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World Cup 2023 Final: भारत की झोली में आता विश्‍व कप!

भारत और ऑस्‍ट्रेलिया के बीच वर्ल्‍ड कप 2023 का फाइनल मुकाबला अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्‍टेडियम में खेला जाएगा। भारत और ऑस्‍ट्रेलिया के बीच 20 साल के बाद वर्ल्‍ड कप फाइनल में भिड़ंत हो रही है। इससे पहले दोनों देशों के बीच 2003 वर्ल्‍ड कप फाइनल मुकाबला खेला गया था। रोहित शर्मा के नेतृत्‍व वाली भारतीय टीम शानदार फॉर्म में हैं और खिताब की प्रबल दावेदार मानी जा रही है।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek NigamUpdated: Sun, 19 Nov 2023 11:08 AM (IST)

तरुण गुप्‍त। विश्व कप में भारत का प्रदर्शन अद्भुत रहा है। ऐसे में फाइनल पर कोई भी सलाह देना कुछ असहज लग सकता है। टीम की उत्कृष्ट विजय यात्रा में खेलप्रेमी के रूप में हमारी बस इतनी सी शिकायत हो सकती है कि हमारे मुकाबले रोमांचक न होकर एकतरफा रहे।

चाहे जो भी हो, खेल प्रेम के ऊपर हमारे भीतर का देशभक्त ही हावी रहता है। हम भारत के एक और प्रभुत्वशाली वर्चस्व वाले प्रदर्शन की प्रार्थना करते हैं। यह सत्य है कि सभी भारतीय क्रिकेटप्रेमियों में एक विश्लेषक भी छिपा होता है, जो बिन मांगी सलाह देने से हमें नहीं रोक पाता।
ऐसी राय भले ही अक्सर अनावश्यक हो, लेकिन उसमें सदैव भली मंशा का भाव होता है। जहां हमारी टीम लगभग हर पहलू को दुरुस्त करते हुए पूर्णता के करीब पहुंचती दिख रही है, लेकिन हमें सुधार की गुंजाइश सदैव तलाशनी ही चाहिए।

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ऐसी स्थिति में क्या टीम प्रबंधन को मोहम्मद सिराज के स्थान पर रविचंद्रन अश्विन को उतारने पर विचार करना चाहिए? स्पिन के विरुद्ध आस्ट्रेलियाई बल्लेबाज संघर्ष करते आए हैं। अश्विन के साथ हमारी बल्लेबाजी में भी गहराई बढ़ जाती है जो किसी बड़े लक्ष्य का पीछा करने की स्थिति में बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकती है।
उम्मीद है कि अहमदाबाद की पिच धीमी होगी। यह मैदान भी बड़ा है। ऐसे में परिस्थितियां फिरकी गेंदबाजों के अनुकूल दिखती हैं। सिराज भले ही शानदार गेंदबाज हों, लेकिन सेमीफाइनल में उनकी रंगत उड़ी हुई थी। वर्तमान स्थिति में कोई दोराय नहीं कि बुमराह और शमी ही तेज गेंदबाजों के रूप में हमारी पहली पसंद होंगे।
बल्लेबाजी कौशल के लिहाज से हम शार्दुल पर भी विचार कर सकते थे, लेकिन उनकी धीमी रफ्तार गेंदबाजी, बल्लेबाजी के अनुकूल विकेट पर उन्हें आसान निशाना बनवा सकती है। विजय रथ पर सवार टीम में कोई परिवर्तन विशेषज्ञों को अखर सकता है। भले इस अवधारणा का अपना महत्व हो, लेकिन इससे भी अधिक महत्वपूर्ण है कि हम परिस्थितियों के अनुरूप समायोजन करें।क्या यह रक्षात्मक मानसिकता का प्रतीक है? हो सकता है, किंतु कई बार रणनीति में समायानुकूल परिवर्तन लाभकारी होता है। अश्विन एक विश्वस्तरीय गेंदबाज हैं, जिनके विरुद्ध बल्लेबाज संघर्ष करते हैं। साथ ही वह आठवें क्रम पर एक उपयोगी बल्लेबाज भी हैं। उन्हें टीम में लाना एक प्रकार से परिस्थितियों की दृष्टि से किसी इंश्योरेंस कवर जैसा है।
यह भी पढ़ें: अहमदाबाद में आएगा चौके-छक्‍के का तूफान या गेंदबाजों का होगा हल्‍ला बोल, जानें पिच रिपोर्टसलाह-मशविरों का कोई अभाव नहीं, लेकिन कोई भी अंतिम निर्णय तो कप्तान एवं कोच की अगुआई वाले टीम प्रबंधन को ही लेना है। जब आंकड़े एवं रुझान सही राह दिखाने में असमर्थ होते हैं तब अंतरात्मा की आवाज ही निर्णायक बनती है। परिणाम चाहे जो हो, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि हमारी टीम ने लोगों के दिलो-दिमाग को जीता है।
हम निर्विवाद रूप से दूसरों से श्रेष्ठ रहे हैं और भगवान न करे, पर एक खराब दिन इस तथ्य और तस्वीर को नहीं बदल सकता। ऐसे में मन में यह भाव आना स्वाभाविक है कि काश यह फाइनल बेस्ट आफ थ्री फार्मेट वाला होता। चलिए अथाह प्रार्थना, अनंत शुभकामना और अगाध आशा एवं भरपूर आत्मविश्वास के साथ फाइनल मुकाबले के साक्षी बनते हैं। अंतिम एकादश चाहे जो रहे, लेकिन इस बार विश्व कप भारत आता दिख रहा है।

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NZ vs PAK: पाकिस्‍तान को न्‍यूजीलैंड के खिलाफ दूसरे वनडे से पहले लगा करारा झटका, स्‍टार खिलाड़ी हुआ बाहर

पाकिस्‍तान को न्‍यूजीलैंड के खिलाफ दूसरे वनडे से पहले करारा झटका लगा है। पहले वनडे में विश्‍वास से भरी पारी खेलने वाला स्‍टार खिलाड़ी हैमस्ट्रिंग चोट के कारण दूसरे वनडे से बाहर हो गया है। पाकिस्‍तान की टीम मौजूदा तीन मैचों की सीरीज में 0-1 से पीछे है। पाकिस्‍तान के लिए दूसरा वनडे करो या मरो की स्थिति का है।

स्‍पोर्ट्स डेस्‍क, नई दिल्‍ली। पाकिस्‍तान क्रिकेट टीम को न्‍यूजीलैंड के खिलाफ दूसरे वनडे से पहले जोरदार झटका लगा है। उसके ओपनर उस्‍मान खान हैमस्ट्रिंग चोट के कारण हैमिल्‍टन के सेडन पार्क में होने वाले मैच से बाहर हो गए हैं। सीरीज में 0-1 से पिछड़ रही पाकिस्‍तान के लिए यह मुकाबला करो या मरो की स्थिति का है।

पाकिस्‍तान क्रिकेट बोर्ड ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर जानकारी देते हुए कहा, ‘उस्‍मान खान हैमस्ट्रिंग चोट के कारण न्‍यूजीलैंड के खिलाफ दूसरे वनडे से बाहर हो गए हैं। 29 साल के बल्‍लेबाज को पहले वनडे में फील्डिंग करते समय चोट लगी थी। एमआरआई स्‍कैन ने पुष्टि की है कि लो-ग्रेड टियर के कारण उस्‍मान दूसरे वनडे में उपलब्‍ध नहीं रहेंगे।’

डेब्‍यू में किया प्रभावित

उस्‍मान खान ने नेपियर में न्‍यूजीलैंड के खिलाफ पहले मुकाबले में अपना वनडे डेब्‍यू किया और 33 गेंदों में 39 रन की पारी खेली। इस दौरान उन्‍होंने चार चौके और दो छक्‍के जड़े। यह देखना दिलचस्‍प होगा कि 29 साल के उस्‍मान खान तीसरे वनडे से पहले पूरी तरह फिट हो पाते हैं या नहीं।

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पाकिस्‍तान के पास तीसरे ओपनर के रूप में इमाम उल हक हैं, जिन्‍हें प्‍लेइंग 11 में तब मौका मिलेगा, जब बाबर आजम तीसरे क्रम पर खेले। अन्‍य खिलाड़‍ियों में खुशदिल शाह और सूफियान मुकीम को प्‍लेइंग 11 में जगह मिल सकती है, जो निचलेक्रम में बल्‍लेबाजी कर सकते हैं और गेंद को स्पिन कराते हैं।

पाकिस्‍तान का न्‍यूजीलैंड के खिलाफ वनडे स्‍क्‍वाड:

इमाम उल हक, बाबर आजम, मोहम्‍मद रिजवान (कप्‍तान), अब्‍दुल्‍लाह शफीक, सलमान आघा, तैयब ताहिर, खुशदिल शाह, फहीम अशरफ, इरफान खान, अबरार अहमद, नसीम शाह, मोहम्‍मद वसीम जूनियर, आकिफ जावेद, मोहम्‍मद अली, सूफियान मुकीम, हैरिस रउफ और उस्‍मान खान (चोटिल होने के कारण दूसरे वनडे से बाहर)।
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World Cup 2023: सुनील गावस्‍कर ने वर्ल्‍ड कप खिताब जीतने के फॉर्मूले का किया खुलासा, दोनों टीमें रखें इस बात का ध्‍यान

भारत और ऑस्‍ट्रेलिया के बीच रविवार को वनडे वर्ल्‍ड कप 2023 का फाइनल मुकाबला अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्‍टेडियम में खेला जाएगा। महान बल्‍लेबाज सुनील गावस्‍कर ने बताया कि जो टीम फील्डिंग के दौरान दबाव झेल लेगी वो चैंपियन बन सकती है। निश्चित ही वर्ल्‍ड कप का फाइनल मुकाबला है तो भारत और ऑस्‍ट्रेलिया दोनों टीमों पर दबाव काफी ज्‍यादा होगा। जानें गावस्‍कर ने क्‍या कहा।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek NigamUpdated: Sun, 19 Nov 2023 11:48 AM (IST)

सुनील गावस्‍कर। अब हम आइसीसी पुरुष वनडे विश्व कप के फाइनल में पहुंच चुके हैं, जहां आधुनिक क्रिकेट के दो सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी आमने-सामने होंगे। इसके लिए अहमदाबाद के मोटेरा में नरेन्द्र मोदी स्टेडियम से बेहतर और कोई स्थान नहीं हो सकता था।

भारत एक ओर जहां आसानी से सभी संकटों को पार कर यहां पहुंच चुका है, आस्ट्रेलिया को यहां तक पहुंचने के लिए बीच में एक-दो संकटों का सामना करना पड़ा। दोनों ही टीमें तैयार हैं। यह ‘तैयारी’ वैसी ही है जिससे हम यह आशा कर सकते हैं कि विगत विश्व कप फाइनल जिसमें मेजबान इंग्लैंड विजेता रहा था, उतना ही अच्छा फाइनल होगा।
टी-20 प्रारूप को लेकर आमतौर पर यह कहा जाता है कि पावरप्ले में यह निर्णय हो जाता है कि खेल किस ओर जाने वाला है। इस 50 ओवर विश्व कप में भी बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों क्षेत्रों में भारत के लिए यह सही साबित हुआ है। पहले 10 ओवरों में भारत ने दोनों ही विभाग में अद्भुत प्रदर्शन करते हुए पूरे मैच को बना लिया है।

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उनके बल्लेबाज किसी भी टीम के लिए आदर्श बल्लेबाज हैं और सभी अद्भुत फार्म में हैं, लेकिन इस बार उनके गेंदबाजों ने क्रिकेट जगत की आंखें खोल दी हैं कि भले ही बल्लेबाज मैच जिताते हों, गेंदबाज टूर्नामेंट जिताते हैं। जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज और मोहम्मद शमी गेंद के साथ खतरनाक दिखे हैं और जब उनसे राहत मिली है, रवींद्र जडेजा और कुलदीप यादव की स्पिन जोड़ी विपक्षी बल्लेबाजों के लिए काल बनकर प्रकट हुई है।
आस्ट्रेलियाई भी अधिक पीछे नहीं हैं। मिशेल स्टार्क और जोश हेजलवुड की बाएं और दाएं हाथ की तेज गेंदबाज जोड़ी और कप्तान पैट कमिंस ने बल्लेबाजों के लिए राह आसान नहीं होने दी है। एडम जांपा ने चतुराई से गेंदबाजी की है और तेज गेंदबाजों की ओर से बनाए गए दबाव का लाभ उठाते हुए मध्य के ओवरों में विकेट निकाले हैं।यह भी पढ़ें: भारत और ऑस्‍ट्रेलिया के बीच World Cup के 5 सबसे यादगार मैच, दो मायूसी भरे मुकाबलों को कभी याद नहीं करना चाहेंगे
आमतौर पर, जब दो शीर्ष टीमें क्रिकेट में आमने-सामने होती हैं तो यह भिड़ंत एक टीम के बल्लेबाजों की दूसरी टीम के गेंदबाजों से होती है। यद्यपि, इस बार दोनों टीमें बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में इतनी संतुलित हैं कि उनके बीच अंतर ढूंढ़ना बहुत कठिन है। क्षेत्ररक्षण शायद यह अंतर पैदा करे। क्षेत्ररक्षण में दबाव झेलना होगा और जो टीम यह करने में सक्षम रहेगी ट्राफी उसी की होगी।

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Harbhajan Singh Exclusive Interview: भज्‍जी को उम्‍मीद, मुंबई इंडियंस के विवाद का असर टीम इंडिया पर न पड़े

अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्‍ली। देश के शीर्ष स्पिनरों में से एक हरभजन सिंह वर्तमान में कमेंट्री में जलवे दिखा रहे हैं। राज्यसभा सांसद हरभजन का मानना है कि अमेरिका और वेस्टइंडीज में होने वाले आगामी टी-20 विश्व कप में चार स्पिनरों का चयन थोड़ा अधिक है। एक स्पिनर की जगह रिंकू सिंह को टीम में होना चाहिए था। अभिषेक त्रिपाठी ने हरभजन सिंह से विशेष बातचीत की, पेश हैं मुख्य अंश

सवाल – 2007 के बाद हम आज तक टी-20 विश्व कप ट्राफी क्यों नहीं जीते, जबकि हमारे यहां आईपीएल जैसी बड़ी लीग होती है?
जवाब – मेरे लिए भी यह अब तक रहस्य ही बना हुआ है। मैं स्वयं नहीं समझ सका हूं कि क्यों नहीं हम जीत पाए। 2007 में जब हमने विश्व कप जीता तब हमारे पास आईपीएल जैसा टूर्नामेंट भी नहीं था। मुझे नहीं पता कि हम क्यों नहीं जीत पा रहे, लेकिन एक चीज अच्छी यह हुई कि हमने 2011 विश्व कप जीत लिया था। आईपीएल इतना बड़ा टूर्नामेंट हो गया, लेकिन हम अब तक नहीं जीत सके सच में यह समझ से बाहर की बात है। जब हम पहली बार खेले थे तब इस प्रारूप की इतनी जानकारी नहीं थी। अब इतना खेलते हैं, टी-20 हमें समझ भी आता है, जानकारी भी है, उसके बावजूद यह सच में अचंभित कर देता है।

सवाल – वर्तमान टीम को देखकर आपको क्या लगता है क्या ये विश्व कप जीत पाएगी? क्या आप भी यह मानते हैं कि युवाओं को अधिक अवसर मिलना चाहिए था या आप इस चयन से संतुष्ट हैं?जवाब – देखिए अब तो टीम बन गई है। नए और पुराने की बात तो अब पीछे रह गई। अब जो टीम बनी है उसमें हमारी बल्लेबाजी अच्छी लग रही है, हमारा स्पिन अटैक बहुत तगड़ा है। तेज गेंदबाजी में केवल तीन ही सीमर्स हैं, अगर कोई भी चोटिल हुआ तो हमारी परेशानी बढ़ सकती है। ये निर्भर करेगा कि वहां की पिचें कैसी हैं। मुझे लगता है कि शायद वहां पर धीमी पिचें होंगी, लेकिन इसके बावजूद कभी भी आप चार स्पिनर से तो नहीं खेलेंगे।

एक मैच में तीन भी नहीं खेलेंगे। मुझे लगता है कि इस टीम में रिंकू सिंह जैसे खिलाड़ी को होना चाहिए था। उनकी बहुत कमी खलेगी। मैच वहीं फंसेगा, जहां आपको 20 गेंद में 50 या 60 रन चाहिए होंगे और वैसी परिस्थितियों में आपके सर्वश्रेष्ठ विकल्प वर्तमान में रिंकू सिंह हैं। मेरे अनुसार उन्हें इस टीम में होना चाहिए था। एक स्पिनर कम चल सकता था, और उनके स्थान पर रिंकू को अवसर मिलता तो यह बेहतर होता।
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जवाब – इसकी वजह अगर पूछनी है तो चयनकर्ताओं से पूछा जाना चाहिए। मैं अगर कुछ बोलूंगा तो बवाल हो जाएगा। मैं यही बोल सकता हूं कि उन्हें प्रबंधन की ओर से वैसा समर्थन नहीं है जैसा कि कई अन्य खिलाड़‍ियों को है। अगर उन्हें वैसा समर्थन मिलता तो वह टीम में अवश्य होते क्योंकि सब कुछ वो कर रहे हैं, जो वह कर सकते थे। प्रदर्शन कर के उन्होंने दिखाया है, जो किसी खिलाड़ी से आशा की जाती है। मुझे नहीं पता उन्हें टीम में होने के लिए इसके अलावा और क्या करना चाहिए था। खिलाड़ी के रूप में वह जो कर सकते थे, उन्होंने किया। उनके साथ न्याय तभी होता जब वह टीम में होते।
सवाल – आईपीएल के ठीक बाद भारत ने अब तक तीन टी-20 विश्व कप खेले हैं। तीनों में प्रदर्शन बहुत खराब रहा है। इस बार भी हम तुरंत बाद खेल रहे हैं। आपको क्या लगता है हमें लाभ मिलेगा या नुकसान होगा?जवाब – मेरे अनुसार इसके दोनों पहलू हैं। पहला तो ये कि आप इसी प्रारूप में खेलते हुए इस वैश्विक टूर्नामेंट में जाएंगे। ऐसा नहीं है कि आप टेस्ट क्रिकेट खेलकर टी-20 में जा रहे। पिछली बार हम टी-20 खेलकर विश्व टेस्ट चैंपियनशिप खेलने चले गए थे। वह बिल्कुल अलग प्रारूप था। वहां आपको बल्ला थोड़ा संभाल कर चलाना है क्योंकि यहां (आईपीएल) बल्ला चलता है।
ये मुझे लगता है कि एक लाभ है जो हमें मिलेगा। वहीं इसके नुकसान की बात करें तो बाकी टीमें हमारे खिलाड़‍ियों से अधिक तरोताजा रहेंगी। हमारे खिलाड़ी आईपीएल में थोड़े अधिक थकते हैं। यहां खेलने के साथ-साथ इतनी यात्रा करनी पड़ती है कि थकान होना स्वाभाविक है। दो महीने के इस टूर्नामेंट में आपको पूरी जान झोंकनी पड़ती है। इसमें शरीर पर बहुत जोर पड़ता है। प्रदर्शन तभी निखरता है जब शरीर थका नहीं हो। यहां सबसे महत्वपूर्ण है कि 25-30 दिन के टूर्नामेंट में आपको अपने शरीर को उसी तरीके से चलाना है जैसा कि आपने आईपीएल में चलाया है।
सवाल – रोहित शर्मा ने चार स्पिनरों के चुनने को लेकर कहा था कि यह हमारी रणनीति है। हमें अमेरिका में केवल एक मजबूत टीम पाकिस्तान से भिड़ना है तो क्या हमने केवल वेस्टइंडीज की पिचों को देखकर ही रणनीति बनाई है?जवाब – वेस्टइंडीज में कभी ऐसा नहीं हुआ कि आप केवल स्पिनरों पर ही भरोसा करोगे। मेरे अनुसार चार सीमर भी लग्जरी होते हैं और चार स्पिनर भी लग्जरी ही होते हैं। उनके होने से आप थोड़े निंश्च्ति जरूर हो जाते हो, लेकिन आपको इसकी आवश्यकता नहीं है। बाकी योजना क्या है क्योंकि चार तो इकट्ठे आप कभी भी नहीं खिलाओगे। आप केवल दो ही खिलाओगे उसमें भी आपके रवींद्र जडेजा तो होंगे ही होंगे या आप कुलदीप यादव को चुनोगे या फिर युजवेंद्र को खिलाओगे।
इन दोनों को खिलाते हो तो तीन हो जाते हैं। आप संयोजन कैसे बनेगा? ये भी तो देखने वाली बात है। अगर तीन स्पिनर जडेजा को मिलाकर खेलते हैं तो किसी एक को पावरप्ले में गेंदबाजी करनी पड़ेगी। पहले ओवर से लेकर छठे ओवर तक किसी को दो ओवर डालने पड़ेंगे, तब जाकर तालमेल बैठेगा। चार स्पिनर को लेकर जाना थोड़ा अधिक है।सवाल – 2007 टी-20 विश्व कप को अगर छोड़ दें तो चयन में हमारी सोच बहुत रूढ़‍िवादी रहती है। क्या हम बड़े नामों के प्रति अधिक आकर्षित हैं?
जवाब – आकर्षण नहीं, मुझे लगता है कि चयन के दो तरीके होते हैं। पहला कि या तो आप बिल्कुल युवा के साथ जाइए, दूसरा सबसे अनुभवी खिलाड़‍ियों की ओर रुख कीजिए। ये बीच का रास्ता ढूंढ़ना, कि दो चार युवा और शेष अनुभवी ये अब तक कारगर नहीं साबित हुई है। मैं अगर चयनकर्ता होता तो युवा टीम भेजता लेकिन जो टीम अभी चुनी गई है मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं। यह टीम सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करके आए यही दुआ कर सकते हैं।सवाल – भारतीय टीम अगर दूसरे दौर में पहुंचती है तो उसे बारबाडोस, एंटीगुआ और सेंट लूसिया में खेलना होगा। सेमीफाइनल में पहुंचे तो गयाना में भी खेलना होगा। कैरिबियाई पिच को आप कैसे आंकते हैं?जवाब – ये सभी बल्लेबाजी के अनुकूल पिच हैं। थोड़ी बहुत भारत से मिलती-जुलती पिच हैं। कुछ पिच में बाउंस थोड़ा ज्यादा होगा। ऑस्ट्रेलिया में आप देखते हैं कि वहां पिच पर गेंद बाउंस होती है, लेकिन वहां गेंद स्विंग नहीं करती। यहां आपको गेंद स्विंग करती भी दिखेगी। समुद्री हवा के कारण गेंद स्विंग करती है। विकेट पर घास शायद ही किसी जगह दिखे। वहां की स्थिति भारत से अलग नहीं होगी। दिन के मैच हैं इसलिए एक बात अच्छी है कि ओस का प्रभाव नहीं होगा और पिच धीमी होगी।कोई यह नहीं कह सकता कि हम ओस के कारण लक्ष्य का बचाव नहीं कर सके। अब देखना यह होगा कि हमारी रणनीति क्या होगी, पहले बल्लेबाजी या गेंदबाजी। आम तौर पर हम यह देखते हैं कि दिन के मैच में मानसिकता यही होती है कि पहले बल्लेबाजी कर लो।सवाल – आजकल क्रिकेटर कैमरे पर भारत-पाक मैच को एक सामान्य मैच बताते हैं। क्या आपके समय में भी ऐसा ही होता था?जवाब – हमारे समय की पाकिस्तानी टीम साधारण नहीं थी। कहां वसीम अकरम और कहां शाहीन शाह अफरीदी। दोनों में जमीन-आसमान का अंतर है। कहां वकार यूनुस और कहां आजकल ये गेंदबाज। सकलेन मुश्ताक के बाद वैसा गेंदबाज नहीं आया, जो आखिरी ओवर में चार रन भी बचा सकता था। वो टीमें अलग थीं। उनकी बल्लेबाजी भी अच्छी थी, गेंदबाजी भी अच्छी थी और वे लड़कर खेलते थे।उनके क्रिकेट का स्तर नीचे चला गया है। बहुत लोग इसे नहीं मानते हैं, लेकिन मैं इसे मानता हूं। एक आध मैच भले ही वे जीत गए हों लेकिन हाल के दिनों में भारत उनपर हावी रहा है।यह भी पढ़ें: Nitin Menon Interview: IPL में अनूठा रिकॉर्ड बनाने वाले अंपायर ने खोले कई राज, इस नई तकनीक के फायदे भी बताएसवाल – आजकल भारत-पाकिस्तानी खिलाड़‍ियों के बीच माहौल में भी वह टेंशन नहीं रहती?जवाब – नहीं, ऐसा नहीं है। पहले भी हम लोग एक-दूसरे से बातचीत करते ही थे। हां, मैच के दिन माहौल बहुत तनावपूर्ण होता था। अब भी तकरीबन चीजें वैसी ही हैं। हमारी जुबान एक है, बात एक तरीके से करते हैं लेकिन ये नहीं है कि हम अपने नेट छोड़कर उधर चले जाएं, वो अपने नेट छोड़कर इधर आ जाएं वो नहीं होता था।सवाल – टी-20 प्रारूप में आप स्पिनरों की भूमिका को कैसे देखते हैं? आजकल 260-265 रन बन रहे हैं?जवाब – इंपैक्ट प्लेयर नियम ने बल्लेबाजों को आक्रामक होने का लाइसेंस दे दिया है। मेरे ख्‍याल से तो इसे हटा देना चाहिए। स्पिनरों को मार इसलिए भी पड़ रही है कि बल्लेबाजों को बिल्कुल अब डर ही नहीं है क्योंकि अब नौ नंबर तक बल्लेबाजी है। बल्लेबाज सोचता है कि हर गेंद पर प्रहार किया जाए। ये वर्ष गेंदबाजों के लिए अच्छा नहीं रहा है, फिर भी क्वालिटी गेंदबाजों ने अच्छी गेंदबाजी की है जैसे कि बुमराह, चहल, सुनील नरेन।हर्षित राणा जैसे युवा ने भी अच्छा किया है। ट्रेविस हेड और अभिषेक शर्मा ने इस प्रारूप को खेलने का अंदाज ही बदल दिया है। इस नियम ने गेंद और बल्ले के नियम को थोड़ा असंतुलित कर दिया है।सवाल – 2019 तक कुलदीप और चहल (कुलचा) जोड़ी की बहुत चर्चा होती थी। अब एक बार फिर दोनों एकसाथ आ गए हैं। क्या इन दोनों को इकट्ठा खिलाना चाहिए?जवाब – दोनों जब-जब साथ खेले हैं तो उनका रिकॉर्ड बहुत अच्छा रहा है। बल्लेबाज की सोच होती है कि एक गेंदबाज के सामने थोड़ा रोक लेता हूं, दूसरे के विरुद्ध आक्रमण करूंगा। क्योंकि ये दोनों गेंदबाज आक्रामक हैं, इसलिए जब ये एक साथ खेलते हैं तो विकेट लेने की संभावना बढ़ जाती है। दोनों को साथ खेलना तो चाहिए, लेकिन जगह कैसे बनेगी ये देखना होगा।सवाल – क्या हम तेज गेंदबाजी में बुमराह पर अधिक अतिनिर्भर हैं?जवाब – हां, तो किस पर करें। बुमराह, गेंदबाजों के विराट कोहली हैं, तो उन पर निर्भरता तो रहेगी ही। वैसे गेंदबाज तो और भी हैं, लेकिन बुमराह रहते हैं तो ये रहता है कि चलो बुमराह तो है ही न। उन पर निर्भरता अधिक है।सवाल – मुंबई इंडियंस में जो हुआ क्या आप उसका असर टीम इंडिया पर भी देख रहे हैं?जवाब – यह होना तो नहीं चाहिए क्योंकि अगर वैसा माहौल रहेगा तो कोई भी टीम अच्छा नहीं कर पाएगी। उस टीम में ऐसे खिलाड़ी थे जो ट्रॉफी जीत सकते थे, लेकिन वे एकजुट होकर नहीं खेले। ऐसे माहौल में विश्व की कोई भी टीम नहीं जीत सकती है। चाहे वो टीम कितनी भी बड़ी टीम क्यों न हो। उदाहरण हमारे सामने ही है।उम्मीद है कि ऐसा कोई काम नहीं हो जिसका प्रभाव टीम इंडिया पर पड़े। कप्तान और उपकप्तान को बैठकर इस मामले को सुलझाना होगा क्योंकि आईपीएल हर साल आता है, विश्व कप नहीं। आईपीएल एक बहुत बड़ा टूर्नामेंट है, परंतु फिर भी यह घरेलू टूर्नामेंट है।विश्व कप का स्तर इससे बिल्कुल अलग है। मुझे लगता है कि जितने भी सीनियर खिलाड़ी हैं जैसे कि रोहित, विराट, हार्दिक, बुमराह सभी को एक साथ बैठना चाहिए और एक साथ टीम को आगे लेकर जाना चाहिए। जब तक वो सब बैठकर बातचीत नहीं करेंगे ये हल नहीं होगा। एक बार सब बैठकर बातचीत करें और अगर मन में कुछ है तो इसे समाप्त करें।यह भी पढ़ें: T20 World Cup 2024: भारत के ग्रुप वाली किस टीम में है कितना दम? पाकिस्‍तान मजबूत, लेकिन इस टीम से बड़ा खतरा

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Silver Medal: कामिनी स्वर्णकार ने 40 वर्ष की उम्र में खेलों में दिखाया नया जोश, फेंसिंग खेल में स्टेट लेवल पर जीता सिल्वर मेडल

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Silver Medal: कामिनी स्वर्णकार ने 40 साल की उम्र में स्टेट लेवल फेंसिंग प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीतकर साबित किया कि उम्र केवल एक संख्या है. उनकी सफलता सभी के लिए प्रेरणा है.

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कामिनी

कामिनी स्वर्णकार ने 40 वर्ष की उम्र में खेलों में दिखाया नया जोश.

हाइलाइट्स

  • कामिनी स्वर्णकार ने 40 साल की उम्र में जीता सिल्वर मेडल
  • खेलों में भाग लेने से मानसिक तनाव कम होता है
  • कामिनी ने मार्शल आर्ट्स से फेंसिंग तक किया संघर्ष

बिलासपुर: 40 साल की उम्र में खेलों के प्रति जुनून और समर्पण की मिसाल कायम करने वाली महिला, कामिनी स्वर्णकार, ने न केवल अपनी उम्र की सीमाओं को चुनौती दी, बल्कि स्टेट लेवल प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीतकर यह साबित कर दिया कि उम्र केवल एक संख्या है. उनकी यह सफलता उन सभी के लिए प्रेरणा बन चुकी है जो जीवन में किसी नए कार्य को शुरू करने से डरते हैं. राजकिशोर नगर, बिलासपुर की रहने वाली कामिनी का कहना है कि खेल ने न केवल उनके शरीर को स्वस्थ रखा, बल्कि मानसिक तनाव से भी मुक्ति दिलाई.

बेटी की प्रेरणा से शुरू हुआ खेलों का सफर
कामिनी स्वर्णकार की बेटी श्रेयांशी ने बताया कि वह खुद एक खिलाड़ी हैं, लेकिन उनकी मां के खेलों में रुचि और सिल्वर मेडल ने उन्हें और ऊर्जा दी. श्रेयांशी का कहना है कि उनकी मां ने इस उम्र में जो किया, वह उनके लिए एक बड़ी प्रेरणा है और वह भी खेलों में अच्छा प्रदर्शन करने की ओर बढ़ रही हैं.

मार्शल आर्ट्स से फेंसिंग तक, कामिनी का संघर्ष और सफलता
कामिनी स्वर्णकार ने अपनी शुरुआत मार्शल आर्ट्स क्लास से की थी, जहां वह अपने बच्चों को प्रशिक्षण के दौरान बोर हो रही थीं. वहां मौजूद महिलाओं को खेलते देख उन्होंने भी खेलों में भाग लेने का निर्णय लिया. इसके बाद उन्होंने फेंसिंग खेल में स्टेट लेवल प्रतियोगिता में भाग लिया और सिल्वर मेडल हासिल किया. उनका कहना है कि नेशनल लेवल में भी उनका चयन हुआ था, और उनका लक्ष्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेलने का है.

खेलों के प्रति महिलाओं से अपील: स्वस्थ जीवन के लिए खेलों में भाग लें
कामिनी स्वर्णकार का मानना है कि खेल केवल शरीर को स्वस्थ नहीं रखता, बल्कि मानसिक तनाव को भी कम करता है. वह अन्य महिलाओं से अपील करती हैं कि वे भी खेलों में रुचि दिखाएं और खेलों के जरिए अपने जीवन को स्वस्थ और तनावमुक्त बनाएं. यह पूरी कहानी एक मजबूत संदेश देती है कि जीवन में कभी भी कोई नया कदम उठाया जा सकता है और खेलों में भाग लेने से न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी बेहतरी आती है.

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40 वर्ष की उम्र में जीवन को दी नई दिशा, स्टेट लेवल पर जीता सिल्वर मेडल

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