महाराष्ट्र: राज्यात सर्वत्र चर्चा आहे ती म्हणजे लाडकी बहीण योजनेची. महायुती सरकारची मुख्यमंत्री लाडकी बहीण योजनेला सर्वत्र महिलांचा भरभरून प्रतिसाद मिळाला. मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहीण या योजनेत महिलांना दरमहा 1500 रुपये दिले जातात. परंतु ही रक्कम वाढवून महिलांना दरमहा 2100 रुपये दिले जाणार असे सांगण्यात आले होते. परंतु आजही या लाडक्या बहिणी वाढीव रकमेच्या प्रतीक्षेत आहेत. त्यातच आता लाडकी बहीण योजनेत बदल होणार का याकडे सर्वांचं लक्ष लागून आहे. यासंदर्भात उपमुख्यमंत्री अजित पवार यांनी माहिती दिलीय.
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काय म्हणाले अजित पवार?
‘मुख्यमंत्री लाडकी बहीण योजना अर्थव्यवस्थेला चालना देणारी ठरली. लाडकी बहीण योजनेचा वेगळा अर्थ मला सभागृहाला सांगायचा आहे. वित्तमंत्री म्हणून मी जेव्हा या योजनेकडे पाहतो, त्यावेळी या योजनेमधून राज्याच्या अर्थव्यवस्थेला भविष्यात काय मिळणार आहे, याचाही विचार करतो’.
‘राज्यात महिला आर्थिक विकास महामंडळासारखी संस्था आहे. जिल्हा सहकारी बँका आहेत. तसेच सहकारी बँकाही आहेत. ज्या महिलांना व्यवसाय सुरू करायचा आहे. त्यांच्यासाठी लाडकी बहीण योजना जोडून कर्ज योजना तुम्ही काढा. म्हणजे, ही योजना केवळ मदतीची राहणार नाही तर, त्यामधून महिलांचं सक्षमीकरण करण्याच्या बाबतीत आपण आणखी एक पाऊल पुढे टाकू’, असं अजित पवार म्हणालेत.
‘कारण सुमारे 45 हजार कोटी वर्षाला महिलांच्या हातात जाणार आहेत. या माध्यमातून बहीण सक्षम होऊन तिच्या कुटुंबालाही हातभार लावेल, हा पैसा राज्याच्या अर्थव्यवस्थेत येऊन अर्थव्यवस्थेला छोटं, मोठं योगदान मिळेल’, असंही अजित पवार म्हणाले आहेत.
युद्ध विराम समाप्त होने के बाद इस्राइल लगातार हमास के खिलाफ हमले कर रहा है। गाजा पट्टी में लगातार इस्राइल की ओर से बमबारी की जा रही है। इस बीच इस्राइली सेना ने लोगों से गाजा पट्टी के दक्षिणी शहर राफा के अधिकांश हिस्से को खाली करने के लिए कहा है।
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इससे पहले इस्राइली सेना ने गाजा शहर के कुछ हिस्सों को खाली करने का आदेश दिया था। लोगों को जीतून, तेल अल-हवा और अन्य इलाके खाली करने के लिए कहा था। यहां इस्राइली सेना ने 17 महीने के युद्ध के दौरान पिछले ऑपरेशन किए हैं। सेना ने कहा कि वह जल्द ही क्षेत्र से रॉकेट फायर का जवाब देगी और निवासियों को दक्षिण की ओर जाने का आदेश दिया।
इस्राइली सेना ने सीमा पर एक रणनीतिक बफर जोन पर कब्जा कर लिया और युद्धविराम समझौते के अनुसार वहां से वापस नहीं लौटी। इस्राइल ने कहा कि हथियारों की तस्करी को रोकने के लिए उसे वहां अपनी मौजूदगी बनाए रखने की जरूरत है।
पिछले सप्ताह इस्राइल ने हमास के साथ अपने युद्धविराम को समाप्त कर दिया था। इसके बाद इस्राइल ने गाजा पट्टी में हमले शुरू किए। इसमें सैकड़ों फलस्तीनी मारे गए थे। इस्राइल ने तब तक सैन्य दबाव बढ़ाने की कसम खाई है जब तक कि हमास शेष 59 बंधकों को वापस नहीं कर देता। इस्राइल ने यह भी मांग की है कि हमास निरस्त हो जाए और अपने नेताओं को निर्वासन में भेज दे। हमास ने कहा है कि वह स्थायी युद्धविराम और गाजा से इस्राइल की पूर्ण वापसी के बिना शेष बंधकों को रिहा नहीं करेगा।
नेतन्याहू ने नए घरेलू सुरक्षा प्रमुख को नामित किया
इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक नए घरेलू सुरक्षा प्रमुख को नामित किया है। उन्होंने मौजूदा सुरक्षा प्रमुख को बर्खास्त कर दिया। नेतन्याहू ने सोमवार को पूर्व नौसेना कमांडर वाइस एडमिरल एली शारविट को फलस्तीनी आतंकवादी समूहों के हमलों की निगरानी और विफल करने वाली एजेंसी का प्रमुख बनाया है। इससे पहले नेतन्याहू ने शिन बेट प्रमुख रोनेन बार को बर्खास्त कर दिया। नेतन्याहू ने कहा कि उन्होंने हमास के सात अक्तूबर, 2023 के हमलों और युद्धविराम वार्ता पर असहमति के कारण विश्वास खो दिया है। वहीं आलोचकों ने कहा कि बर्खास्तगी ने इस्राइल के स्वतंत्र राज्य संस्थानों को कमजोर कर दिया है।
इस्राइल पुलिस ने दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया
इस्राइल पुलिस ने कतर और इस्राइल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय के बीच संबंधों की जांच के सिलसिले में दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने संदिग्धों का नाम नहीं बताया। पुलिस उन आरोपों की जांच कर रही है, कि कतर ने जनसंपर्क अभियानों का प्रबंधन करने के लिए नेतन्याहू के लिए कुछ लोगों को काम पर रखा था।
Google, Meta, X on Deepfakes: भारत में डीपफेक्स (DeepFakes) और लगातार आ रहीं नई टेक्नोलॉजी को लेकर भारत सरकार काफी सजग है और जांच कर रही है। जनवरी में एक हुई स्टेहोल्डर्स की एक कंसल्टेशन बैठक में कम से कम तीन तकनीकी दिग्गजों – Google, Meta और X ने केंद्र सरकार को बताया कि उनके पास मैनिपुलेटेड मीडिया से निपटने के लिए कई नीतियां हैं।
Google और मेटा ने संकेत दिया कि उनके पास पहले से ही AI, डीपफेक या सिंथेटिक सामग्री के लिए लेबलिंग या डिस्क्लोजर पॉलिसी हैं। जब यूजर्स द्वारा मैनिपुलेटेड मीडिया में अपने व्यक्तित्व के इस्तेमाल को फ्लैग करने की बात आती है, तो केवल Google के पास एक प्रक्रिया है, जबकि मेटा “celebrity persona” की सुरक्षा पर “काम” कर रहा है।
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हालांकि, X ने इस बात पर जोर दिया कि “सारा AI कॉन्टेन्ट भ्रामक नहीं है” और आग्रह किया कि “आगे बढ़ने के लिए इस फर्क को उजागर करना महत्वपूर्ण है।”
नवंबर 2024 में, दिल्ली हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने डीपफेक के मुद्दों की जांच के लिए नौ सदस्यीय समिति का गठन किया। समिति ने 21 जनवरी को टेक्नोलॉजी दिग्गजों और नीति और कानूनी हितधारकों के साथ एक परामर्श बैठक की। हितधारकों ने “अनिवार्य एआई सामग्री डिस्क्लोजर (mandatory AI content disclosure)”, लेबलिंग स्टैंडर्ड्स और शिकायत निवारण तंत्र के लेबल करने के लिए दबाव डाला, इस चेतावनी के साथ कि डीपफेक टेक्नोलॉजी के रचनात्मक इस्तेमाल के बजाय मैलिशस एक्टर्स होने पर जोर दिया जाना चाहिए।
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Deepfake पर गूगल ने क्या कहा
इस कंसल्टेशन मीटिंग में गूगल के दो प्रतिनिधि मौजूद थे। उन्होंने कमेटी को बताया कि नवंबर 2023 से ही डीपफेक्स के लिए उनके पास पॉलिसी है। और नुकसान पहुंचाने के इरादे से बनाए गए मैनिपुलेटिव कॉन्टेन्ट को हटाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल किया जा रहा है। गूगल ने कहा कि Deepfakes पर इसकी पॉलिसी के मुताबिक, ‘वे क्रिएटर्स से सिंथेटिक कॉन्टेन्ट की जानकारी देने और लेबल प्रोवाइड कराने को कहते हैं।’ इसके अलावा उनके पास उन यूजर्स के लिए भी एक प्रक्रिया है जो यह दावा करते हैं कि डीपफेक बनाने के लिए उनका इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि उनके व्यक्तित्व को इ्स्तेमाल करने से जुड़ा कॉन्टेन्ट हटाया जा सके।
Deepfake पर मेटा का बयान
इसी तरह, मेटा, जिसने अप्रैल 2024 में अपनी AI लेबलिंग नीति लॉन्च की थी, उसने कहा, “यह यूजर्स को AI कॉन्टेनट अपलोड करते समय खुलासा करने की अनुमति देता है,” जिसमें विज्ञापन भी शामिल हैं, जहां यूजर्स को पता चल जाएगा कि क्या इसमें डिजिटल रूप से एडिट किया गया मटीरियल है, और उनकी कई पॉलिसी, टेक्नोलॉजी न्यूट्रल हैं, यानी इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कॉन्टेन्ट में किया गया बदलाव खासतौर से एक डीपफेक है या नहीं। हालांकि, मेटा प्रतिनिधि ने समिति को बताया कि वे “सेलिब्रिटी व्यक्तित्वों की सुरक्षा पर काम कर रहे हैं।”
X ने कमेटी को यह भी बताया कि इसकी एक “सिंथेटिक और मैनिपुलेटेड मीडिया पॉलिसी” है, जहां “भ्रामक तरीके के कॉन्टेन्ट को हटा दिया जाता है”। हालांकि, इसमें कहा गया है कि कुछ पोस्ट को लेबल करने के लिए, उन्हें “बेहद भ्रामक और हानिकारक” होना चाहिए। एक्स ने यह भी कहा कि “सभी AI कॉन्टेन्ट, नेचर में भ्रामक नहीं है”, और “आगे बढ़ने के लिए इस फर्क को समझना महत्वपूर्ण है।”
अगले तीन महीनों में, MeitY द्वारा गठित कमेटी द्वारा डीपफेक के पीड़ितों सहित हितधारकों के साथ अपना परामर्श पूरा करने की उम्मीद है।
गूगल, मेटा और X कर क्या रहे हैं! DeepFakes से निपटने के लिए दिग्गज टेक कंपनियों के पास क्या प्लान, भारत सरकार को दिया जवाब
Google, Meta, X on Deepfakes: डीपफेक पर बढ़ रही चिंताओं पर गूगल, मेटा और X की केंद्र सरकार के साथ बातचीत हुई है। जानें दुनिया की दिग्गज टेक कंपनियों ने क्या-कुछ कहा…
द्वारा लिखित टेक्नोलॉजी डेस्कद्वारा संपादित नैना गुप्ता
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गूगल, मेटा और X ने केंद्र सरकार के कंट्रोल पैनल को Deepfake से निबटने का प्लान बताया है।
Google, Meta, X on Deepfakes: भारत में डीपफेक्स (DeepFakes) और लगातार आ रहीं नई टेक्नोलॉजी को लेकर भारत सरकार काफी सजग है और जांच कर रही है। जनवरी में एक हुई स्टेहोल्डर्स की एक कंसल्टेशन बैठक में कम से कम तीन तकनीकी दिग्गजों – Google, Meta और X ने केंद्र सरकार को बताया कि उनके पास मैनिपुलेटेड मीडिया से निपटने के लिए कई नीतियां हैं।
Google और मेटा ने संकेत दिया कि उनके पास पहले से ही AI, डीपफेक या सिंथेटिक सामग्री के लिए लेबलिंग या डिस्क्लोजर पॉलिसी हैं। जब यूजर्स द्वारा मैनिपुलेटेड मीडिया में अपने व्यक्तित्व के इस्तेमाल को फ्लैग करने की बात आती है, तो केवल Google के पास एक प्रक्रिया है, जबकि मेटा “celebrity persona” की सुरक्षा पर “काम” कर रहा है।
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हालांकि, X ने इस बात पर जोर दिया कि “सारा AI कॉन्टेन्ट भ्रामक नहीं है” और आग्रह किया कि “आगे बढ़ने के लिए इस फर्क को उजागर करना महत्वपूर्ण है।”
नवंबर 2024 में, दिल्ली हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने डीपफेक के मुद्दों की जांच के लिए नौ सदस्यीय समिति का गठन किया। समिति ने 21 जनवरी को टेक्नोलॉजी दिग्गजों और नीति और कानूनी हितधारकों के साथ एक परामर्श बैठक की। हितधारकों ने “अनिवार्य एआई सामग्री डिस्क्लोजर (mandatory AI content disclosure)”, लेबलिंग स्टैंडर्ड्स और शिकायत निवारण तंत्र के लेबल करने के लिए दबाव डाला, इस चेतावनी के साथ कि डीपफेक टेक्नोलॉजी के रचनात्मक इस्तेमाल के बजाय मैलिशस एक्टर्स होने पर जोर दिया जाना चाहिए।
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Deepfake पर गूगल ने क्या कहा
इस कंसल्टेशन मीटिंग में गूगल के दो प्रतिनिधि मौजूद थे। उन्होंने कमेटी को बताया कि नवंबर 2023 से ही डीपफेक्स के लिए उनके पास पॉलिसी है। और नुकसान पहुंचाने के इरादे से बनाए गए मैनिपुलेटिव कॉन्टेन्ट को हटाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल किया जा रहा है। गूगल ने कहा कि Deepfakes पर इसकी पॉलिसी के मुताबिक, ‘वे क्रिएटर्स से सिंथेटिक कॉन्टेन्ट की जानकारी देने और लेबल प्रोवाइड कराने को कहते हैं।’ इसके अलावा उनके पास उन यूजर्स के लिए भी एक प्रक्रिया है जो यह दावा करते हैं कि डीपफेक बनाने के लिए उनका इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि उनके व्यक्तित्व को इ्स्तेमाल करने से जुड़ा कॉन्टेन्ट हटाया जा सके।
Deepfake पर मेटा का बयान
इसी तरह, मेटा, जिसने अप्रैल 2024 में अपनी AI लेबलिंग नीति लॉन्च की थी, उसने कहा, “यह यूजर्स को AI कॉन्टेनट अपलोड करते समय खुलासा करने की अनुमति देता है,” जिसमें विज्ञापन भी शामिल हैं, जहां यूजर्स को पता चल जाएगा कि क्या इसमें डिजिटल रूप से एडिट किया गया मटीरियल है, और उनकी कई पॉलिसी, टेक्नोलॉजी न्यूट्रल हैं, यानी इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कॉन्टेन्ट में किया गया बदलाव खासतौर से एक डीपफेक है या नहीं। हालांकि, मेटा प्रतिनिधि ने समिति को बताया कि वे “सेलिब्रिटी व्यक्तित्वों की सुरक्षा पर काम कर रहे हैं।”
X ने कमेटी को यह भी बताया कि इसकी एक “सिंथेटिक और मैनिपुलेटेड मीडिया पॉलिसी” है, जहां “भ्रामक तरीके के कॉन्टेन्ट को हटा दिया जाता है”। हालांकि, इसमें कहा गया है कि कुछ पोस्ट को लेबल करने के लिए, उन्हें “बेहद भ्रामक और हानिकारक” होना चाहिए। एक्स ने यह भी कहा कि “सभी AI कॉन्टेन्ट, नेचर में भ्रामक नहीं है”, और “आगे बढ़ने के लिए इस फर्क को समझना महत्वपूर्ण है।”
अगले तीन महीनों में, MeitY द्वारा गठित कमेटी द्वारा डीपफेक के पीड़ितों सहित हितधारकों के साथ अपना परामर्श पूरा करने की उम्मीद है।
विषयकृत्रिम बुद्धिमत्ता
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