कनाडा में कैफे पर हमला मुंबई में कपिल शर्मा को धमकी और 700 से ज्यादा शूटर्स.... आखिर कहां-कहां फैली लॉर

मशहूर कॉमेडियन कपिल शर्मा ने करीब एक महीने पहले कनाडा में एक कैफ़े खोला था। कैप्स कैफ़े। लेकिन कैफ़े खुलने के सिर्फ़ 6 दिन बाद ही दीवारों पर गोलियां चलने लगीं। मामला ठंडा भी नहीं पड़ा था कि पहली गोलीबारी के सिर्फ़ 28 दिन बाद ही शूटरों ने एक बार फिर कैप्स कैफ़े पर गोलीबारी शुरू कर दी। इस बार भी कैफ़े की दीवारों पर गोलियां चलाई गईं। दावा किया जा रहा है कि इस गोलीबारी के पीछे लॉरेंस बिश्नोई का हाथ है। सलमान खान से नज़दीकी के चलते कपिल शर्मा इस गैंग के निशाने पर हैं।

4 जुलाई 2025, 85 एवेन्यू और स्कॉट रोड, सरे, कनाडा यही वो तारीख़ थी जब कॉमेडियन अभिनेता कपिल शर्मा ने सरे में अपना पहला कैफ़े खोला था। कैप्स कैफ़े। जब कैप्स कैफ़े को खुले सिर्फ़ 6 दिन हुए थे। ठीक छठे दिन, कुछ लोग एक कार में बैठकर वीडियो गेम की तरह गोलीबारी कर रहे थे। और जो शूटर गोलीबारी कर रहा था, उसका निशाना कार के बाहर उसी कैप्स कैफ़े की दीवारें थीं। शूटरों ने गोलीबारी की। लाइव गोलीबारी कैमरे में कैद हो गई। और वहाँ से चले गए। हालाँकि, इस गोलीबारी में किसी को गोली नहीं लगी और शायद हमलावरों का किसी को गोली मारने का इरादा भी नहीं था।

8 अगस्त 2025, कैप्स कैफ़े, 85 एवेन्यू और स्कॉट रोड, सरे, कनाडा
पहली गोलीबारी के ठीक 28 दिन बाद, उसी कैप्स कैफ़े के बाहर एक कार आकर रुकती है। इस बार सुबह का समय था। कार के अंदर से एक और गोलीबारी होती है। गोलीबारी की रिकॉर्डिंग फिर से हो रही थी। कैप्स कैफ़े की दीवार एक बार फिर निशाने पर थी। दीवारों पर छह गोलियाँ दागने के बाद, कार और हमलावर दोनों मौके से भाग जाते हैं।

‘जय श्री राम, सत श्री अकाल। सभी भाइयों को राम-राम।’
कपिल शर्मा के कैप्स कैफ़े, सरे में आज जो गोलीबारी हुई, उसकी ज़िम्मेदारी मैं और गोल्डी ढिल्लों लॉरेंस बिश्नोई गैंग लेते हैं। हमने उसे फ़ोन किया था, उसने घंटी नहीं सुनी, इसलिए कार्रवाई करनी पड़ी। अगर उसे अब भी घंटी नहीं सुनाई देती, तो अगली कार्रवाई जल्द ही मुंबई में की जाएगी। RIP अंकित भादू शेरेवाला जितेंद्र गोगी मान ग्रुप काला राणा आरज़ू बिश्नोई शुभम लोनकर हैरी बॉक्सर साहिल दुहान पेटवाड़

गोल्डी और हैरी का दावा
कैप्स कैफ़े पर हुए हमले की ज़िम्मेदारी लेते हुए यह बयान जारी करने वाले गोल्डी ढिल्लों ने अपने सोशल मीडिया डीपी पर लॉरेंस बिश्नोई की तस्वीर लगा रखी है। वह खुद लॉरेंस से जुड़े होने का दावा करते हैं। लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती। इस बयान के कुछ देर बाद ही हैरी बॉक्सर नाम का एक शख्स सोशल मीडिया पर एक ऑडियो संदेश जारी करता है। इस ऑडियो संदेश में वह कैप्स कैफ़े पर गोलीबारी की वजह विस्तार से बताता है।

लॉरेंस गैंग या कोई और?
इस ऑडियो में धमकी भरी आवाज़ के साथ-साथ यह संदेश भी साफ़ हो जाता है कि कपिल शर्मा के कैफ़े पर गोलियां इसलिए चलाई जा रही हैं क्योंकि कपिल सलमान के करीबी हैं। सलमान खान भी अक्सर कपिल शर्मा के शो में नज़र आते हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या कपिल शर्मा सिर्फ़ सलमान से नज़दीकी की वजह से लॉरेंस गैंग के निशाने पर हैं? और क्या यह सच है कि कनाडा में कपिल के कैफ़े पर चली दो गोलियाँ लॉरेंस के इशारे पर चलाई गई थीं? या लॉरेंस के नाम पर कोई और चाल चल रहा है?
अलवर का रहने वाला है हैरी बॉक्सर
कपिल शर्मा के कैफ़े पर हुई गोलीबारी की ज़िम्मेदारी लेने वाले हैरी बॉक्सर का असली नाम हरिचंद है। राजस्थान के अलवर का रहने वाला हैरी बॉक्सर 2004 में अवैध रूप से देश छोड़कर चला गया था। बताया जाता है कि वह फ़िलहाल अमेरिका में रहकर लॉरेंस गैंग के लिए काम कर रहा है। दरअसल, हैरी बॉक्सर अनमोल बिश्नोई का करीबी है। अनमोल बिश्नोई के भी अमेरिका में होने की खबर है। हैरी बॉक्सर अमेरिका से भारत और कनाडा में जबरन वसूली और धमकियाँ दे रहा है।
लॉरेंस गैंग की खुली धमकियाँ
वैसे, सलमान से लॉरेंस की दुश्मनी की कहानी नई नहीं है। चाहे गैलेक्सी अपार्टमेंट की दीवारों पर गोलियाँ बरसाने की बात हो, सलमान को बार-बार धमकाने की बात हो या सलमान के करीबी रहे बाबा सिद्दीकी की हत्या की, लॉरेंस गैंग हमेशा खुलेआम कहता रहा है कि जो भी सलमान का करीबी होगा, वह उसके निशाने पर होगा। सलमान के साथ काम करने वाला भी इसके निशाने पर होगा। लेकिन क्या कपिल शर्मा सिर्फ़ सलमान से नज़दीकी की वजह से लॉरेंस गैंग के निशाने पर आए? या कोई और वजह है?
सलमान के करीबियों को चेतावनी जिस तरह बाबा सिद्दीकी की हत्या हुई, उसने पहली बार इस शक को यकीन में बदल दिया कि लॉरेंस गैंग सलमान के करीबियों को निशाना बना सकता है। अगर यही वजह है, तो कपिल शर्मा को निशाना बनाकर लॉरेंस गैंग एक तरह से सलमान के करीबियों को भी चेतावनी दे रहा है। सलमान के अलावा, यह भी कहा जा रहा है कि लॉरेंस गैंग कपिल शर्मा के शो में एक मेहमान द्वारा सिख धर्म पर की गई टिप्पणी से भी नाराज़ है। यह भी दुश्मनी की एक वजह हो सकती है।
मुंबई अंडरवर्ल्ड पर राज करने की चाहत सूत्रों की मानें तो कपिल शर्मा को निशाना बनाए जाने की तीसरी वजह उनका स्टारडम भी हो सकता है। लॉरेंस गैंग अक्सर उन सितारों, खासकर पंजाब के सितारों को निशाना बनाता रहा है, जो उनकी बात नहीं मानते या फिरौती नहीं देते। कपिल शर्मा को निशाना बनाने की एक वजह यह भी हो सकती है कि लॉरेंस गैंग की नज़र शुरू से ही बॉलीवुड पर रही है। डी कंपनी की तर्ज पर लॉरेंस गैंग ने मुंबई अंडरवर्ल्ड पर अपना राज कायम करने की चाहत जताई है।
गैंगवार और एनकाउंटर का दौर
90 के दशक की शुरुआत। उस समय बॉम्बे अंडरवर्ल्ड और गैंगवार से त्रस्त था। दाऊद इब्राहिम तब तक एक बड़ा डॉन बन चुका था। यह वो दौर था जब तत्कालीन बॉम्बे और आज की मुंबई लगभग हर दिन गैंगवार या एनकाउंटर के नाम पर खून-खराबा कर रही थी। यह वो दौर था जब हर साल औसतन 100 से 125 लोग गैंगवार या एनकाउंटर के नाम पर मारे जाते थे। बॉलीवुड, बिल्डर, बार मालिक और छोटे-बड़े व्यापारियों से रंगदारी वसूलना आम बात थी। उस समय मुंबई पुलिस पर हर तरफ से दबाव था। इसी दबाव के चलते मुंबई पुलिस ने आखिरकार फैसला किया कि वह मुंबई से अंडरवर्ल्ड का सफाया करेगी।
मुंबई में सैकड़ों एनकाउंटर
इसके तहत एनकाउंटर की परंपरा शुरू हुई, जिसमें 500 से ज़्यादा गैंगस्टर पुलिस की गोलियों का शिकार हुए। ऐसे कई एनकाउंटर पर सवाल भी उठे, लेकिन इन एनकाउंटरों ने कई एनकाउंटर स्पेशलिस्ट को भी सुर्खियाँ दिलाईं। एनकाउंटर के साथ-साथ जब अंडरवर्ल्ड पर लगाम लगाने के लिए सख्त कानूनों की ज़रूरत महसूस हुई, तो महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) जैसे कानून लाए गए। धीरे-धीरे, इन सभी कदमों के नतीजे दिखने लगे। हज़ारों छोटे-बड़े गैंगस्टर अब जेल में थे। 2000 तक, मुंबई धीरे-धीरे अंडरवर्ल्ड से मुक्त हो रही थी।
इस तरह मुंबई शहर अंडरवर्ल्ड से मुक्त हुआ
दाऊद गिरोह या डी कंपनी द्वारा मुंबई में आखिरी गोलीबारी नवंबर 2002 में हुई थी। अंडरवर्ल्ड डॉन अरुण गवली के गिरोह ने मुंबई में आखिरी हत्या 2008 में की थी। 2011 में क्राइम जर्नलिस्ट जे डे की हत्या छोटा राजन गिरोह के हाथों हुई आखिरी हत्या थी। गैंगस्टर अश्विन नायक अंडरवर्ल्ड छोड़कर बिल्डर बन गया था। 2002 में पुर्तगाल में गिरफ्तारी के बाद अबू सलेम का गिरोह बिखर गया था। कुल मिलाकर, एक-दो को छोड़कर, बाकी सभी डॉन और उनके गुर्गे जेल पहुँच चुके थे। मुंबई अब अंडरवर्ल्ड के कहर से उबर चुकी थी।
कई कुख्यात गैंगस्टर गिरफ्तार हुए
दाऊद के छोटे भाई इकबाल कासकर को 2003 में दुबई से मुंबई प्रत्यर्पित किए जाने के बाद, दाऊद के गिरोह ने मुंबई में अपनी गतिविधियाँ धीरे-धीरे कम कर दीं, अगर पूरी तरह से बंद नहीं भी हुईं। छोटा राजन, जिसे बाली से गिरफ्तार करके दिल्ली लाया गया था, तिहाड़ जेल में बंद था, जहाँ वह आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। अबू सलेम, अरुण गवली भी अलग-अलग मामलों में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। बंटी पांडे और रवि पुजारी जैसे गैंगस्टर भी सलाखों के पीछे हैं। कुल मिलाकर, एक तरह से मुंबई में अब अंडरवर्ल्ड का पूरी तरह से सफाया हो चुका है। और यही बात लॉरेंस बिश्नोई को मुंबई की ओर आकर्षित करती है। सामने कोई प्रतिद्वंद्वी गिरोह नहीं है। ऐसे में उसके लिए अपने गिरोह के लिए ज़मीन तैयार करना काफी आसान है।
लॉरेंस गिरोह का मुंबई अंडरवर्ल्ड में प्रवेश बाबा सिद्दीकी की मौत के बाद, उनकी मौत की वजह को लेकर तस्वीर साफ नहीं है। ज़्यादातर लोग इस बात को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं कि सलमान खान को डराने के लिए बाबा सिद्दीकी की हत्या की गई थी। हालांकि मुंबई पुलिस ने अभी तक पक्के तौर पर नहीं कहा है कि बाबा सिद्दीकी की हत्या के पीछे लॉरेंस गैंग का हाथ था, लेकिन लॉरेंस गैंग से कनेक्शन होने की वजह से मीडिया में इस हत्या के लिए लॉरेंस का नाम लिया जा रहा है। और इससे ये सवाल उठता है कि अगर वाकई बाबा सिद्दीकी की हत्या के पीछे लॉरेंस गैंग का हाथ है, तो वजह क्या है? क्या वजह वही है जिसकी आशंका जताई जा रही है? यानी मुंबई अंडरवर्ल्ड में लॉरेंस गैंग की एंट्री।
दाऊद से भी बड़ा गिरोह बनाने की चाहत मुंबई में 1993 के सीरियल ब्लास्ट के बाद अंडरवर्ल्ड दो हिस्सों में बंट गया। एक देशभक्त अंडरवर्ल्ड और दूसरा देशद्रोही अंडरवर्ल्ड। इसके साथ ही, अंडरवर्ल्ड हिंदू और मुसलमान के आधार पर भी बंट गया। छोटा राजन ने खुद को देशभक्त डॉन घोषित करवा लिया, जबकि 1993 के धमाकों के बाद दाऊद को देशद्रोही डॉन घोषित कर दिया गया। 2000 की शुरुआत में शुरू हुआ यह सिलसिला अब छोटा राजन और दाऊद से होते हुए लॉरेंस बिश्नोई गैंग तक पहुँच गया है। लॉरेंस गैंग द्वारा सोशल मीडिया पर जब भी कोई पोस्ट किया जाता है, तो जय श्री राम और जय भारत जैसे शब्दों का इस्तेमाल खास तौर पर इसी मकसद से किया जाता है। अंडरवर्ल्ड पर काम कर चुके कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के अनुसार, लॉरेंस डी कंपनी से भी बड़ा अपना गिरोह बनाना चाहता है। डी कंपनी की तरह, वह अपने गिरोह को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाना चाहता है। और इसीलिए, दाऊद की तरह, वह चाहता है कि उसका गिरोह मुंबई पर भी नियंत्रण रखे।
लॉरेंस गिरोह में 700 से ज़्यादा शूटर
एनआईए के दस्तावेज़ के अनुसार, लॉरेंस गिरोह में इस समय 700 से ज़्यादा शूटर हैं, जिनमें से 300 शूटर अकेले पंजाब से हैं। लॉरेंस का अपने गिरोह में शूटरों या लड़कों की भर्ती करने का तरीका लगभग अबू सलेम जैसा ही है। वह अपने दुश्मनों को धमकाने या खत्म करने के लिए कभी भी अपने गिरोह के किसी ख़ास सदस्य का इस्तेमाल नहीं करता। इसके बजाय, वह बिना किसी आपराधिक रिकॉर्ड वाले युवा लड़कों को कुछ पैसे देकर अपना काम करवाता है। ऐसे कई मामलों में, यह देखा गया है कि लॉरेंस गिरोह के लिए काम करने वाले लड़कों ने गिरफ्तारी के बाद खुलासा किया कि पैसों के अलावा, उन्हें भारतीय क़ानून से बचने और काम पूरा होने के बाद विदेश में बसने का भी भरोसा दिया जाता था।