद्रित रही, इसके तहत अगले दस वर्षों के दौरान व्यापार, रक्षा, तकनीक, जलवायु परिवर्तन, शिक्षा, जैसे क्षेत्रों के लक्ष्यों पर चर्चा हुई।’ द्विपक्षीय वार्ता के बाद मोदी ने कहा, ‘भारत और ब्रिटेन प्राकृतिक तौर पर साझीदार हैं। हमारे संबंधों की नींव में लोकतंत्र, आजादी और कानून का शासन जैसे मूल्यों में साझा विश्वास है। मौजूदा वैश्विक अस्थिरता के दौर में भारत व ब्रिटेन के बीच बढ़ती हुई साझीदारी वैश्विक स्थिरता और आर्थिक प्रगति का एक महत्वपूर्ण आधार बनी है। बैठक में हमने हिंद प्रशांत, पश्चिम एशिया में शांति, यूक्रेन में संघर्ष विराम पर भी विचार साझा किए। हम हिंद प्रशांत क्षेत्र में सामुद्रिक सुरक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध हैं।’ उन्होंने कहा कि भारत की गतिशीलता और ब्रिटेन की विशेषज्ञता मिलकर विविध क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को और बढ़ाने के लिए एक बेजोड़ तालमेल पैदा करेगी। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारा लक्ष्य 2028 तक विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना है और 2047 तक विकसित भारत का सपना साकार करना है।’ इसके बाद स्टार्मर ने कहा, भारत आर्थिक महाशक्ति व दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आर्थिकी बनने की तरफ अग्रसर है और ब्रिटेन उसकी इस यात्रा में एक महत्वपूर्ण साझीदार बनने के लिए एकदम तैयार है। हम भविष्य तथा इसमें मिलने वाले अवसरों को हासिल करने पर केंद्रित एक नई आधुनिक साझेदारी का निर्माण कर रहे हैं, क्योंकि भारत की विकास गाथा उल्लेखनीय है। हल्के मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति करेगा ब्रिटेन स्टार्मर अपने साथ 126 ब्रिटिश कंपनियों के प्रतिनिधियों को लेकर आए हैं और अपनी यात्रा के लिए उन्होंने भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई को चुना, जो यह बताता है कि ब्रिटेन की सरकार आर्थिक संबंधों को ज्यादा तरजीह दे रही है। लेकिन मोदी-स्टार्मर की बैठक के बाद जारी संयुक्त घोषणा पत्र से साफ है कि दोनों देशों की नजर रक्षा व रणनीतिक सहयोग पर भी काफी ज्यादा है। इसी कड़ी में दोनों सरकारों में हल्के बहुउद्देश्यीय मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति के लिए 46.8 करोड़ डालर का एक समझौता हुआ है। इस प्रौद्योगिकी में ब्रिटेन को पहले से महारत है। इस सिस्टम के मिलने से भारत की वायुरक्षा क्षमताएं मजबूत होंगी। दोनों देशों के बीच सैन्य बलों के साझा प्रशिक्षण में सहयोग भी किया जाएगा। भारतीय वायुसेना के प्रशिक्षकों को रायल एयरफोर्स के साथ एकीकृत किया जाएगा। हिंद प्रशांत क्षेत्र में दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच बेहतरीन सहयोग स्थापित होगा। सबसे महत्वपूर्ण, भारतीय नौसेना के इस्तेमाल के लिए इलेक्टि्रक प्रोप्लशन सिस्टम विकसित करने के लिए भारत व ब्रिटेन की सरकारों के बीच आशय पत्र पर हस्ताक्षर हुए हैं। दोनों देशों ने हिंद-प्रशांत महासागर पहल के तहत क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना सहित हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मजबूत समुद्री सुरक्षा सहयोग के लिए ²ढ़ संकल्प व्यक्त किया। आतंकवाद के विरुद्ध सहयोग बढ़ाएंगे दोनों प्रधानमंत्रियों ने आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद की सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में स्पष्ट रूप से और कड़े शब्दों में निंदा की। उन्होंने आतंकवाद के प्रति जीरो टोलरेंस, संयुक्त राष्ट्र चार्टर तथा अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप आतंकवाद से निपटने के लिए व्यापक और निरंतर अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का आह्वान किया। वे कट्टरपंथ और हिंसक उग्रवाद का मुकाबला करने, आतंकवाद के वित्तपोषण और आतंकियों की सीमा-पार आवाजाही को रोकने में आपसी सहयोग को और मजबूत बनाने पर सहमत हुए हैं। संयुक्त घोषणा पत्र में अप्रैल, 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कठोरतम शब्दों में निंदा करते हुए वैश्विक स्तर पर प्रतिबंधित आतंकियों, आतंकी संगठनों और उनके प्रायोजकों के विरुद्ध निर्णायक और संयुक्त कार्रवाई करने के लिए सहयोग को मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई गई है। स्टार्मर ने भी पहलगाम हमले की निंदा करते हुए कहा कि आतंकवाद के विरुद्ध हमारी साझा प्रतिबद्धता अटल है। नौ ब्रिटिश विश्वविद्यालय भारत में खोलेंगे कैंपस शिक्षा क्षेत्र में भी दोनों देशों के बीच सहयोग प्रगाढ़ हो रहा है। नौ ब्रिटिश विश्वविद्यालयों ने भारत में कैंपस खोलने की घोषणा की, जो ब्रिटेन को यहां सबसे बड़ा उच्च शिक्षा उपस्थिति वाला देश बनाएगा। इनमें साउथेम्प्टन, सरे और लैंकेस्टर विश्वविद्यालय शामिल हैं। भारत और ब्रिटेन के बीच गुरुवार को कुल 12 सहमति पत्रों व समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं। इसमें दुलर्भ खनिजों की आपूर्ति को लेकर एक आब्जरबेटरी बनाना भी है। इसकी स्थापना धनबाद में की जाएगी। भारत की स्थायी सदस्यता की पैरवी की स्टार्मर ने कहा कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उसका उचित स्थान मिलना चाहिए। उन्होंने भारत की उल्लेखनीय विकास गाथा और वैश्विक मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उसकी क्षमता पर प्रकाश डाला और उसकी सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता की पुरजोर वकालत की।
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