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कोलकाता के Apollo Hospital में तीन साल से भर्ती है महिला, पति ने सुध लेना छोड़ा तो अदालत पहुंचा अस्पताल

कोलकाता के अपोलो अस्पताल में एक महिला को उसके पति ने साढ़े तीन साल से छोड़ दिया है। दुर्घटना के बाद लकवाग्रस्त हो चुकी इस महिला का इलाज जारी है और अस्पताल का बिल 1 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। पति ने कोर्ट में पत्नी को घर ले जाने से इनकार कर दिया। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से इस मामले में समाधान सुझाने को कहा है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। दुर्घटना के बाद लकवाग्रस्त हो चुकी एक महिला को उसका पति साढ़े तीन साल से कोलकाता के अपोलो मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में छोड़ दिया है। कोई भी महिला को वापस घर नहीं ले जा रहा है। इस दौरान अस्पताल का बिल एक करोड़ रुपये पहुंच गया है।

अस्पताल ने मरीज की जिम्मेदारी लेने में असमर्थता जताते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट का रुख किया। मामले की सुनवाई के दौरान शहर के एम्हस्र्ट स्ट्रीट पुलिस स्टेशन द्वारा अदालत में पेश किए गए पति ने अपनी पत्नी की देखभाल करने में असमर्थता जताई।

कोर्ट ने पूछा पत्नी को अस्पताल से घर न ले जाने का कारण

कलकत्ता हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति अमृता सिन्हा ने पति से पूछा कि वह अपनी पत्नी को वापस घर क्यों नहीं ले जा रहा है। पति ने कहा कि वह एक दुकान का मालिक है और उसके पास अपनी विकलांग पत्नी की देखभाल करने के लिए साधन नहीं हैं। निजी अस्पताल के वकील ने कहा कि अस्पताल ने महिला का इलाज किया, कई सर्जरी की और उसकी छह लाख रुपये की बीमा राशि बहुत पहले ही खत्म हो गई। वकील ने कहा कि वर्तमान बकाया राशि एक करोड़ रुपये है।

अस्पताल के वकील ने कहा कि पति ने वैकल्पिक परिवार शुरू कर लिया है। हालांकि न्यायमूर्ति सिन्हा ने पारिवारिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया। राज्य के वकील ने कहा कि राज्य में नि:शुल्क सेवाओं वाले आश्रय गृह हैं। लेकिन राज्य द्वारा संचालित आश्रय गृह के कर्मचारियों के पास बीमार रोगियों की देखभाल करने की विशेषज्ञता नहीं है।न्यायमूर्ति सिन्हा ने महाधिवक्ता को नौ अप्रैल को इस मामले में उपस्थित होने, उन्हें सूचित करने कि क्या राज्य के पास ऐसे लोगों के लिए कोई नियम है और कोई उपाय सुझाने का निर्देश दिया। अदालत ने पति को भी उस दिन अदालत में उपस्थित रहने का निर्देश दिया।

सितंबर 2021 में अस्पताल में भर्ती कराया गया था

सूत्रों के अनुसार 40 वर्षीय महिला को उसके पति ने सितंबर 2021 में सिर में चोट लगने के कारण अस्पताल में भर्ती कराया था। उसकी कई सर्जरी हुईं, जिसमें एक जीवन रक्षक न्यूरोसर्जरी भी शामिल थी। वह बच गई लेकिन चोट के कारण वह स्थिर हो गई और उसे ट्रेकियोस्टोमी करनी पड़ी। उसकी स्थिर हालत के बावजूद, उसके पति जयप्रकाश गुप्ता ने उसे घर ले जाने से इनकार कर दिया। जब गुप्ता को कई बार याद दिलाने के बाद भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो अस्पताल ने पिछले साल मई में पश्चिम बंगाल क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट रेगुलेटरी कमीशन से संपर्क किया।
गुप्ता के स्वास्थ्य पैनल की सुनवाई में उपस्थित न होने के बाद, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आशिम कुमार बनर्जी ने अपोलो से कहा कि यह अदालतों में जाने के लिए उपयुक्त मामला है।वर्तमान में रोगी को अस्पताल के न्यूरोसर्जरी विभाग में एक सामान्य बिस्तर पर रखा गया है और नर्सें बारी-बारी से उसकी देखभाल कर रही हैं। अस्पताल के एक अधिकारी ने कहा कि हमारी नर्सों को सलाम, जो उसे अपने स्वजनों की तरह देखभाल कर रही हैं। लेकिन इस महिला को अपने परिवार की गर्मजोशी, प्यार और देखभाल की जरूरत है।
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बंगाल के मुर्शिदाबाद में बड़ा हादसा, डंपर ने बाइक को मारी टक्कर; एक ही परिवार के 4 की मौत

पश्चिम बंगाल में सड़क हादसे में एक ही परिवार के चार लोगों की जान चली गई। मृतकों में एक दो साल का बच्चा भी शामिल है। पुलिस के मुताबिक सभी लोग फरक्का थाना क्षेत्र के महादेवनगर गांव के रहने वाले थे। गुस्साई भीड़ ने लगभग एक घंटे तक सड़क को जाम रखा। अस्पताल पहुंचने पर घायलों को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

पीटीआई, कोलकाता। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में एक बड़ा हादसा हुआ है। डंपर की टक्कर में एक ही परिवार के चार लोगों की मौत से कोहराम मच गया है। हादसे के बाद गुस्साई भीड़ ने सड़क जाम किया और वहां खड़े वाहनों को नुकसान पहुंचा। मौके पर पहुंचे भारी पुलिसबल ने स्थिति को काबू में किया।

डंपर ने पीछे से बाइक को मारी टक्कर

पुलिस के मुताबिक हादसा मंगलवार शाम का है। बाइक में सवार एक ही परिवार के चार लोग डाक बंगला मोड़ से फरक्का जा रहे थे। तभी समशेरगंज इलाके में एक डंपर ने बाइक को टक्कर मार दी। डंपर ने बाइक को पीछे से टक्कर मारी। इसके बाद सड़क गिरे लोगों को कुचलते निकल गया। मौके पर मौजूद लोगों ने घायलों को तुरंत अस्पताल पहुंचाया। जहां डॉक्टरों ने सभी को मृत घोषित कर दिया।

महादेवनगर के रहने वाले सभी मृतक

पुलिस के अनुसार सभी लोग फरक्का थाना क्षेत्र के महादेवनगर गांव के रहने वाले थे। मृतकों की पहचान एजाज शेख, तौहीक शेख, जाहुल शेख और दो वर्षीय आसिफ शेख के रूप में हुई है।

डंपर का ड्राइवर हुआ गिरफ्तार

पुलिस अधिकारी ने बताया कि गुस्साई भीड़ ने एक घंटे से अधिक समय तक सड़क को जाम रखा। इस दौरान डंपर समेत जाम में फंसे अन्य वाहनों को नुकसान पहुंचाया। मगर तुरंत ही पुलिस के जवानों ने स्थिति पर काबू पाया। उन्होंने बताया कि डंपर ट्रक के ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया गया है।
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मोथाबारी में सांप्रदायिक हिंसा, इंटरनेट बंद और 34 आरोपित गिरफ्तार; हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन ने मांगी रिपोर्ट

पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के मोथाबारी में सांप्रदायिक हिंसा की रिपोर्ट कलकत्ता हाई कोर्ट ने मांगी है। दूसरे दिन की हिंसा के बाद सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) जवानों को मौके पर तैनात किया गया है। दंगाइयों ने गाड़ी और दुकानों में तोड़फोड़ की। अब तक 34 आरोपितों को गिरफ्तार किया गया है। जिले के तीन इलाकों में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। कलकत्ता हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने शुक्रवार को बंगाल के मालदा में हिंदुओं पर कथित हमलों को लेकर मोथाबारी में जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगी। याचिका में कथित तौर पर एक विशेष धार्मिक समुदाय के लोगों पर दूसरे समुदाय के लोगों द्वारा किए गए हमलों का उल्लेख किया गया है।

भाजपा की बंगाल इकाई ने कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति स्मिता दास की खंडपीठ में एक याचिका दायर कर मामले में न्यायालय के हस्तक्षेप की मांग की।

तीन अप्रैल तक पेश करनी होगी रिपोर्ट

शुक्रवार को मामले की सुनवाई हुई और अंत में खंडपीठ ने मालदा के जिला मजिस्ट्रेट और जिला पुलिस अधीक्षक को तीन अप्रैल तक न्यायालय में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। राज्य भाजपा नेता और कलकत्ता हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील कौस्तव बागची द्वारा दायर याचिका में न्यायालय से मोथाबारी में स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में आने तक केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) के जवानों की तैनाती के लिए निर्देश देने की भी अपील की गई।

पता चला है कि मोथाबारी में स्थिति फिलहाल नियंत्रण में है, लेकिन खंडपीठ जानना चाहती है कि वहां वास्तव में क्या हुआ था?

सुवेंदु ने राज्यपाल से सीएपीएफ तैनात करने का निर्देश देने का किया अनुरोध

बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने बताया कि उन्होंने राज्यपाल सीवी आनंद बोस को एक पत्र लिखकर उनसे राज्य सरकार को मोथाबारी में हिंदुओं पर बड़े पैमाने पर हमलों के बाद सीएपीएफ तैनात करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। अधिकारी ने बंगाल सरकार और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर तुष्टीकरण की राजनीति के जरिए ग्रेटर बांग्लादेश का खाका तैयार करने का आरोप लगाया है।

हिंदुओं की संपत्ति को लूटा और तोड़फोड़ की: अधिकारी

अधिकारी ने मीडियाकर्मियों से यह भी दावा किया है कि मोथाबारी में उपद्रवी नियंत्रण से बाहर हो गए। हिंदुओं की संपत्तियों को लूटा और तोड़फोड़ की। विपक्ष के नेता ने कहा कि उनके निशाने पर हिंदू थे। इसलिए मुझे लगता है कि स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सीएपीएफ की तैनाती ही एकमात्र उपाय है, क्योंकि पुलिस बर्बरता और गुंडागर्दी को रोकने में विफल रही है।

बेबस दिखे पुलिस के जवान

अधिकारी ने आगे कहा कि राज्य पुलिस के जवान असहाय कठपुतलियों की तरह काम कर रहे थे। वे बस हाथ जोड़कर उपद्रवियों से विनती कर रहे थे। उपद्रवियों ने मुख्य सड़कों पर कब्जा कर लिया और कई वाहनों में खुलेआम तोड़फोड़ की।यह भी पढ़ें: अप्रवासियों को किसी तीसरी देश डिपोर्ट नहीं कर पाएंगे ट्रंप, जज ने लगाई रोक; भड़क उठा न्याय विभाग
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