Silver Medal: कामिनी स्वर्णकार ने 40 वर्ष की उम्र में खेलों में दिखाया नया जोश, फेंसिंग खेल में स्टेट लेवल पर जीता सिल्वर मेडल

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Silver Medal: कामिनी स्वर्णकार ने 40 साल की उम्र में स्टेट लेवल फेंसिंग प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीतकर साबित किया कि उम्र केवल एक संख्या है. उनकी सफलता सभी के लिए प्रेरणा है.

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कामिनी स्वर्णकार ने 40 वर्ष की उम्र में खेलों में दिखाया नया जोश.

हाइलाइट्स

  • कामिनी स्वर्णकार ने 40 साल की उम्र में जीता सिल्वर मेडल
  • खेलों में भाग लेने से मानसिक तनाव कम होता है
  • कामिनी ने मार्शल आर्ट्स से फेंसिंग तक किया संघर्ष

बिलासपुर: 40 साल की उम्र में खेलों के प्रति जुनून और समर्पण की मिसाल कायम करने वाली महिला, कामिनी स्वर्णकार, ने न केवल अपनी उम्र की सीमाओं को चुनौती दी, बल्कि स्टेट लेवल प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीतकर यह साबित कर दिया कि उम्र केवल एक संख्या है. उनकी यह सफलता उन सभी के लिए प्रेरणा बन चुकी है जो जीवन में किसी नए कार्य को शुरू करने से डरते हैं. राजकिशोर नगर, बिलासपुर की रहने वाली कामिनी का कहना है कि खेल ने न केवल उनके शरीर को स्वस्थ रखा, बल्कि मानसिक तनाव से भी मुक्ति दिलाई.

बेटी की प्रेरणा से शुरू हुआ खेलों का सफर
कामिनी स्वर्णकार की बेटी श्रेयांशी ने बताया कि वह खुद एक खिलाड़ी हैं, लेकिन उनकी मां के खेलों में रुचि और सिल्वर मेडल ने उन्हें और ऊर्जा दी. श्रेयांशी का कहना है कि उनकी मां ने इस उम्र में जो किया, वह उनके लिए एक बड़ी प्रेरणा है और वह भी खेलों में अच्छा प्रदर्शन करने की ओर बढ़ रही हैं.

मार्शल आर्ट्स से फेंसिंग तक, कामिनी का संघर्ष और सफलता
कामिनी स्वर्णकार ने अपनी शुरुआत मार्शल आर्ट्स क्लास से की थी, जहां वह अपने बच्चों को प्रशिक्षण के दौरान बोर हो रही थीं. वहां मौजूद महिलाओं को खेलते देख उन्होंने भी खेलों में भाग लेने का निर्णय लिया. इसके बाद उन्होंने फेंसिंग खेल में स्टेट लेवल प्रतियोगिता में भाग लिया और सिल्वर मेडल हासिल किया. उनका कहना है कि नेशनल लेवल में भी उनका चयन हुआ था, और उनका लक्ष्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलने का है.

खेलों के प्रति महिलाओं से अपील: स्वस्थ जीवन के लिए खेलों में भाग लें
कामिनी स्वर्णकार का मानना है कि खेल केवल शरीर को स्वस्थ नहीं रखता, बल्कि मानसिक तनाव को भी कम करता है. वह अन्य महिलाओं से अपील करती हैं कि वे भी खेलों में रुचि दिखाएं और खेलों के जरिए अपने जीवन को स्वस्थ और तनावमुक्त बनाएं. यह पूरी कहानी एक मजबूत संदेश देती है कि जीवन में कभी भी कोई नया कदम उठाया जा सकता है और खेलों में भाग लेने से न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी बेहतरी आती है.

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40 वर्ष की उम्र में जीवन को दी नई दिशा, स्टेट लेवल पर जीता सिल्वर मेडल

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