US Federal Reserve Rate Cut: अमेरिका में ब्याज दर कटौती को लेकर लंबे समय से चला आ रहा इंतजार पूरा हो गया. अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने इस साल पहली बार ब्याज दर में कटौती की है. फेड ने अपनी मुख्य नीतिगत दर को 25 बेसिस प्वाइंट घटाकर 4%-4.25% के दायरे में करने का फैसला किया है. फेड रिजर्व का यह कदम नरम मॉनेटरी पॉलिसी की शुरुआत है. इसका लक्ष्य कमजोर होते लेबर मार्केट को सपोर्ट करना है, भले ही अमेरिका में महंगाई दर अभी ऊपरी लेवल पर बनी हुई है.
जॉब मार्केट की तेजी भी कमजोर पड़ गई
फेड रिजर्व की तरफ से कहा गया कि आगे की दरों में बदलाव के लिए वह आने वाले डेटा, इकोनॉमिक एक्टिविटी और रिस्क का आकलन करेगा. फेड ने माना कि इस साल की पहली छमाही में इकोनॉमिक ग्रोथ धीमी हुई और जॉब मार्केट की तेजी भी कमजोर पड़ गई. हालिया आंकड़ों से पता चला कि नौकरी में बढ़ोतरी कम हुई और बेरोजगारी बढ़ी. कई कंपनियां अनिश्चित आर्थिक हालात के कारण भर्तियों को टाल रही हैं.
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महंगाई दर के अनुमान में किसी तरह का बदलाव नहीं
अगस्त में कंज्यूमर प्राइस डाटा (consumer price data) ने सात महीने का रिकॉर्ड महंगाई दर का लेवल दिखाया, जिसमें फूड प्रोडक्ट और कपड़ों की कीमतें बढ़ीं. फिर भी, फेड की तरफ से जॉब मार्केट को तवज्जो दी गई. फेड ने 2025 के लिए अपने ग्रोथ फॉरकॉस्ट दर के अनुमान को जून के 1.4% से बढ़ाकर 1.6% कर दिया. हालांकि, बेरोजगारी और महंगाई दर के अनुमान में किसी तरह का बदलाव नहीं किया.
2026 तक कई बार ब्याज दर में कटौती की उम्मीद
ब्याज दर में की गई यह कटौती जनवरी से रुकी पॉलिसी को तोड़ती है, जब पिछले साल सितंबर से दिसंबर तक कटौतियों के बाद रुकावट आई थी. जानकारों का कहना है कि यह कदम वॉल स्ट्रीट को नई रफ्तार दे सकता है. हालांकि कुछ उत्साह पहले ही मार्केट में दिखाई दे रहा है. बाजार की तरफ से इस साल और 2026 तक कई बार ब्याज दर में कटौती की उम्मीद है. कुछ अनुमान अगले साल के अंत तक छह और 25 बेसिस प्वाइंट की कटौतियों की तरफ इशारा करते हैं. हालांकि, यह महंगाई दर और इकोनॉमी के हालात पर निर्भर करेगा.
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राजनीतिक दबाव के बीच हुई फेड की कार्रवाई?
फेड की यह कार्रवाई राजनीतिक दबाव के बीच सामने आई है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चेयरमैन जेरोम पॉवेल पर आक्रामक रूप से दरें कम करने का दबाव डाला था. साथ ही फेड पर विकास को रोकने का आरोप लगाया था. फेड की पॉलिसी कमेटी में मतभेदों ने भी इस बदलाव को लेकर देरी की. फेड के फैसले के बाद वॉल स्ट्रीट पर डाउ जोंस 0.78% बढ़ा, जबकि टेक-हैवी नैस्डैक लाल निशान में रहा. यह कटौती भारत जैसे ग्लोबल मार्केट, रुपये और सोने की कीमत पर असर डाल सकती है.