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बिल गेट्स ने दी चेतावनी, इन 3 सेक्‍टर्स को छोड़कर अधिकांश नौकरियां खा जाएगा AI – Bill Gates warns that AI will take away most jobs except these 3 sectors – Hindi news, tech news

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बिल गेट्स ने वही बात दोहराई है जो टेक्‍नोलॉजी क्षेत्र के कई एक्‍सपर्ट कह चुके हैं. ब‍िल गेट्स ने किन तीन सेक्‍टर्स की बात की है, जो AI से प्रभाव‍ित नहीं होंगे.

बिल गेट्स ने दी चेतावनी, इन 3 सेक्‍टर्स को छोड़कर अधिकांश नौकरियां खा जाएगा AI

बि‍ल गेट्स ने एआई को लेकर कही ये बात

हाइलाइट्स

  • बिल गेट्स ने AI से अधिकांश नौकरियों के खतरे की चेतावनी दी.
  • हेल्थकेयर, एजुकेशन और क्रिएटिव आर्ट्स सुरक्षित रहेंगे.
  • AI से मैन्युफैक्चरिंग, कस्टमर सर्विस और डेटा एंट्री प्रभावित होंगे.

नई द‍िल्‍ली. माइक्रोसॉफ्ट के को फाउंडर बिल गेट्स ने हाल ही में भविष्यवाणी की थी कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) वर्तमान में कई नौकरियों को अपने कब्जे में ले सकता है. दुनिया भर में AI का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन उनका मानना ​​है कि अभी भी कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां मानवीय विशेषज्ञता जरूरी बनी रहेगी.

गेट्स ने कहा कि जब से OpenAI ने 2022 में ChatGPT लॉन्च किया है, तब से AI ने हमारी थ‍िंंक‍िंग प्रोसेस और काम करने के तरीकों को काफी हद तक बदल दिया है. आज, Gemini, Grok और DeepSeek जैसे AI चैटबॉट आम टूल बन रहे हैं, जिससे पेशेवरों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में संभावित नौकरी छूटने की चिंता बढ़ रही है.

इन तीन सेक्‍टर्स की नौकर‍ियां रहेंगी सुरक्ष‍ित
बिल गेट्स ने कहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आने वाले समय में अधिकांश नौकरियों को खत्म कर सकता है. हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि कुछ सेक्टर्स ऐसे हैं जो AI के प्रभाव से सुरक्षित रहेंगे. गेट्स के अनुसार, AI के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले सेक्टर्स में मैन्युफैक्चरिंग, कस्टमर सर्विस और डेटा एंट्री शामिल हैं. इन क्षेत्रों में AI की वजह से नौकरियों की संख्या में भारी कमी आ सकती है.

लेकिन, उन्होंने यह भी कहा कि तीन सेक्टर्स ऐसे हैं जो AI के प्रभाव से बचे रहेंगे. ये सेक्टर्स हैं:

1. हेल्थकेयर: डॉक्टर और नर्स जैसी नौकरियां AI से प्रभावित नहीं होंगी क्योंकि इनमें मानवीय संवेदनाओं और अनुभव की जरूरत होती है.

2. एजुकेशन: शिक्षकों की भूमिका भी AI से सुरक्षित रहेगी क्योंकि शिक्षा में व्यक्तिगत ध्यान और मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है.

3. क्रिएटिव आर्ट्स: कलाकार, लेखक और संगीतकार जैसी क्रिएटिव नौकरियां भी AI से प्रभावित नहीं होंगी क्योंकि इनमें कल्पनाशक्ति और रचनात्मकता की जरूरत होती है.

बिल गेट्स ने यह भी कहा कि हमें AI के साथ तालमेल बिठाने और इसके साथ काम करने के तरीकों पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने सुझाव दिया कि हमें अपनी स्किल्स को अपग्रेड करना चाहिए ताकि हम भविष्य में भी रोजगार पा सकें.

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गूगल, मेटा और X कर क्या रहे हैं! DeepFakes से निपटने के लिए दिग्गज टेक कंपनियों के पास क्या प्लान, भारत सरकार को दिया जवाब

Google, Meta, X on Deepfakes: भारत में डीपफेक्स (DeepFakes) और लगातार आ रहीं नई टेक्नोलॉजी को लेकर भारत सरकार काफी सजग है और जांच कर रही है। जनवरी में एक हुई स्टेहोल्डर्स की एक कंसल्टेशन बैठक में कम से कम तीन तकनीकी दिग्गजों – Google, Meta और X ने केंद्र सरकार को बताया कि उनके पास मैनिपुलेटेड मीडिया से निपटने के लिए कई नीतियां हैं।

Google और मेटा ने संकेत दिया कि उनके पास पहले से ही AI, डीपफेक या सिंथेटिक सामग्री के लिए लेबलिंग या डिस्क्लोजर पॉलिसी हैं। जब यूजर्स द्वारा मैनिपुलेटेड मीडिया में अपने व्यक्तित्व के इस्तेमाल को फ्लैग करने की बात आती है, तो केवल Google के पास एक प्रक्रिया है, जबकि मेटा “celebrity persona” की सुरक्षा पर “काम” कर रहा है।

Viral Ghibli Images: सोशल मीडिया पर वायरल घिबली इमेज क्या है? सचिन तेंदुलकर जैसी AI Image बनाने का ये है आसान तरीका

हालांकि, X ने इस बात पर जोर दिया कि “सारा AI कॉन्टेन्ट भ्रामक नहीं है” और आग्रह किया कि “आगे बढ़ने के लिए इस फर्क को उजागर करना महत्वपूर्ण है।”

नवंबर 2024 में, दिल्ली हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने डीपफेक के मुद्दों की जांच के लिए नौ सदस्यीय समिति का गठन किया। समिति ने 21 जनवरी को टेक्नोलॉजी दिग्गजों और नीति और कानूनी हितधारकों के साथ एक परामर्श बैठक की। हितधारकों ने “अनिवार्य एआई सामग्री डिस्क्लोजर (mandatory AI content disclosure)”, लेबलिंग स्टैंडर्ड्स और शिकायत निवारण तंत्र के लेबल करने के लिए दबाव डाला, इस चेतावनी के साथ कि डीपफेक टेक्नोलॉजी के रचनात्मक इस्तेमाल के बजाय मैलिशस एक्टर्स होने पर जोर दिया जाना चाहिए।

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Deepfake पर गूगल ने क्या कहा

इस कंसल्टेशन मीटिंग में गूगल के दो प्रतिनिधि मौजूद थे। उन्होंने कमेटी को बताया कि नवंबर 2023 से ही डीपफेक्स के लिए उनके पास पॉलिसी है। और नुकसान पहुंचाने के इरादे से बनाए गए मैनिपुलेटिव कॉन्टेन्ट को हटाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल किया जा रहा है। गूगल ने कहा कि Deepfakes पर इसकी पॉलिसी के मुताबिक, ‘वे क्रिएटर्स से सिंथेटिक कॉन्टेन्ट की जानकारी देने और लेबल प्रोवाइड कराने को कहते हैं।’ इसके अलावा उनके पास उन यूजर्स के लिए भी एक प्रक्रिया है जो यह दावा करते हैं कि डीपफेक बनाने के लिए उनका इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि उनके व्यक्तित्व को इ्स्तेमाल करने से जुड़ा कॉन्टेन्ट हटाया जा सके।

Deepfake पर मेटा का बयान

इसी तरह, मेटा, जिसने अप्रैल 2024 में अपनी AI लेबलिंग नीति लॉन्च की थी, उसने कहा, “यह यूजर्स को AI कॉन्टेनट अपलोड करते समय खुलासा करने की अनुमति देता है,” जिसमें विज्ञापन भी शामिल हैं, जहां यूजर्स को पता चल जाएगा कि क्या इसमें डिजिटल रूप से एडिट किया गया मटीरियल है, और उनकी कई पॉलिसी, टेक्नोलॉजी न्यूट्रल हैं, यानी इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कॉन्टेन्ट में किया गया बदलाव खासतौर से एक डीपफेक है या नहीं। हालांकि, मेटा प्रतिनिधि ने समिति को बताया कि वे “सेलिब्रिटी व्यक्तित्वों की सुरक्षा पर काम कर रहे हैं।”

X ने कमेटी को यह भी बताया कि इसकी एक “सिंथेटिक और मैनिपुलेटेड मीडिया पॉलिसी” है, जहां “भ्रामक तरीके के कॉन्टेन्ट को हटा दिया जाता है”। हालांकि, इसमें कहा गया है कि कुछ पोस्ट को लेबल करने के लिए, उन्हें “बेहद भ्रामक और हानिकारक” होना चाहिए। एक्स ने यह भी कहा कि “सभी AI कॉन्टेन्ट, नेचर में भ्रामक नहीं है”, और “आगे बढ़ने के लिए इस फर्क को समझना महत्वपूर्ण है।”

अगले तीन महीनों में, MeitY द्वारा गठित कमेटी द्वारा डीपफेक के पीड़ितों सहित हितधारकों के साथ अपना परामर्श पूरा करने की उम्मीद है।

गूगल, मेटा और X कर क्या रहे हैं! DeepFakes से निपटने के लिए दिग्गज टेक कंपनियों के पास क्या प्लान, भारत सरकार को दिया जवाब

Google, Meta, X on Deepfakes: डीपफेक पर बढ़ रही चिंताओं पर गूगल, मेटा और X की केंद्र सरकार के साथ बातचीत हुई है। जानें दुनिया की दिग्गज टेक कंपनियों ने क्या-कुछ कहा…

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Google, मेटा, एक्स, डीपफेक
गूगल, मेटा और X ने केंद्र सरकार के कंट्रोल पैनल को Deepfake से निबटने का प्लान बताया है।

Google, Meta, X on Deepfakes: भारत में डीपफेक्स (DeepFakes) और लगातार आ रहीं नई टेक्नोलॉजी को लेकर भारत सरकार काफी सजग है और जांच कर रही है। जनवरी में एक हुई स्टेहोल्डर्स की एक कंसल्टेशन बैठक में कम से कम तीन तकनीकी दिग्गजों – Google, Meta और X ने केंद्र सरकार को बताया कि उनके पास मैनिपुलेटेड मीडिया से निपटने के लिए कई नीतियां हैं।

Google और मेटा ने संकेत दिया कि उनके पास पहले से ही AI, डीपफेक या सिंथेटिक सामग्री के लिए लेबलिंग या डिस्क्लोजर पॉलिसी हैं। जब यूजर्स द्वारा मैनिपुलेटेड मीडिया में अपने व्यक्तित्व के इस्तेमाल को फ्लैग करने की बात आती है, तो केवल Google के पास एक प्रक्रिया है, जबकि मेटा “celebrity persona” की सुरक्षा पर “काम” कर रहा है।

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हालांकि, X ने इस बात पर जोर दिया कि “सारा AI कॉन्टेन्ट भ्रामक नहीं है” और आग्रह किया कि “आगे बढ़ने के लिए इस फर्क को उजागर करना महत्वपूर्ण है।”

नवंबर 2024 में, दिल्ली हाईकोर्ट के एक आदेश के बाद, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने डीपफेक के मुद्दों की जांच के लिए नौ सदस्यीय समिति का गठन किया। समिति ने 21 जनवरी को टेक्नोलॉजी दिग्गजों और नीति और कानूनी हितधारकों के साथ एक परामर्श बैठक की। हितधारकों ने “अनिवार्य एआई सामग्री डिस्क्लोजर (mandatory AI content disclosure)”, लेबलिंग स्टैंडर्ड्स और शिकायत निवारण तंत्र के लेबल करने के लिए दबाव डाला, इस चेतावनी के साथ कि डीपफेक टेक्नोलॉजी के रचनात्मक इस्तेमाल के बजाय मैलिशस एक्टर्स होने पर जोर दिया जाना चाहिए।

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Deepfake पर गूगल ने क्या कहा

इस कंसल्टेशन मीटिंग में गूगल के दो प्रतिनिधि मौजूद थे। उन्होंने कमेटी को बताया कि नवंबर 2023 से ही डीपफेक्स के लिए उनके पास पॉलिसी है। और नुकसान पहुंचाने के इरादे से बनाए गए मैनिपुलेटिव कॉन्टेन्ट को हटाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल किया जा रहा है। गूगल ने कहा कि Deepfakes पर इसकी पॉलिसी के मुताबिक, ‘वे क्रिएटर्स से सिंथेटिक कॉन्टेन्ट की जानकारी देने और लेबल प्रोवाइड कराने को कहते हैं।’ इसके अलावा उनके पास उन यूजर्स के लिए भी एक प्रक्रिया है जो यह दावा करते हैं कि डीपफेक बनाने के लिए उनका इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि उनके व्यक्तित्व को इ्स्तेमाल करने से जुड़ा कॉन्टेन्ट हटाया जा सके।

Deepfake पर मेटा का बयान

इसी तरह, मेटा, जिसने अप्रैल 2024 में अपनी AI लेबलिंग नीति लॉन्च की थी, उसने कहा, “यह यूजर्स को AI कॉन्टेनट अपलोड करते समय खुलासा करने की अनुमति देता है,” जिसमें विज्ञापन भी शामिल हैं, जहां यूजर्स को पता चल जाएगा कि क्या इसमें डिजिटल रूप से एडिट किया गया मटीरियल है, और उनकी कई पॉलिसी, टेक्नोलॉजी न्यूट्रल हैं, यानी इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कॉन्टेन्ट में किया गया बदलाव खासतौर से एक डीपफेक है या नहीं। हालांकि, मेटा प्रतिनिधि ने समिति को बताया कि वे “सेलिब्रिटी व्यक्तित्वों की सुरक्षा पर काम कर रहे हैं।”

X ने कमेटी को यह भी बताया कि इसकी एक “सिंथेटिक और मैनिपुलेटेड मीडिया पॉलिसी” है, जहां “भ्रामक तरीके के कॉन्टेन्ट को हटा दिया जाता है”। हालांकि, इसमें कहा गया है कि कुछ पोस्ट को लेबल करने के लिए, उन्हें “बेहद भ्रामक और हानिकारक” होना चाहिए। एक्स ने यह भी कहा कि “सभी AI कॉन्टेन्ट, नेचर में भ्रामक नहीं है”, और “आगे बढ़ने के लिए इस फर्क को समझना महत्वपूर्ण है।”

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पहले प्रकाशित: 13:49 पर 31-03-2025 है



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الاستعانة بـ AI بدلاً من مي عمر.. الليثي: «أولجا» أدت مشاهد الرقص في «إش إِش» – أخبار السعودية

كشف المطرب الشعبي محمود الليثي، عن اسم الراقصة البديلة التي تقوم بالرقص بدلاً من مي عمر في مسلسل «إش إش».

وقال الليثي: «المخرج محمد سامي استعان بالراقصة «أولجا» لتقديم وصلات الرقص واستعان بتقنية AI لوضع صورة الفنانة مي عمر للإيحاء بأنها من تقوم بالرقص».

وأضاف: من الجميل أن تقدم مي عمر هذه الشخصية كما أن فكرة المسلسل جميلة وفيها إبداع.

أخبار ذات صلة

 

وعن اختيار المخرج محمد سامي عدداً من فناني الأغنية الشعبية لتقديم أغنية خلال أحداث مسلسل «إش إش» وهم أحمد شيبة، عبدالباسط حمودة، عمر كمال، حسن شاكوش، محمود الليثي، قال الليثي «محمد سامي مخرج شاطر، يفهم، مجتهد، دؤوب ولديه رؤية ويشرف على أدق التفاصيل وفي أعماله يترك بصمته التشويقية».



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AI Dancing Ballroom 😍 #dance



I asked the AI to create a ballroom dance video inspired by salsa and here is the result! It’s getting good at it!

Subscribe here: https://www.youtube.com/@justdancewithAI?sub_confirmation=1

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