भले तेल अबीब पर मिसाइले दाग दी, पर अकेला ईरान जंग में कब तक रहेगा सीनातान?
भले तेल अबीब पर मिसाइले दाग दी, पर अकेला ईरान जंग में कब तक रहेगा सीनातान? जानिए इजरायल के सामने कितना टिकेगा Last Updated: June 19, 2025, 11:40 IST ईरान इजराइल युद्ध में अमेरिका डट कर ईजराइल के साथ खड़ा हो गया है. ईरान को इस्लामिक दुनिया से बहुत उम्मीदें थी, लेकिन किसी मुल्क ने इजराइल की जुबानी मजम्मत करने से ज्यादा कुछ नहीं किया. ऐसे में ये सवाल लाजिमी है…और पढ़ें ईरान के हक में जुबानी जमाखर्च तक ही टिके इस्लामिक मुल्क. युद्ध में ताकतवर देश समझौते की बात करते रहे है. लेकिन ईरान इजराइल जंग में अमेरिकी राष्ट्रपित ट्रंप सीधा और बिनाशर्त समर्पण की बात कर रहे हैं. इस तरह से वे साफ तौर पर इजराइल के पीछे खड़े हो गए हैं. यहां तक कि उन्होंने ये भी कहा है कि वे क्या करने वाले हैं ये किसी को पता नहीं है. अपुष्ट दावों के मुताबिक अमेरिका ने 30 लडाकू विमान इजराइल के पक्ष में ईरान को घेरने के लिए भेज दिया है. जबकि ईरान को उम्मीद के विपरीत इस्लामिक देशों का भी समर्थन उस तरह से नहीं मिल पाया जैसा कि उसे उम्मीद थी. एक वक्त तक लग रहा था कि इस्लामिक दुनिया एकजुट हो कर ईरान के साथ खड़ी हो जाएगी वो भी नहीं हुआ. कुछ मुल्कों ने इजराल की जुबानी मुखालफत जरूर की, लेकिन ईरान की मदद में नहीं उतरें. अमेरिका को पाकिस्तान जैसे मुल्कों को लेकर जरुर चिंता रही होगी, लिहाजा पाकिस्तानी फील्ड मार्शल को दावत पर बुला कर एक अलग तरह की चाल चल दी. मुल्ला मुनीर इसी से खुश जाएंगे. वैसे भी उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप को शांति का नोबल दिए जाने की मांग कर दी है. वैसे ईरान के इस पड़ोसी से न्यूसेंस फैलाने से ज्यादा चिंता किसी को नहीं होगी. पाकिस्तान के अलावा तुर्की, सऊदी अरब, यूएई, लेबनान, इराक, यमन (हूती), मलेशिया, इंडोनेशिया, कतर, और ओमान जैसे मुल्कों ने इजराइली हमलों की अपने अपने तरीके से आलोचना की है. एक दो देशों ने अपने हवाई क्षेत्र को प्रतिबंधित भी किया है, लेकिन कोई मिलिट्री इमदाद ईरान को नहीं दी है.
बहरहाल, इन सब के बीच अगर दोनों मुल्कों की सैनिक ताकत की तुलना की जाय तो भी इजराइल पड़ला भारी ही होगा. लंबे वक्त तक आर्थिक प्रतिबंध झेलने वाले ईरान का रक्षा बजट इजराइल के बजट के सीधे आधा है. ईरान को रूस और चीन जैसे मुल्कों का साथ मिलता रहा है, लेकिन उसका अपना एयर डिफेंस सिस्टम इजराइल जैसा नहीं है. हां, उसके पास संख्या में सेना की ताकत ज्यादा है और लंबी दूरी की मिसाइले हैं. लेकिन सैनिक संख्या कम होने के बाद भी इजराइल के पास बहुत उन्नत टेक्नॉलॉजी है. अमेरिका इजराइल के समर्थन में खुल कर खड़ा हो गया है तो रूस और चीन अभी भी बयानबाजी से आगे नहीं बढ़ रहे हैं.
टॉप कमांडर्स को ईरान में ही मार रहा इजराइल
ये इजराइल की उम्दा टेक्नॉलॉजी ही है कि वो अपने इस “ऑपरेशन राइजिंग लायन”लगातार ईरानी सेना के चोटी के अफसरान को मार रहा है. 13 जून को इजराइल ने ईरानी सेना के चीफ ऑफ स्टाफ और सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई के बाद दूसरे सबसे ताकतवर अफसर मेजर जनरल मोहम्मद बाघेरी को मार दिया. इसी के साथ इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के चीफ मेजर जनरल हुसैन सलामी को भी मार दिया. इजारल ने खातम-अल-अंबिया सेंट्रल हेडक्वार्टर्स के कमांडर मेजर जनरल गुलाम अली राशिद, IRGC की एयरोस्पेस फोर्स के कमांडर ब्रिगेडियर जनरल अमीर अली हाजीज़ादेह को निशाना बना लिया.ईरान ने मेजर जनरल राशिद की जगह पर मेजर जनरल अली शादमानी को तैनात किया.चार दिन बाद ही 17 जून को इजराइल ने उन्हें भी मार दिया. इजराइली हमले में और तमाम फौजी अफसर मारे जा चुके हैं.
इजाइल का कम नुकसान और ईरान में तबाही
ईरान की कुछ ही मिसाइलें इजराइल के शहरों और आबादी पर गिर पा रहे हैं, लेकिन इजराल लगातार ईरान के सैनिक ठिकानों को निशाना बना रहा है. इसके आधार पर कहा जा सकता है कि फिलहाल,इजराइल इस युद्ध में रणनीतिक बढ़त बनाए हुए है. इजराइल ने ईरान के परमाणु ठिकानों, सैन्य अड्डों और तेल डिपो पर सटीक हमले किए हैं. खबरों के मुताबिक, इजराइल ने ईरान के नतांज और फोरडो जैसे परमाणु केंद्रों को भारी नुकसान पहुंचाया और कम से कम 10 परमाणु वैज्ञानिकों को मार गिराया. दूसरी ओर, ईरान ने “ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस” के तहत इजराइल पर सैकड़ों बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, लेकिन इनमें से 90 फीसदी से ज्यादा को इजराइल की मिसाइल रक्षा प्रणाली ने हवा में ही नष्ट कर दिया. ईरान के हमलों से इजराइल में कुछ नुकसान हुआ. मसलन तेल अवीव में अमेरिकी दूतावास की इमारत को हल्का नुकसान और हाइफा में एक महिला की मौत हुई.
आगे की खतरनाक स्ट्रैटजी
इजराइल को अमेरिका का खुला समर्थन मिला हुआ है. दोनो ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं. उनका मकसद है कि ईरान आगे भी कोई खतरा न रहे. भविष्य में कोई खतरा न रहे.अमेरिका ने 30 फाइटर जेट पश्चिम एशिया भेजे हैं. दूसरी ओर, ईरान बैलिस्टिक मिसाइलों और प्रॉक्सी समूहों (जैसे हिजबुल्लाह, हूती) के जरिए जवाबी हमले कर रहा है. जबकि जॉर्डन और इराक जैसे देशों ने अपना हवाई क्षेत्र ईरान के लिए बंद कर दिया, जिससे उसकी रणनीति कमजोर पड़ रही है.उम्मीद की जा रही है कि इजराइल ईरान के तेल और गैस ढांचे को और निशाना बनाए. इससे उसकी माली हालत कमजोर हो.
अमेरिका इजराइल के साथ खड़ा है.अमेरिकन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीधे कह दिया है ईरान को सरेंडर करना होगा. रूस और चीन ने इजराइल की आलोचना जरूर की है. लेकिन इससे आगे कुछ करते ये दोनो मुल्क भी नहीं दिख रहे हैं. भारत ने सधा हुआ रुख अख्तियार किया है. इसकी वजह ये है कि ईरान और इजराइल दोनों उसके दोस्त हैं. About the Author राजकुमार पांडेय करीब ढाई दशक से सक्रिय पत्रकारिता. नेटवर्क18 में आने से पहले राजकुमार पांडेय सहारा टीवी नेटवर्क से जुड़े रहे. इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने के बाद वहीं हिंदी दैनिक आज और जनमोर्चा में रिपोर्टिंग की. दिल…और पढ़ें करीब ढाई दशक से सक्रिय पत्रकारिता. नेटवर्क18 में आने से पहले राजकुमार पांडेय सहारा टीवी नेटवर्क से जुड़े रहे. इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने के बाद वहीं हिंदी दैनिक आज और जनमोर्चा में रिपोर्टिंग की. दिल… और पढ़ें homeworld भले तेल अबीब पर मिसाइले दाग दी, पर अकेला ईरान जंग में कब तक रहेगा सीनातान?