EC ने अगर कुछ गलत किया तो... बिहार SIR पर सुप्रीम कोर्ट ने कही बड़ी बात
Last Updated: September 16, 2025, 01:53 IST Bihar SIR Case: बिहार एसआईआर पर सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर किसी भी चरण में ये लगता है कि निर्वाचन आयोग सही तरीके से काम नहीं कर रहा है तो पूरे प्रोसेस को ही रद्द कर दिया जाएगा. बिहार एसआईआर पर अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी. नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह यह मानता है कि भारत का निर्वाचन आयोग (ईसी) एक संवैधानिक प्राधिकार होने के नाते बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के दौरान कानून का पालन कर रहा है. इसने यह भी आगाह किया कि किसी भी अवैधता की स्थिति में इस प्रक्रिया को रद्द कर दिया जाएगा. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने बिहार एसआईआर की वैधता पर अंतिम दलीलें सुनने के लिए सात अक्टूबर की तारीख तय की और इस कवायद पर ‘टुकड़ों में राय’ देने से इनकार कर दिया.
पीठ ने कहा, “बिहार एसआईआर में हमारा फैसला पूरे भारत में एसआईआर के लिए लागू होगा.” इसने स्पष्ट किया कि वह निर्वाचन आयोग को देश भर में मतदाता सूची में संशोधन के लिए इसी तरह की प्रक्रिया करने से नहीं रोक सकती. हालांकि, पीठ ने बिहार एसआईआर कवायद के खिलाफ याचिका दायर करने वालों को सात अक्टूबर को अखिल भारतीय एसआईआर पर भी दलील रखने की अनुमति दी. शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन से मामले के निर्णय पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
पीठ ने एसआईआर प्रक्रिया को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं से कहा, “मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन से हमें क्या फर्क पड़ेगा? अगर हमें लगा कि इसमें कुछ अवैधता है, तो हम इसे रद्द कर सकते हैं.” इस बीच, न्यायालय ने आठ सितंबर के शीर्ष अदालत के उस आदेश को वापस लेने का आग्रह करने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें निर्वाचन आयोग को बिहार एसआईआर में 12वें निर्धारित दस्तावेज के रूप में आधार कार्ड को शामिल करने का निर्देश दिया गया था.
निर्वाचन आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने शुरू में पीठ से अनुरोध किया कि न्यायालय को एसआईआर प्रक्रिया का अंतिम मूल्यांकन होने तक सुनवाई स्थगित कर देनी चाहिए. गैर सरकारी संगठन ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (एडीआर) की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि निर्वाचन आयोग अन्य राज्यों में भी एसआईआर कवायद कराने की तैयारी कर रहा है.
उन्होंने कहा, “हमें इस प्रक्रिया के कानूनी पहलू पर अदालत से बात करनी होगी. अगर यह पाया जाता है कि संवैधानिक योजना में कोई विकृति है, तो हम दबाव डाल सकते हैं कि इसे जारी न रखा जाए. अन्य राज्यों के साथ आगे बढ़ने और एक तथ्य स्थापित करने का कोई सवाल ही नहीं है.” पीठ ने उनसे कहा कि न्यायालय निर्वाचन आयोग को एसआईआर प्रक्रिया करने से नहीं रोक सकता.
कुछ कार्यकर्ताओं की ओर से पेश वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि किसी को भी अवैध कार्यप्रणाली के कारण मतदान के अधिकार से वंचित नहीं किया जाना चाहिए. पीठ ने कहा, “कृपया इसे हमसे लें. यदि हमें बिहार में एसआईआर के किसी भी चरण में ईसीआई द्वारा अपनाई गई कार्यप्रणाली में कोई अवैधता मिलती है, तो पूरी प्रक्रिया को रद्द कर दिया जाएगा.” कांग्रेस सहित कई विपक्षी राजनीतिक दलों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने अदालत से अनुरोध किया कि इस मामले पर जल्द से जल्द सुनवाई की जाए, क्योंकि निर्वाचन आयोग ने पूरे देश में एसआईआर कवायद की घोषणा की है.
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “हम टुकड़ों में कोई राय व्यक्त नहीं कर सकते. इस बीच वे जो भी प्रस्ताव दे रहे हैं, बिहार एसआईआर के लिए हमारे फैसले का स्पष्ट रूप से प्रभाव पड़ेगा.” राष्ट्रीय जनता दल की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग नियमों और अपनी नियमावली का घोर उल्लंघन कर रहा है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि वह सात अक्टूबर को मामले में विस्तार से सुनवाई करेंगे और इस प्रक्रिया के सभी कानूनी पहलुओं पर विचार करेंगे.
अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि उन्होंने आठ सितंबर के आदेश को वापस लेने का अनुरोध करते हुए एक अंतरिम आवेदन दायर किया है, जिसमें कहा गया था कि एसआईआर प्रक्रिया के लिए आधार कार्ड को 12वां दस्तावेज माना जाए. उन्होंने कहा, “अदालत के छह फैसले हैं, जो कहते हैं कि आधार उम्र, निवास या नागरिकता का प्रमाण नहीं है. इसलिए, आधार को उन 11 दस्तावेजों के बराबर नहीं माना जा सकता; अन्यथा पूरी एसआईआर प्रक्रिया विनाशकारी होगी.” उन्होंने कहा कि कानून के तहत विदेशियों को भी आधार दिया जा सकता है और यह ग्राम प्रधान, स्थानीय विधायक या सांसद के अनुशंसा पत्र पर बनाया जा सकता है.
पीठ ने उनके आवेदन पर नोटिस जारी करते हुए कहा कि अदालत सात अक्टूबर को सुनवाई करेगी. इसने कहा कि आधार को अंतरिम व्यवस्था के रूप में स्वीकार्य बनाया गया है. जस्टिस बागची ने उपाध्याय से कहा कि “यह विनाशकारी होगा या नहीं, इसका निर्णय निर्वाचन आयोग द्वारा किया जाएगा.”
निर्वाचन आयोग का कहना है कि एसआईआर का उद्देश्य मतदाता सूची को साफ-सुथरा बनाना है, तथा उन लोगों के नामों को हटाना है जो मर चुके हैं, जिनके पास डुप्लीकेट मतदाता पहचान पत्र हैं या जो अवैध प्रवासी हैं. एसआईआर के निष्कर्षों से बिहार में पंजीकृत मतदाताओं की कुल संख्या घटकर 7.24 करोड़ हो गई, जो इस प्रक्रिया से पहले 7.9 करोड़ थी. About the Author Rakesh Ranjan Kumar राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h…और पढ़ें राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h… और पढ़ें न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें। Location : New Delhi, Delhi First Published : September 15, 2025, 15:31 IST homenation EC ने अगर कुछ गलत किया तो… बिहार SIR पर सुप्रीम कोर्ट ने कही बड़ी बात