रक्सौल बॉर्डर से तीन साल में एक दर्जन से अधिक विदेशी नागरिक गिरफ्तार, सुरक्षा एजेंसियों की बढ़ी च

रक्सौल बॉर्डर से तीन साल में एक दर्जन से अधिक विदेशी नागरिक गिरफ्तार, सुरक्षा एजेंसियों की बढ़ी चिंता भारत-नेपाल सीमा पर रक्सौल बॉर्डर से पिछले तीन वर्षों में एक दर्जन से अधिक विदेशी नागरिक गिरफ्तार किए गए हैं। इनमें चीनी नागरिकों की संख्या अधिक है जो अवैध रूप से प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे। सुरक्षा एजेंसियों ने बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। गिरफ्तार किए गए नागरिकों पर कानूनी कार्रवाई जारी है। रक्सौल बॉर्डर में लगातार हो रही विदेशी नागरिकों की गिरफ्तारी (सांकेतिक तस्वीर)

विजय कुमार गिरि, 

रक्सौल। भारत-नेपाल की खुली सीमा दोनों देशों के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रिश्तों की एक मिसाल मानी जाती रही , बीते कुछ वर्षों से यही सीमा अब राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चुनौती बनती जा रही है।

पूर्वी चंपारण जिले का रक्सौल शहर, जो नेपाल के वीरगंज से सटा हुआ है, हाल के वर्षों में अंतरराष्ट्रीय घुसपैठ की घटनाओं का गवाह बन रहा है। सीमा क्षेत्र के शहरी और ग्रामीण रास्तों से भारतीय सीमा में अवैध रूप से प्रवेश करने के आरोप में पिछले तीन वर्षों में एक दर्जन से अधिक विदेशी नागरिकों की गिरफ्तारी हुई है, जिनमें अधिकांश चीनी नागरिक शामिल हैं।

इसके बाद से बॉर्डर की संवेदनशीलता को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था को और कड़ा कर दिया गया है। अनुमंडल क्षेत्र के लगभग 90 किलोमीटर और पूर्वी चंपारण जिले के 137 किलोमीटर लंबे बॉर्डर क्षेत्र में प्रवेश करने वाले विदेशी नागरिकों, विशेषकर चीनी नागरिकों की गिरफ्तारी से सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं।

इन मामलों में अवैध प्रवेश, दस्तावेजों की कमी और संभावित जासूसी जैसी गंभीर चिंताएं सामने आई हैं। 

22 जुलाई 2023 को रक्सौल बॉर्डर पर बिना वैध वीजा के प्रवेश करते हुए दो चीनी नागरिक झाओ झिंग और फू कांग को गिरफ्तार किया गया था। यह उनकी दूसरी कोशिश थी।

इससे पहले 2 जुलाई को भी उन्होंने अवैध प्रवेश का प्रयास किया था, लेकिन चेतावनी देकर वापस भेज दिया गया था। गिरफ्तारी के बाद दोनों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया और उनके खिलाफ विदेशी अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया।

इसी क्रम में 29 फरवरी 2024 को 57 वर्षीय चीनी नागरिक फेंग जैनशान को एसएसबी और इमिग्रेशन विभाग ने रक्सौल बॉर्डर पर गिरफ्तार किया। वह नेपाल का 90 दिन का वीजा लेकर काठमांडू आया था और वीरगंज से बस द्वारा रक्सौल पहुंचा था।

गिरफ्तारी के समय उसके पास न तो पासपोर्ट था और न ही भारत का वीजा। उसके मोबाइल से चीन का पासपोर्ट और नागरिकता संबंधी दस्तावेज बरामद किए गए। 

इधर 7 मई 2025 को आब्रजन कार्यालय के अधिकारियों ने एसएसबी की सहायता से भारत-नेपाल मैत्री पुल के पास से चार चीनी नागरिकों 50 वर्षीय हि क्यु हैनसेन, 43 वर्षीय हुवांग लिमिन, 43 वर्षीय लीं युंघाई और 38 वर्षीय डेन विजोन को गिरफ्तार किया।

इसके अलावा अन्य देशों के नागरिक भी रक्सौल बॉर्डर पर पकड़े गए हैं। इनमें 5 मार्च को यूक्रेन निवासी बॉड रेको, 25 अप्रैल को अमेरिकी नागरिक एटान बेन और 16 मई को कनाडा के नागरिक हरपित सिंह को नेपाल भागने के क्रम में गिरफ्तार किया गया।

18 मई को दक्षिण कोरिया के नागरिक किम यांग डे को रक्सौल मौजे के सातो माई मंदिर के पास एक होटल से गिरफ्तार किया गया। 

कानूनी पहलू

अधिवक्ताओं के अनुसार, बिना वैध दस्तावेजों के भारत में प्रवेश करने के मामलों में विदेशी नागरिकों को भारतीय पासपोर्ट प्रवेश अधिनियम, 1920 की धारा 3 और विदेशी अधिनियम, 1946 की धारा 14(बी) के तहत दोषी ठहराया जा सकता है।

इन धाराओं के तहत तीन-तीन वर्षों की सश्रम कारावास और दस-दस हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है। जुर्माना न भरने की स्थिति में एक माह की अतिरिक्त सजा भी हो सकती है। य

दि भारत विरोधी गतिविधियों या जासूसी के प्रमाण मिलते हैं, तो संबंधित नागरिकों पर राष्ट्रद्रोह समेत अन्य गंभीर धाराएं भी लगाई जा सकती हैं।

एसपी स्वर्ण प्रभात ने बताया कि विदेशी नागरिकों के मामलों में पूछताछ के बाद त्वरित सुनवाई (स्पीडी ट्रायल) कर कोर्ट के निर्देशानुसार कार्रवाई की जाती है। फिलहाल सभी गिरफ्तार विदेशी नागरिकों के मामलों में न्यायिक प्रक्रिया जारी है।