चीन से डरिए मत, भारत के पास है 5th जेन फाइटर जेट का काल, चुपके-चुपके हुआ पूरा खेल!

Last Updated: May 29, 2025, 11:50 IST चीन के 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट बना लेने और उसके बाद उसे पाकिस्तान को भी देने से हम भारतीयों का एक वर्ग इसको लेकर चिंतित है. लेकिन, आपको चिंतित रहने की जरूरत नहीं है. हमारे वैज्ञानिक हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठे है…और पढ़ें भारत ने अपनी पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन को मंजूरी दे दी है. हाइलाइट्स भारत ने 5th जेन फाइटर जेट प्रोजेक्ट ‘एएमसीए’ को मंजूरी दी. 2035 तक भारत को पहला देसी 5th जेन फाइटर जेट मिलेगा. वीरुपक्ष रडार सिस्टम से चीन-पाकिस्तान के खतरे का मुकाबला होगा. भारत ने एक दिन पहले यानी मंगलवार को अपने 5th जेन फाइटर जेट प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी. इस प्रोजेक्ट का नाम एडवांस मीडियम कंबैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) है. इसके तहत भारत अपना स्टील्थ फाइटर जेट बनाएगा. इस प्रोजेक्ट के लिए 15000 करोड़ रुपये रखे गए हैं. हालांकि इस प्रोजेक्ट के पूरा होने में थोड़ा समय लगेगा. उम्मीद की जा रही है 2035 तक एयरफोर्स को पहला देसी 5th जेन फाइटर जेट मिल जाएगा. यानी इस सफर में कम से कम 10 साल का समय लगेगा. ऐसे में आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि अगले एक दशक में चीजें काफी बदल चुकी होगी. चीन और अमेरिका ने तो अभी से छठी पीढ़ी के फाइटर जेट्स पर काम शुरू कर दिया है. वहीं भारत अभी 4 से 4.5 पीढ़ी के फाइटर जेट्स से काम चला रहा है.

मौजूदा स्थिति

इतना ही नहीं भारत के पास इस वक्त फाइटर जेट्स की भी कमी है. उसको फाइटर जेट्स के 42 स्क्वायड्रन की जरूरत है लेकिन मौजूदा वक्त में यह घटकर 32 पर आ गया है. एक स्क्वायड्रन में 18 फाइटर जेट्स होते हैं. मौजूदा वक्त में भारत को कम से कम 180 और फाइटर जेट्स की जरूरत है. सबसे बड़ी बात यह है कि फाइटर जेट्स एसी, फ्रीज या कार की तरह कोई उपकरण नहीं है जिसे आप बाजार गए और खरीदकर लेते आए. पिछले दिनों एयरफोर्स चीफ भी कुछ ऐसी ही बातें कह चुके हैं. किसी भी कंपनी के साथ डील फाइनल होने के बाद हर माह अधिकतम एक फाइटर जेट मिल पाता है. ऐसे में फाइटर जेट्स हासिल करना एक लंबी प्रक्रिया है. यह तो रही फाइटर जेट्स बनाने और उसे हासिल करने एक पूरा इकोसिस्टम.

चिंतित होने की जरूरत नहीं

ऐसे में आप सोच रहे होंगे कि तमाम दावों के बीच भारतीय एयरफोर्स के सामने बेहद गंभीर चुनौती आन पड़ी है. खासकर तब जब ऑपरेशन सिंदूर में बुरी तरह मात खाने के बाद पाकिस्तान एक चोट खाए सांप की तरह है. वह चीन से पांचवीं पीढ़ी का और फाइटर जेट्स खरीद रहा है. दूसरी तरफ चीन भी बाजार से आधी कीमत पर उसे यह विमान दे रहा है. लेकिन, चीन और पाकिस्तान की ओर से दोहरो खतरे के बीच आपको बहुत चिंतित होने की जरूरत नहीं है. भारत तेजी से अपने लिए देसी तकनीक इजाद कर रहा है. इसका नजारा ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुनिया देख चुकी है. भारत ब्रह्मोस मिसाइल, आकाश डिफेंस सिस्टम और रूस से खरीदे गए एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम के देसी संस्करण का कमाल दुनिया देख चुकी है.

भारत का प्रमुख फाइटर जेट सुखोई 30 एमकेआई.

भारत ने बनाया काल

मौजूदा परिस्थिति निश्चित तौर पर चिंताजनक है. लेकिन, ऐसा नहीं है कि भारत हाथ पर हाथ रखकर बैठा है. भारत की कोशिश किसी विदेशी कंपनी से फाइटर जेट्स खरीदने पर अरबों डॉलर की रकम खर्च करने के बजाय इसे भारत में बनाने की है. इससे धन की बचत के साथ देश के इंजीनियरों और लोगों को काम मिलेगा. इसी रणनीति पर भारत काम कर रहा है. ऐसे में मौजूदा चुनौती को देखते हुए भारत ने पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स बनाने से पहले चीन और पाकिस्तान की ओर से होने वाले किसी भी संभावित हमले को निष्क्रिय करने के लिए उसका काल तैयार कर लिया है. इसका प्रोडक्शन भी शुरू हो गया और उसे सुखोई फाइटर जेट्स में लगाने का काम भी शुरू हो चुका है.

डिफेंस न्यूज से जुड़ी वेबसाइट defence.in की मुताबिक भारत के वैज्ञानिक सुखोई-30 एमकेआई में वीरुपक्ष (Virupaksha) रडार लगाने का काम शुरू कर चुके हैं. यह बेहद उन्नत देसी रडार सिस्टम है. यह गैलियम नाइट्रइड आधारित रडार है जिसके एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (AESA) सिस्टम काफी दूरी से स्टील्थ फाइटर जेट्स को डिटेक्ट कर लेता है. रडार सिस्टम में इस अपग्रेडेशन से सुखोई-30 एमकेआई 4.5 पीढ़ी के फाइटर जेट्स बन जाएंगे. पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स की यही सबसे बड़ी ताकत होती है कि वे मौजूदा वक्त के अधिकतर रडार सिस्टम की पकड़ में नहीं आते. लेकिन, भारत के वैज्ञानिकों ने यह कमाल कर दिया है.

इस तकनीक में दुनिया की महाशक्ति

आपको पता होना चाहिए कि भारत के वैज्ञानिक भले ही फाइटर जेट्स बनाने में अमेरिकी, चीन और रूस से थोड़ा पीछे हैं लेकिन रडार और मिसाइल तकनीक में वे दुनिया के बड़ी से बड़ी ताकतों को चुनौती देते हैं. वीरुपक्ष रडार सिस्टम को डीआरडीओ ने विकसित किया है. ये सिस्टम इतना कारगर है कि यह दुश्मन के पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से जाम कर सकता है. यह सिस्टम 1m² रडार क्रास-सेक्शन (RCS) की गति से दुश्मन के विमान को करीब 600 किमी की दूरी से ही डिटेक्ट कर सकता है. जबकि मौजूदा वक्त में दुनिया के सबसे आधुनिक स्टील्थ फाइटर जेट्स में लगा रडार सिस्टम केवल 0.01m² RCS से करीब 200 किमी की दूरी तक के खतरों को भांप पाते हैं.

क्यों कहा जाता है काल

कुल मिलाकर भारत ने जो रडार सिस्टम बनाया है उसे हम आसानी से और काफी दूर से दुश्मन के पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट को डिटेक्ट कर सकते हैं. साथ ही उनको यह नहीं पता चलेगा कि हमारे फाइटर जेट्स या मिसाइल उनको मार गिराने के लिए पहले से तैयार बैठे हैं. क्योंकि हमारे वीरुपक्ष का रेंज काफी ज्यादा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वीरुपक्ष का निर्माण ही चीन के जे-20 और जे-35 फाइटर जेट्स को डिटेक्ट करने के लिए किया गया है. इन दोनों फाइटर जेट्स में लगे रडार सिस्टम की क्षमता केवल 0.01m² RCS की है. ऐसे में अब आप समझ ही गए होंगे कि हम इसे पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स के लिए काल क्यों बता रहे हैं.
About the Author संतोष कुमार न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स…और पढ़ें न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स… और पढ़ें homeknowledge चीन से डरिए मत, भारत के पास है 5th जेन फाइटर का काल, चुपके-चुपके हुआ पूरा खेल!