أرشيف الوسم: silver medal

सुल्तानपुर की विभा पांडेय: 14 साल की नेशनल मार्शल आर्ट चैंपियन.

Last Updated:

सुल्तानपुर की 14 वर्षीय विभा पांडेय ने नेशनल खेल में एक गोल्ड और दो सिल्वर मेडल जीते हैं. मार्शल आर्ट में माहिर विभा के कोच उनके पिता गिरजा शंकर पांडेय हैं. विभा का सपना ओलंपिक में मेडल जीतना है.

X

national

national championship

हाइलाइट्स

  • विभा पांडेय ने नेशनल खेल में जीता गोल्ड और दो सिल्वर मेडल.
  • विभा के कोच उनके पिता गिरजा शंकर पांडेय हैं.
  • विभा का सपना ओलंपिक में मेडल जीतना है.

सुल्तानपुर: अगर दिल में हौसला और जुनून हो, तो कोई भी इंसान किसी भी काम को आसानी से कर सकता है. इसका उदाहरण सुल्तानपुर की कक्षा 9 की छात्रा विभा पांडेय ने पेश किया है. विभा ने तीन बार नेशनल खेल में भाग लिया और एक गोल्ड मेडल और दो सिल्वर मेडल जीतकर अपने परिवार का नाम सुल्तानपुर समेत पूरे प्रदेश में रोशन किया है. विभा मार्शल आर्ट में माहिर हैं और उनके पिता श्री गिरजा शंकर पांडेय मार्शल आर्ट के कोच हैं. विभा की उम्र सिर्फ 14 साल है, लेकिन इतनी कम उम्र में ही उन्होंने नेशनल खेल में शानदार प्रदर्शन कर सुल्तानपुर का नाम गर्व से ऊंचा किया है. आइए जानते हैं विभा पांडेय की सफलता का राज.

अब तक पाई हैं इतने मेडल
14 साल की खिलाड़ी विभा पांडेय ने लोकल 18 को बताया कि उन्होंने मार्शल आर्ट में अब तक नेशनल स्तर पर 3 बार खेला है और इसमें एक बार गोल्ड मेडल और दो बार सिल्वर मेडल जीता है. इसके अलावा, उन्होंने जिला स्तर की प्रतियोगिताओं में भी हिस्सा लिया और चार गोल्ड मेडल जीते हैं. इस समय विभा नेशनल चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए अभ्यास कर रही हैं.

परिवार में रहा है खेल का माहौल
विभा पांडेय सुलतानपुर के करौंदिया की रहने वाली हैं. उनके पिता गिरजा शंकर पाण्डेय मार्शल आर्ट के ट्रेनर हैं और उनके भाई राहुल पांडे उनके कोच हैं, जिससे विभा को बेहतरीन प्रशिक्षण मिल रहा है. उनकी माता गृहणी हैं और विभा को अच्छा खिलाड़ी बनाने में सहयोग करती हैं. उनके पिता का सपना है कि विभा सुलतानपुर जिले की एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व बनें और अंतरराष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी के रूप में पहचानी जाएं.

इनको मानती हैं अपना आदर्श
विभा ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि वह अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता गिरजा शंकर पाण्डेय को देती हैं. खेल के प्रति उनकी रुचि बनी रहे और वह प्रेरित होती रहें, इसके लिए उन्होंने अपने पिताजी को ही अपना आदर्श चुना है.

ये है सपना 
कक्षा 9 में पढ़ने वाली छात्रा विभा ने लोकल 18 को बताया कि वह पढ़ाई के साथ-साथ मार्शल आर्ट में भी अच्छा करने की कोशिश कर रही हैं. वह भविष्य में खुद को एक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी के रूप में देख रही हैं. उनका सपना है कि वह मार्शल आर्ट की अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में शामिल हों और देश के लिए मेडल जीतें. ओलंपिक में भी देश के लिए मेडल लाना विभा का सपना है.

homesports

National Championship: तीन बार नेशनल खेल चुकी ये छात्रा ने जीता गोल्ड मेडल

Source link

Silver Medal: कामिनी स्वर्णकार ने 40 वर्ष की उम्र में खेलों में दिखाया नया जोश, फेंसिंग खेल में स्टेट लेवल पर जीता सिल्वर मेडल

Last Updated:

Silver Medal: कामिनी स्वर्णकार ने 40 साल की उम्र में स्टेट लेवल फेंसिंग प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीतकर साबित किया कि उम्र केवल एक संख्या है. उनकी सफलता सभी के लिए प्रेरणा है.

X

कामिनी

कामिनी स्वर्णकार ने 40 वर्ष की उम्र में खेलों में दिखाया नया जोश.

हाइलाइट्स

  • कामिनी स्वर्णकार ने 40 साल की उम्र में जीता सिल्वर मेडल
  • खेलों में भाग लेने से मानसिक तनाव कम होता है
  • कामिनी ने मार्शल आर्ट्स से फेंसिंग तक किया संघर्ष

बिलासपुर: 40 साल की उम्र में खेलों के प्रति जुनून और समर्पण की मिसाल कायम करने वाली महिला, कामिनी स्वर्णकार, ने न केवल अपनी उम्र की सीमाओं को चुनौती दी, बल्कि स्टेट लेवल प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीतकर यह साबित कर दिया कि उम्र केवल एक संख्या है. उनकी यह सफलता उन सभी के लिए प्रेरणा बन चुकी है जो जीवन में किसी नए कार्य को शुरू करने से डरते हैं. राजकिशोर नगर, बिलासपुर की रहने वाली कामिनी का कहना है कि खेल ने न केवल उनके शरीर को स्वस्थ रखा, बल्कि मानसिक तनाव से भी मुक्ति दिलाई.

बेटी की प्रेरणा से शुरू हुआ खेलों का सफर
कामिनी स्वर्णकार की बेटी श्रेयांशी ने बताया कि वह खुद एक खिलाड़ी हैं, लेकिन उनकी मां के खेलों में रुचि और सिल्वर मेडल ने उन्हें और ऊर्जा दी. श्रेयांशी का कहना है कि उनकी मां ने इस उम्र में जो किया, वह उनके लिए एक बड़ी प्रेरणा है और वह भी खेलों में अच्छा प्रदर्शन करने की ओर बढ़ रही हैं.

मार्शल आर्ट्स से फेंसिंग तक, कामिनी का संघर्ष और सफलता
कामिनी स्वर्णकार ने अपनी शुरुआत मार्शल आर्ट्स क्लास से की थी, जहां वह अपने बच्चों को प्रशिक्षण के दौरान बोर हो रही थीं. वहां मौजूद महिलाओं को खेलते देख उन्होंने भी खेलों में भाग लेने का निर्णय लिया. इसके बाद उन्होंने फेंसिंग खेल में स्टेट लेवल प्रतियोगिता में भाग लिया और सिल्वर मेडल हासिल किया. उनका कहना है कि नेशनल लेवल में भी उनका चयन हुआ था, और उनका लक्ष्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलने का है.

खेलों के प्रति महिलाओं से अपील: स्वस्थ जीवन के लिए खेलों में भाग लें
कामिनी स्वर्णकार का मानना है कि खेल केवल शरीर को स्वस्थ नहीं रखता, बल्कि मानसिक तनाव को भी कम करता है. वह अन्य महिलाओं से अपील करती हैं कि वे भी खेलों में रुचि दिखाएं और खेलों के जरिए अपने जीवन को स्वस्थ और तनावमुक्त बनाएं. यह पूरी कहानी एक मजबूत संदेश देती है कि जीवन में कभी भी कोई नया कदम उठाया जा सकता है और खेलों में भाग लेने से न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी बेहतरी आती है.

homesports

40 वर्ष की उम्र में जीवन को दी नई दिशा, स्टेट लेवल पर जीता सिल्वर मेडल

Source link