अब कश्मीरी हिंदुओ ने भी की बोर्ड की मांग, वक्फ बिल पर सियासत के बीच उठा ये नया मामला - Kashmiri Hindu Shrines Demand for Boar

नवीन नवाज, श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में वक्फ संशोधन बिल को लेकर हो रही सियासत के बीच कश्मीरी हिंदुओं ने कश्मीर घाटी में अपने धर्मस्थलों के संरक्षण के पूरी तरह से सशक्त और समर्थ बोर्ड बनाने की मांग की है। उन्होंने नेशनल कान्फ्रेंस, पीडीपी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस समेत विभिन्न दलों को कश्मीरी हिंदु श्राईण एवं धर्मस्थल प्रबंधन बिल की याद दिलाई जो उनकी एक वर्ग विशेष के तुष्टिकरण की नीति के कारण कभी वास्तविकता नहीं बन पाया है।
उल्लेखनीय है कि विभिन्न कश्मीरी हिंदु संगठन दावा करते हैं कि घाटी में उनके कई धर्मस्थल और मंदिर अतिक्रमण की भेंट चढ़ गए हैं। कईयों का नामो निशान नहीं रहा है। इन संगठनों के मुताबिक, घाटी में बीते 37 वर्ष में लगभग 1400 मंदिर तोड़े गए हैं, नष्ट किए गए हैं या फिर उनकी परिसंपत्तियों पर कब्जा किया गया है। कश्मीरी हिंदुओं के श्मशानघाटों पर भी कई जगह कब्जा हो चुका है। कई वर्षों से कर रह हैं बोर्ड और कानून बनाने की मांग विस्थापित कश्मीरी हिंदु घाटी में अपने धर्मस्थलों के संरक्षण और विकास के विगत कई वर्षों से एक बोर्ड और कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। वर्ष 2004 में तत्कालीन पीडीपी-कांग्रेस गठंबंधन सरकार के कार्यकाल कश्मीरी हिंदु श्राईण एवं धर्मस्थल संरक्षण का कानून बनाने के लिए एक निजी सदस्य ने बिल लाया था।
तत्कालीन सरकार ने यह कहकर बिल को नामंजूर कराया था कि वह स्वयं इस मुद्दे पर एक बिल लाएगी। वर्ष 2008 में पीडीपी-कांग्रेस सरकार भंग हो गई और कानून नहीं बन पाया। इसके बाद वर्ष 2009 में सत्तासीन हुई नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस गठबंधन सरकार के कार्यकाल के में कश्मीरी हिंदुओं के धार्मिक स्थलों पर व्यापक विधेयक पेश किया गया।अप्रैल 2013 तक विधेयक का भाग्य अनिश्चित रहा और कांग्रेस की मांग पर इसे प्रवर समिति को भेज दिया गया। सितंबर 2013 में प्रवर समिति ने अपनी रिपोर्ट पेश की और विधेयक को पारित करने का समर्थन किया।
दो मार्च 2014 को जम्मू में विधानसभा के बजट सत्र के दौरान विधेयक को पारित करने के लिए लिया गया लेकिन कांग्रेस, भाजपा और एनपीपी ने इसका विरोध किया और अध्यक्ष ने इसे संयुक्त प्रवर समिति (जेएससी) को भेज दिया, जिसकी एक भी बैठक नहीं हुई और अंतिम सत्र समाप्त हो गया, जिससे विधेयक समाप्त हो गया। पनुन कश्मीर के अध्यक्ष ने क्या कहा? पनुन कश्मीर के अध्यक्ष डॉ अजय च्रंगू ने कहा कि कश्मीर में कश्मीरी हिंदुओं के धर्मस्थलों पर हुए हमलों को आप सिर्फ आतंकी हिंसा से जोड़कर न देखें, यह जिहाद की मानसिकता से ग्रस्त तत्वों के हमले हैं। कश्मीर को हिंदुविहीन बनाने के लिए, कश्मीर की सदियों पुरानी सनातन सभ्यता और संस्कृति को नष्ट करने के लिए ही इन्हें निशाना बनाया गया है।
उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार कहती है कि वह कश्मीर में कश्मीरी हिंदुओं को वापस बसाएगी, लेकिन दूसरी तरफ जब हमारे धर्मस्थल ही वहां असुरक्षित रहेंगे, उन पर माफिया का कब्जा होगा तो आप कैसे विस्थापित हुए लोगों को वापस वहां एक विश्वासपूण्र वातावरण में बसाने की बात कर सकते हैं।उन्होंने कहा कि आपको पहले कश्मीरी हिंदुओं के पलायन को,कश्मीर से उनके विस्थापन को, उनके नरसंहार को स्वीकार करना होगा, उनके सभी धर्मस्थलों को जो नष्ट हो चुके हैं या मिट चुके हैं, उन्हें चिह्नित करना होगा, तभी बात आगे बढ़ेगी। इसके लिए एक बोर्ड बनाया जाना चाहिए जो संवैधानिक ष्प से पूरी तरह समर्थ हो। ‘कश्मीरी हिंदुओं के 1400 धर्मस्थलों को नुकसान पहुंचाया’ कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजय टिक्कू ने कहा कि घाटी में 1989 के बाद से अब तक कश्मीरी हिंदुओं के 1400 धर्मस्थलों को नुकसान पहुंचाया गया है। उन्होंने कहा कि सरकारी आंकड़ों पर जाएंग तो आपको सिर्फ चंद एक मंदिर ही बताए जाएंगे, क्योंकि बहुत से मामलों में उस समय पुलिस ने शिकायत तक दर्ज नहीं की।कई जगह जब कश्मीरी हिंदु ही नहीं रहे तो पीछे से उनके धर्मस्थलों को जिन्होंने जलाया,तोड़ा या नष्ट किया,उनके खिलाफ कौन शिकायत करता। कई जगह सरकारी विभागों ने भी मंदिरों की जमीन पर कब्जा किया है। कोकरनाग में हिंदु धर्मस्थलों से संबिधित जमीनों पर स्वास्थ्य केंद्र और खेल मैदानों का निर्माण हो चुका है। टिक्कर कुपवाड़ा में धार्मिक स्थलों की भ्मि पर भी कुछ सरकारी विभागों ने अतिक्रमण किया था।
वांगथ कंगन में राजनीतिक रूप से कुछ प्रभावशाली तत्वों ने कश्मीरी हिदुओं के धर्मस्थल की जमीन पर अतिक्रमण किया। उत्तरी कश्मीर के सोपोर कस्बे में झेलम नदी पर पुल के निर्माण के लिए सरकारी एजेंसियों द्वारा श्मशान घाट की भूमि पर कब्जा कर लिया गया था। अनंतनाग जिले के वनपोह में एक कश्मीरी हिंदु संत की समाधि से संबंधित भूमि पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा अतिक्रमण किया है। पुलवामा के खिरयु और लाडू में ज्वाला जी मंदिर और जेवन साहिब मंदिर की भूमि पर भी अतिक्रमण हुआ है।
अनंतनाग के अकिनगाम में श्मशान घाट और चंदपोरा हारवन श्रीनगर के श्मशान घाट की जमीन पर भी कब्जा हुआ है। यहां श्रीनगर में कई मंदिरों की जमीन को लेकर अदालत में लड़ाई चल रही है। एक्सचेंज रोड पर नृसिंह मंदिर की जमीन आज किसके पास है,यह देखा जाना चाहिए। यहां कई लोगों ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर हिंदुओं के धमस्थलों की जमीनों पर कब्जा कर, राजस्व रिकॉर्ड भी अपने नाम कराया है।

उन्होंने कहा कि आप हारिपर्वत के देवीआंगन की यात्रा करें और किसी ऐसे व्यक्ति से बात करें जो 40 वर्ष पहले कम से कम 10-15 वर्ष की आयु का हो,उससे पूछेंगे तो वह भी बताएगा कि यहां कितने मंदिर थे। अब जो हैं, वह देखें और उनकी स्थिति से आप अंदाजा लगा सकते हैं सिर्फ प्रमुख मंदिरों की स्थिति ठीक है, क्योंकि वहां सभी की नजर जाती है।उन्होंने कहा कि इसलिए हम चाहते हैं कि यहां कश्मीरी हिंदुओं के जितने भी धर्मस्थल हैं,जो भी हमारे पूजनीय स्थल और तीर्थ हैं सभी के संरक्षण और प्रबंधन के लिए एक कानून और बोर्ड बने। आप एक सनातन बोर्ड बना सकत हैं,अगर यहा वक्फ बोर्ड है तो सनातन बोर्ड क्यों नहीं। हमोर धर्मस्थलों पर हु सभी अवैध कब्जों केा हटाया जाए। ‘कश्मीरी हिंदुओं के धर्मस्थलों का भी थोड़ा ध्यान करना चाहिए’ कश्मीरी हिंदु वेल्फेयर सोसाईटी के चुन्नी लाल ने कहा कि यहां लोग वक्फ बोर्ड के नाम पर हंगामा कर रहे हैं, उन्हें कम से कम कश्मीर में कश्मीरी हिंदुओं के धर्मस्थलों का भी थोड़ा ध्यान कर लेना चाहिए। यहां आपको कश्मीरियत और कश्मीरी हिंदु-कश्मीरी मुस्लिम भाइचारे का नारा देने वाले बहुत मिलेंगे लेकिन जब आप किसी से कहोगे कि फलां मंदिर की जमीन पर फलां ने कब्जा किया है,उसे छड़ाने ममें मदद करो,भाईचारा समाप्त हो जाता है। सरकार को चाहिए कि वह इस दिशा में काम करे और कश्मीरी हिंदुओं के धर्मस्थलों के लिए एक बोर्ड बनाए,यह कश्मीर में कश्मीरी हिंदुओं के पुनर्वास की दिशा में एक बड़ी पहल साबित होगा।
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