Last Updated: September 25, 2025, 22:09 IST Bollywood 3 Movies last scene People not Understand : बॉलीवुड में कुछ फिल्में ऐसी भी बनीं जिन्होंने भारतीय सिनेमा को अलग पहचान दिलाई. इन फिल्मों का लास्ट सीन इतनी चालाकी से लिखा गया कि बड़े-बड़े मूवी लवर्स भी नहीं समझ पाए. 90 फीसदी दर्शकों ने बार-बार लास्ट सीन देखा.मन में आए सवालों का जवाब तलाशने की कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली. ये फिल्में कौन सी हैं, आइये जानते हैं विस्तार से….. हिंदी सिनेमा की सबसे बड़ी खासियत यही है कि फिल्म के अंत में सब कुछ ठीक हो जाता है. ज्यादातर फिल्मों में हैप्पी एंडिंग होती है. सभी दर्शक लास्ट सीन देखकर खुश हो जाते हैं लेकिन कुछ फिल्में ऐसी भी बनीं जिनका लास्ट सीन 90 फीसदी दर्शकों की समझ में नहीं आया. इन फिल्मों ने अपने कंटेट से पूरी दुनिया में भारतीय सिनेमा को अलग पहचान भी दिलाई. ये फिल्में थीं : ‘अंधाधुन’, ‘स्त्री’ और ‘तुम्बाड़’. इन फिल्मों का लास्ट सीन सस्पेंस से भरा हुआ था. इतने परतें थीं कि दर्शक सोचने को मजबूर हुए. थिएटर्स से बाहर आने के बाद लास्ट सीन की अपने-अपने ढंग से व्याख्या की. फिल्म के लास्ट सीन को लेकर दर्शकों के बीच बहस छिड़ रही. सबसे पहले बात करते हैं 5 अक्टूबर 2018 में आई अंधाधुन फिल्म की. यह एक सस्पेंस थ्रिलर फिल्म थी. इसमें दिखाई गई स्टोरी दर्शकों की सोच से एक कदम आगे की थी. फिल्म एक ब्लाइंड पियानो प्लेयर आकाश की कहानी को दिखाती है जो अनजाने में एक मर्डर का गवाह बन जाता है. मृतक की चालाक पत्नी सिमी और उसका पुलिस इंस्पेक्टर प्रेमी मर्डर करते हैं. फिल्म के लास्ट सीन में आकाश यूरोप के एक शहर में बैठा होता है. उसके साथ उसकी प्रेमिका बैठी होती है, जिसे वह कहानी का लास्ट सीन बता रहा होता है. वह खुद को बेचारा साबित करने की कोशिश करता है और सिमी को विलेन बताता है लेकिन दिलचस्प बात यह है कि आकाश फिल्म खत्म होने से ठीक पहले रोड पर पड़ी स्टिक से कैन को दूर हटा देता है. इससे साबित होता है कि वो ब्लाइंड नहीं है. फिल्म की शुरुआत में आकाश सोफी को क्रिकेट बॉल का किस्सा सुनाता है और कहता है कि वो बॉल लग जाने से अंधा हो गया था. वह अपने पास रखी रैबिट स्टिक से सिमी के एक्सीडेंट की झूठी कहानी बनाता है. हकीकत यह है कि वो डॉक्टर स्वामी के ऑफर को मान लेता है. दोनों मिलकर दुबई में बैठे शेख तक सिमी की बॉडी को पहुंचा देते हैं. इसके बदल में दोनों के बहुत सारे पैसे मिलते हैं. आकाश को नई आंखें मिल जाती हैं. यानी फिल्म में डॉक्टर स्वामी के कार से उतरने और सिमी के कार में बैठने की कहानी फेक थी. सोफी को यह कहानी आकाश सुनाता है जो कि झूठ थी. यानी सोफी का सिंपैथी गेन करने के लिए यह सीन उसने पलट दिया. फिल्म के डायरेक्टर श्रीराम राघवन ने ऐसी एंडिंग रखी थी कि फिल्म खत्म हो जाने के बाद दर्शक सोचने को मजबूर हुए कि आखिर हुआ क्या था. फिल्म में एक डायलॉग भी था कि ‘कुछ चीजें अधूरी होकर भी पूरी लगती हैं.’ फिल्म अधूरी होते हुए भी पूरी लगती है. श्रीराम राघवन को सस्पेंस थ्रिलर फिल्मों का मास्टर कहा जाता है. उन्होंने 2004 में एक हसीना से बतौर डायरेक्टर डेब्यू किया था. अंधाधुन फिल्म की कहानी श्रीराम राघवन, हेमंत एम राव, पूजा सूत्री, अरिजीत विश्वास और योगेश चांदेकर ने लिखी थी. फिल्म का बजट 32 करोड़ रुपये का था. इंडिया में फिल्म ने करीब 95 करोड़ जबकि वर्ल्ड वाइड 456 करोड़ का कलेक्शन किया था. यह एक सुपरहिट फिल्म साबित हुई थी. 31 अगस्त 2018 में ही एक हॉरर-कॉमेडी फिल्म स्त्री आई थी. फिल्म में राजकुमार राव, श्रद्धा कपूर, पंकज त्रिपाठी, अपरिक्षित खुराना और अभिषेक बनर्जी अहम भूमिकाओं में नजर आए थे. फिल्म का डायरेक्शन अमर कौशिक ने किया था. 25 करोड़ के बजट में बनी इस फिल्म ने वर्ल्ड वाइड 180 करोड़ का कलेक्शन किया था. फिल्म में गांव की एक ऐसी कहानी को सामने रखा गया था जिसमें एक चुड़ैल गांव के मर्दों के पीछे पड़ जाती है. जो भी मर्द उसकी ओर से देखता है, उसे गायब कर देती है. फिल्म में एक विकी नाम का टेलर था. चुड़ैल से विकी का प्यार भी दिखाया जाता है. फिल्म के लास्ट में दिखाया जाता है कि श्रद्धा कपूर चुड़ैल की चोटी निकालकर अपने बालों में जोड़ लेती है. फिर बस से गायब हो जाती है. फिल्म के इस लास्ट सीन ने दर्शकों का दिमाग घुमाकर रख दिया था. यह सीन दर्शकों को समझ नहीं आया था. फिल्म में दिखाया जाता है कि स्त्री को वो प्यार मिलता है, जिसकी उसे तलाश थी. वो लोगों को परेशन करना भी बंद कर देती है और गांव छोड़कर चली जाती है. लास्ट सीन में श्रद्धा कपूर चुड़ैल की चोटी निकालकर अपने बालों में जोड़ लेती है. दरअसल, इन्हीं बालों में शक्तियां होती हैं. श्रद्धा की पहचान अबूझ पहेली बन जाती है. वैसे भी पूरी फिल्म में उनकी पहचान का खुलासा नहीं किया जाता. असल में वो खुद एक चुड़ैल थी और लंबे समय में स्त्री की शक्तियों को पाने की कोशिश में जुटी हुई थी. वो बड़ी चालाकी से विकी को अपनी बातों में फंसा लेती है और स्त्री की शक्तियों को हासिल कर लेती है. स्त्री फिल्म की कहानी एक सच्ची घटना से प्रेरित थी. 90 के दशक में बेंगलुरु के पास ग्रामीण इलाकों में प्रचलित थी. लोग बताते थे कि एक महिला रात में गलियों में अपने पति को खोजते हुए घूमती है. घर से मर्दों को उठाकर अपने साथ ले जाती है. लोगों का कहना है कि स्त्री को पता होता है कि कौन सा सदस्य घर के बाहर गया हुआ है. उसी की आवाज निकालकर दरवाजा खटखटाती है. इससे बचने के लिए ग्रामीणों ने ‘ओ स्त्री कल आना’ लिख रखा था. लोगों का यकीन था कि घर के बाहर ऐसा लिखने से स्त्री घर में नहीं आती है. इसी घटना से प्रेरित होकर फिल्म की स्टोरी तैयार की गई थी. 2018 में ही एक और सस्पेंस थ्रिलर फिल्म सिनेमाघरों में आई थी जिसे मास्टरपीस माना जाता है. यह फिल्म थी तुम्बाड़. यह फिल्म पौराणिक कथाओं पर आधारिt थी. पूर्ति की देवी और हस्तर की कहानी को सामने रखा गया था. हस्तर इंसान के लालच का फायदा उठाकर उसका शिकार करता था. फिल्म में विनायक राव नाम का एक कैरेक्टर है जो तुम्बाड़ गांव में किले के नीच खुदाई करता है. वह अपने बेटे को भी अपने साथ ले जाता है. फिल्म के लास्ट सीन में देखने को मिलता है कि विनायक का बेटा उससे भी ज्यादा लालची निकलता है. वो आटे की गुड़िया लेकर आता है ताकि ज्यादा से ज्यादा खजाना निकाल सके. कहनी में शॉकिंग ट्विस्ट तब आता है जब आटे की हर गुड़िया से एक हस्तर जन्म लेता है. ऐसे में विनायक आटे की बची हुई गुड़िया खुद से बांधकर रस्सी के सहारे वहां से भागने की कोशिश करता है. सारे हस्तर उसकी ओर बढ़ते हैं. अपने बेटे की जान बचाने के लिए विनायक खुद को हस्तर के श्राप में फंसा देता है. उसका पूरा शरीर जल जाता है. विनायक हस्तर से पोटली चुराकर अपने बेटे की ओर फेंकता है लेकिन उसका बेटा समझ जाता है कि लालच बुरी बला है. वो विनायक को जलाकर श्राप से मुक्ति देता है. लालच का मोह त्याग देता है. न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें। First Published : September 25, 2025, 17:12 IST homeentertainment वो 3 फिल्में, जिनका लास्ट सीन देखा गया बार-बार, फिर भी नहीं आया समझ में