हजरत निजामुद्दीन से जबलपुर जा रही गोंडवाना एक्सप्रेस (22182) में मंगलवार रात एक असाधारण और भावुक कर देने वाली घटना घटी। यात्रियों से खचाखच भरे जनरल कोच में यात्रा कर रही एक गर्भवती महिला को अचानक प्रसव पीड़ा होने लगी। यह स्थिति ट्रेन के आगरा और मुरैना के बीच चलने के दौरान उत्पन्न हुई।
जैसे ही महिला की हालत बिगड़ने लगी, कोच में मौजूद यात्रियों ने तत्परता दिखाते हुए तत्काल ट्रेन स्टाफ को सूचित किया। मामले की गंभीरता को समझते हुए ट्रेन अटेंडेंट और गार्ड ने रेलवे कंट्रोल को सूचना दी, जिसके बाद डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को अगले स्टॉप पर तैयार रहने का निर्देश दिया गया।
हालांकि, इससे पहले कि मेडिकल टीम ट्रेन तक पहुंच पाती, यात्रियों में मौजूद कुछ महिलाओं और एक एएनएम (सहायक नर्स दाई) ने साहस दिखाते हुए चलती ट्रेन में ही महिला की डिलीवरी करवाई। थोड़ी ही देर में महिला ने एक सुरक्षित बच्चे को जन्म दिया। कोच में मौजूद लोगों ने चादरों और साफ कपड़ों से अस्थायी व्यवस्था बनाई और महिला व नवजात की देखभाल की।
ट्रेन जैसे ही मुरैना स्टेशन पहुंची, वहां पहले से मौजूद रेलवे की मेडिकल टीम ने माँ और बच्चे को प्राथमिक उपचार दिया और उन्हें नजदीकी अस्पताल में शिफ्ट किया गया। डॉक्टरों के मुताबिक, दोनों की हालत फिलहाल स्थिर है और कोई खतरा नहीं है।
इस मानवीय और साहसिक घटना ने यात्रियों के बीच एक भावनात्मक माहौल बना दिया। ट्रेन में मौजूद कई यात्रियों ने नवजात के जन्म को “रेलबेबी” नाम से संबोधित करते हुए खुशियां मनाईं। वहीं, रेलवे प्रशासन ने कोच में मौजूद महिलाओं और एएनएम की तत्परता और साहस की सराहना की है।
रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि इस प्रकार की आपात स्थिति के लिए अब कई ट्रेनों में महिला स्वास्थ्यकर्मी, प्राथमिक चिकित्सा किट और मेडिकल इमरजेंसी के लिए खास इंतज़ाम किए जा रहे हैं। यात्रियों से भी अपील की गई है कि ऐसी परिस्थिति में घबराने की बजाय सहयोग और संयम के साथ कार्य करें।
इस पूरी घटना ने एक बार फिर यह साबित किया कि मुश्किल वक्त में सामान्य नागरिक और रेलवे स्टाफ मिलकर असंभव को भी संभव बना सकते हैं। यह सिर्फ एक बच्चे का जन्म नहीं था, बल्कि इंसानियत, सहयोग और साहस का एक जीता-जागता उदाहरण भी था।
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