कटनी की अर्चना तिवारी रहस्यमयी तरीके से ट्रेन से लापता…हफ्तेभर बाद भी नहीं मिला कोई सुराग, इन 5 थ्

मध्य प्रदेश के कटनी ज़िले की रहने वाली अर्चना तिवारी पिछले 7 दिनों से लापता हैं। वह इंदौर के उपकार गर्ल्स हॉस्टल में रहकर सिविल जज परीक्षा की तैयारी कर रही थीं। अर्चना रक्षाबंधन पर ट्रेन से कटनी आ रही थीं। यात्रा के दौरान उन्होंने अपने परिवार से फ़ोन पर बात भी की थी। लेकिन रास्ते में ही वह चलती ट्रेन से गायब हो गईं। न तो ट्रेन में उनका कोई सुराग मिला और न ही स्टेशन पर। अब सवाल यह है कि अर्चना कहाँ हैं? अर्चना तिवारी के लापता होने से पहले की आखिरी तस्वीरें इंदौर के सत्कार गर्ल्स हॉस्टल की हैं, जहाँ अर्चना सिविल जज की तैयारी कर रही थीं।
गुरुवार 7 अगस्त 2025, दोपहर लगभग 2:20 बजे अर्चना तिवारी अपने गर्ल्स हॉस्टल से कटनी स्थित अपने घर जाने के लिए निकलीं और फिर इस तरह गायब हो गईं कि लगभग एक हफ़्ते बाद भी उनका गायब होना एक रहस्य बना हुआ है। उनका मोबाइल फ़ोन भी बीच रास्ते में रहस्यमय तरीके से बंद हो गया। ऐसे में, अर्चना चलती ट्रेन से कहाँ गायब हो गईं? क्या वह अपनी मर्ज़ी से किसी के साथ गई थीं या कोई उन्हें ज़बरदस्ती कहीं ले गया था? कहीं ऐसा तो नहीं कि वह किसी अनहोनी का शिकार हो गई हो? ऐसे ही कई सवाल इस गुमशुदगी के इर्द-गिर्द घूम रहे हैं। अभी तक तो यह साफ है कि वह इंदौर से ट्रेन में सवार हुई थी और उसने भोपाल तक का सफर भी आराम से पूरा किया, लेकिन आधी रात को वह अपनी सीट से कैसे गायब हो गई, यही पुलिस को पता लगाना है। इंदौर से कटनी तक 689 किलोमीटर की दूरी में अर्चना के लापता होने की सच्चाई जानने के लिए उस ट्रेन के रूट की पड़ताल ज़रूरी है जिससे अर्चना ने अपनी यात्रा शुरू की थी।
7 अगस्त की दोपहर अर्चना अपने हॉस्टल से निकलकर इंदौर रेलवे स्टेशन पहुँची और यहाँ से वह 18233 इंदौर-बिलासपुर नर्मदा एक्सप्रेस में सवार होकर घर के लिए रवाना हुई। यह ट्रेन इंदौर से शाम 4:10 बजे रवाना होती है। अर्चना के लापता होने की जाँच कर रही पुलिस को उसके ट्रेन में सवार होने और अपनी यात्रा शुरू करने की जानकारी मिली है। ऐसे में रहस्य उसके चलती ट्रेन से गायब होने का है।
अर्चना के पास इंदौर-बिलासपुर एक्सप्रेस ट्रेन का टिकट था। एसी कोच संख्या बी-3 में बर्थ संख्या 3 उसके नाम पर बुक थी, जो दरवाजे के ठीक बगल वाली सबसे ऊपरी बर्थ है। अर्चना भी उसी बर्थ पर बैठी थी, जिसकी पुष्टि सह-यात्रियों ने की है। दरअसल, जब ट्रेन इंदौर से चलकर भोपाल के पास पहुँची, तो उसने अपनी मौसी से फोन पर बात भी की थी। उस समय रात के 10:16 बज रहे थे।

इसके बाद, उसे अगले दिन सुबह 6:50 बजे कटनी साउथ रेलवे स्टेशन पर उतरना था, लेकिन उसे लेने आए उसके परिजन उस समय हैरान रह गए जब अर्चना अपने कोच से बाहर नहीं आई। नर्मदा एक्सप्रेस इस स्टेशन पर मुश्किल से पाँच मिनट रुकती है। इसलिए, इससे पहले कि परिजन उसके बारे में कोई जानकारी जुटा पाते, ट्रेन स्टेशन से गुजर चुकी थी।ऐसे में परिजनों ने उमरिया में रहने वाले अपने रिश्तेदारों को फोन करके अर्चना के ट्रेन से न उतरने की जानकारी दी और उन्हें कोच संख्या बी-3 में चढ़कर अर्चना के बारे में पता करने को कहा। परिजनों ने ऐसा ही किया, लेकिन मामला तब और पेचीदा हो गया जब अर्चना का बैग उसकी बर्थ पर मिला, लेकिन उसका कोई सुराग नहीं मिला।

सहयात्रियों ने बताया कि उन्होंने रात तक अर्चना को देखा था, लेकिन उसके बाद किसी को उसके लापता होने का पता नहीं चला। फिर अर्चना के परिजनों ने कटनी रेलवे थाने यानी जीआरपी में अपनी बेटी की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई, जिस पर कटनी रेलवे पुलिस ने जीरो एफआईआर दर्ज कर उसे भोपाल ट्रांसफर कर दिया। अब इस मामले को लेकर कई थ्योरी सामने आ रही हैं।
थ्योरी नंबर-1 क्या नर्मदा नदी में कोई दुर्घटना हुई है? ज़ाहिर है, अब तक की कहानी यही इशारा करती है कि अर्चना ने इंदौर से भोपाल तक का सफ़र पूरा किया था और उसके बाद वह आगे बढ़ गई थी, लेकिन उसके बाद रास्ते में ही रास्ता भटक गई। पुलिस ने जब उसके मोबाइल फ़ोन का सीडीआर निकाला, तो पता चला कि नर्मदापुरम रेलवे स्टेशन के आसपास तक उसका फ़ोन चालू था, लेकिन उसके बाद फ़ोन बंद हो गया। ट्रेन रात 11:26 बजे नर्मदापुरम पहुँचती है। नर्मदा नदी भी यहीं से होकर गुजरती है। ऐसे में यह भी आशंका है कि कहीं वह चलती ट्रेन से नदी में तो नहीं गिर गई? इसी आशंका के चलते अर्चना के लापता होने के बाद पुलिस की निगरानी में गोताखोरों और जीवन रक्षक दस्ते ने उफनती नर्मदा नदी में अर्चना की तलाश का अभियान भी चलाया, लेकिन इस प्रयास का भी कोई नतीजा नहीं निकला।
सिद्धांत संख्या-2
क्या अर्चना ने खुद कोई गलत फैसला लिया? ट्रेन से गिरने की आशंका के बीच, एक सिद्धांत यह भी है कि क्या अर्चना ने खुद अपनी जान का कोई गलत फैसला लिया? लेकिन पुलिस को अब तक की जाँच में इस सिद्धांत की पुष्टि करने वाला कुछ भी नहीं मिला है। क्योंकि आखिरी बार जब अर्चना ने अपनी मौसी से फोन पर बात की थी, तो वह बिल्कुल सामान्य लग रही थी, जिसकी पुष्टि उसकी मौसी ने भी की है। इसके अलावा, उसने अपने किसी दोस्त से कोई समस्या नहीं बताई और न ही हॉस्टल से निकलते हुए आखिरी सीसीटीवी फुटेज में वह चिंतित दिखी। हॉस्टल से निकलते समय उसने बाहर जाने की औपचारिकताएँ भी पूरी की थीं और हॉस्टल में उसके साथ रहने वाली लड़की ने भी उसे विदा किया था। यहाँ तक कि किसी को भी उसके पास से कोई संदिग्ध संदेश या नोट नहीं मिला है।
सिद्धांत संख्या-3
क्या वह किसी जंगली इलाके में किसी दुर्घटना का शिकार हुई? भोपाल से नर्मदापुरम जाने वाली नर्मदा एक्सप्रेस का पूरा रास्ता घने जंगल से होकर गुजरता है। अर्चना की बर्थ संख्या 3 थी, जो दरवाजे के ठीक बगल में है। कई बार लोग आधी रात को नींद के झोंके में अपनी सीट से उतरकर वॉशरूम जाते हैं और चूँकि वॉशरूम दरवाज़े के पास ही होते हैं, इसलिए चलती ट्रेन से यात्रियों के गिरने के मामले भी सामने आए हैं। ऐसे में यह भी आशंका है कि कहीं इस वन क्षेत्र में अर्चना के साथ कोई अनहोनी तो नहीं हुई? वैसे भी इस क्षेत्र में सियार और तेंदुओं के साथ-साथ बाघों की भी आवाजाही बताई जाती है। ऐसे में क्या अर्चना किसी बड़ी मुसीबत में फँस गई हैं? पुलिस इस पहलू से भी मामले की जाँच कर रही है।
थ्योरी नंबर-4 क्या चलती ट्रेन से किसी ने उसका अपहरण किया था? किसी भी मामले की जाँच में पुलिस सभी विकल्प खुले रखती है और ऐसे में इस विकल्प से भी इनकार नहीं किया जा सकता। हालाँकि, ऐसा होने की संभावना थोड़ी कम लगती है, क्योंकि अगर किसी ने अर्चना का ट्रेन से अपहरण किया होता या उसके साथ छेड़छाड़ की होती, तो बाकी यात्रियों को कोई न कोई शोर या चीख-पुकार ज़रूर सुनाई देती। भोपाल और नर्मदापुरम रेलवे स्टेशन के बीच दूसरे स्टेशनों पर भी ऐसी हरकतें सीसीटीवी कैमरों में कैद हुई होंगी या किसी ने कुछ देखा होगा, लेकिन यहाँ ऐसा कुछ नहीं है।
सिद्धांत संख्या-5
क्या अर्चना खुद कहीं गई थी? आमतौर पर युवा लड़के-लड़कियाँ बिना किसी को बताए घर से तभी गायब हो जाते हैं जब उनका किसी से प्रेम-प्रसंग चल रहा हो और परिवार वाले रिश्ते को मंज़ूरी देने से इनकार कर रहे हों। लेकिन अर्चना के मामले में अब तक ऐसी कोई बात सामने नहीं आई है। पुलिस ने उसके मोबाइल फ़ोन की सीडीआर जाँची है, जिसमें किसी लड़के से उसकी लंबी या लंबी बातचीत का कोई सबूत नहीं मिला है, इसलिए फिलहाल उसके प्रेम-प्रसंग में कहीं जाने का कोई सुराग नहीं मिला है। ज़ाहिर है, इन तमाम सिद्धांतों का अस्तित्व और सभी सिद्धांतों पर मामले की जाँच में कोई प्रगति न होना मामले को और उलझा रहा है। कटनी में अर्चना के परिजन तो चिंतित हैं ही, वहाँ के आम लोग भी शहर की इस होनहार बेटी के लापता होने के बाद उसे ढूँढने में जुट गए हैं। फ़िलहाल, तलाश जारी है, लेकिन अर्चना के लापता होने का रहस्य जस का तस बना हुआ है।